देहरादून: उत्तराखंड के लिए चारधाम यात्रा 2022 (Chardham Yatra 2022) किसी बड़े उत्सव से कम नहीं है. इस धार्मिक यात्रा को लेकर देश और दुनिया भर के लोग उत्साहित रहते हैं. शायद यही कारण है कि दो साल बाद जब यात्रा को विधिवत खोला गया, तो चारों धामों में श्रद्धालुओं का तांता लग गया. राज्य में चारधाम यात्रा केवल तीर्थाटन या धार्मिक महत्व तक ही सीमित नहीं है, यह प्रदेश के राजस्व से जुड़ा विषय भी है. युवाओं के रोजगार से लेकर सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी से संबंधित विषय भी. इस यात्रा के महत्व को इसी बात को समझा जा सकता है कि हर साल इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु आते हैं, भारत सरकार भी इस यात्रा पर सीधे नजर रखती है. इतनी महत्वपूर्ण यात्रा होने के बावजूद उत्तराखंड सरकार इस यात्रा को लेकर सुविधाएं जुटाने में नाकाम साबित हुई है. आश्चर्य की बात यह है कि प्रदेश के तमाम कैबिनेट मंत्री भी चारधाम यात्रा को गंभीरता से नहीं ले रहे.
पर्यटन मंत्री के लिए विदेश दौरा महत्वपूर्ण: चारधाम यात्रा राज्य में सीधे तौर पर पर्यटन संबंधित है, लेकिन हैरानी की बात तो देखिए कि यात्रा के शुरू होने के बाद से ही प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Tourism Minister Satpal Maharaj) दुबई के कार्यक्रम में व्यस्त हैं. इतने महत्वपूर्ण समय पर उन्होंने दुबई में कई दिनों की अपनी यात्रा को जारी रखा है. यह जानकर भी कि यात्रा में व्यवस्थाएं हैं और श्रद्धालुओं की मौत का आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है, पर्यटन मंत्री का दौरा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.
परिवहन मंत्री चुनावी और स्वागत कार्यक्रमों में व्यस्त: उत्तराखंड के चारों धामों में परिवहन व्यवस्था को लेकर भी पहले दिन से सवाल उठ रहे हैं. कहीं पर कई गुना किराया लेने की शिकायतें हैं, तो अधिकतर जगहों पर परिवहन व्यवस्था ना होने से श्रद्धालु परेशानी में हैं. ऐसे हालातों के बावजूद उत्तराखंड के परिवहन मंत्री चंदन राम दास (Transport Minister Chandan Ram Das) ऋषिकेश में चारधाम यात्रा को हरी झंडी दिखाने के बाद से ही गायब हैं. दरअसल, चंदन राम दास को चंपावत उपचुनाव में प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई और वे लगातार कुमाऊं के तमाम जिलों के साथ चंपावत में ही डटे हुए हैं. इसे मजाक नहीं तो क्या कहेंगे कि चंदन राम दास हर दिन अपने स्वागत से जुड़ी तमाम तस्वीरें अपने सोशल अकाउंट पर अपलोड कर रहे हैं. सरकार बने दो महीने बीतने को हैं, इसके बाद भी चंदन राम दास मंत्री बनने के स्वागत कार्यक्रमों में ही व्यस्त हैं.
गणेश जोशी और प्रेमचंद्र अग्रवाल के कार्यक्रम भी सीमित: ऐसा नहीं कि चारधाम यात्रा को लेकर कोई भी मंत्री किसी धाम में ना गया हो लेकिन इतनी बड़ी यात्रा और हर दिन अनेक श्रद्धालुओं के मरने की जानकारी को लेकर कोई भी मंत्री युद्ध स्तर पर इसको लेकर गंभीर कदम उठाता हुआ नहीं दिखाई दिया है. प्रेमचंद्र अग्रवाल सरकार में मंत्री भी हैं और ऋषिकेश से विधायक भी. चारधाम यात्रा की शुरुआत ऋषिकेश से ही होती है. लिहाजा, प्रेमचंद अग्रवाल यात्रा को लेकर ऋषिकेश में तो व्यवस्थाओं को बनाने की बात कहते हुए नजर आते हैं, लेकिन मंत्री होने के नाते विभिन्न धामों में जाकर व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए कोई बड़ा कदम उठाते भी नहीं दिखाई दिए. यही हालत गणेश जोशी की भी है. गणेश जोशी विभागों को लेकर सक्रिय दिखाई देते हैं लेकिन कैबिनेट मंत्री की यात्रा क्षेत्रों में पैदल भ्रमण कर व्यवस्थाओं को बनाते हुए उनकी तस्वीरें नहीं दिखाई देती.
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स्वास्थ्य मंत्री भी देरी से जागे: चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य विभाग का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है और श्रद्धालुओं के जीवन और उनकी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लिए इस विभाग का सीधा संबंध है. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं का बोलबाला दिखाई दिया है. स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत कई श्रद्धालुओं की मौत के बाद सचिवालय में यात्रा रूट पर ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं. यही नहीं मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री को अब केदारनाथ की जिम्मेदारी दी है यह फैसला भी तब लिया गया जब कई श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं.
रेखा आर्य, सौरभ बहुगुणा से लेकर सुबोध उनियाल से भी सवाल: चारधाम यात्रा पर सरकार के बाकी तीन मंत्री रेखा आर्य सौरभ बहुगुणा और सुबोध उनियाल की भी बाकी मंत्रियों की तरह ही स्थिति रही. हालांकि, सुबोध उनियाल को अब बदरीनाथ यात्रा की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की तरफ से दी गई है लेकिन कुल मिलाकर देखें तो यात्रा पर इन मंत्रियों की तरफ से भी कुछ खास गंभीरता नहीं दिखाई दी. सरकार और उनके मंत्रियों की इस तरह के हालातों को लेकर कांग्रेस भी सवाल खड़े कर रही है. सतपाल महाराज और चंदन राम दास समेत तमाम दूसरे मंत्रियों को कांग्रेस कटघरे में खड़ा कर रही है.