देहरादून: आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए जीत की जंप लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है. पार्टी की अदरूनी कलह और विधानसभाओं में बड़े चेहरों की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है. कांग्रेस के पास 70 विधानसभाओं में से करीब आधी सीटों पर भी मजबूत चेहरे नहीं हैं, जिनके बल बूते पार्टी जीत का दंभ भर सके. यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता का चाभी पाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
उत्तराखंड कांग्रेस यूं तो बड़े चेहरों को लेकर फिलहाल जूझ रही है. पार्टी में बड़े स्तर पर हुए दलबदल के कारण गिने-चुने चेहरों को छोड़ दिया जाए तो मजबूत और भारी भरकम नामों की भारी कमी है. यदि विधानसभा के स्तर पर देखा जाए तो कुल 31 ऐसी विधानसभाएं हैं जहां कांग्रेस को मजबूत चेहरों की दरकार है. राज्य स्तर पर बड़े चेहरों में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश समेत यदि 11 विधायकों को भी जोड़ लिया जाए तो बाकी कुछ एक अनुभवी पूर्व विधायकों के अलावा कांग्रेस में हेवी वेट नेताओं की कमी है. आइए एक नजर डालते हैं वो कौन-कौन सी विधानसभाएं हैं जहां कांग्रेस बेहद कमजोर दिखाई दे रही है.
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उत्तराखंड कांग्रेस हर बार चुनाव में भाजपा के सामने ही दिखाई देती है. मगर इस बार समीकरण कुछ अलग हैं. कुछ नए समीकरणों के लिहाज से विभिन्न सीटों पर नामों को लेकर पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है.
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कहां-कहां कांग्रेस को है बड़े चेहरों की दरकार
- उत्तरकाशी जिले से यमुनोत्री विधानसभा में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है.
- चमोली जिले में कर्णप्रयाग सीट पर अनुसूया प्रसाद मैखुरी के निधन के बाद कांग्रेस किसी दूसरे चेहरे का इंतजार कर रही है.
- रुद्रप्रयाग जिले में रुद्रप्रयाग सीट पर ही पार्टी के पास मजबूत चेहरा नहीं है.
- टिहरी जिले में भीमलाल आर्य जो भाजपा से कांग्रेस में आए थे, उनके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. वहींं, नरेंद्र नगर सीट पर भी भाजपा के सुबोध उनियाल को टक्कर देने वाला भी कोई नहीं है.
- देहरादून जिले में सहसपुर, मसूरी कैंट, रायपुर, ऋषिकेश यह सभी 5 विधानसभा की वो सीटें है जहां कांग्रेस मजबूत चेहरे की तलाश में है.
- हरिद्वार जिले में हरिद्वार बीएचएल, झबरेड़ा, लक्सर, खानपुर, रुड़की, हरिद्वार ग्रामीण कुल 7 सीटों पर बड़े और मजबूत चेहरों की कांग्रेस को दरकार है.
- पौड़ी जिले में पौड़ी सीट, लैंसडाउन में भी मजबूत प्रत्याशी नहीं है.
- कुमाऊं की बात करें तो डीडीहाट, बागेश्वर, सोमेश्वर में मजबूत चेहरे कांग्रेस के पास नहीं हैं.
- कालाढूंगी, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता और खटीमा जैसी सीटें भी कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी हैं. यहां भी पार्टी के कोई बड़ा चेहरा नहीं है.
इस तरह पार्टी में कुल 31 सीटें हैं जहां पर बड़े और मजबूत चेहरों की कमी है. कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर का फायदा लेकर इन सीटों पर जीत हासिल करने की कोशिश में है. उधर, कांग्रेस सीटों पर अपनी कमजोरी की बातों को खारिज करती हुई दिखाई दे रही है. उनका कहना है कि राज्य में पार्टी के पास कई बड़े चेहरे हैं . उसी के बल पर आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीत की जंप लगाएगी.