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कई वजहों से चर्चाओं में रहा गैरसैंण बजट सत्र, जानिए चार दिनों में क्या कुछ हुआ?

उत्तराखंड का बजट सत्र समाप्त हो गया है. सभी मंत्री और नेतागण समेत तमाम अधिकारियों का अमला गैरसैंण से लौट आया है, लेकिन इस बार गैरसैंण में आयोजित बजट सत्र कई मायनों में खास रहा तो कुछ ऐसे घटनाक्रम भी हुए जो आमतौर पर नहीं देखने को मिलते हैं. आखिरकार चार दिनों तक चले इस बजट सत्र में क्या कुछ हुआ? आप भी विस्तार से पढ़िए...

Gairsain Budget Session
उत्तराखंड का बजट सत्र
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Published : Mar 17, 2023, 10:27 PM IST

देहरादूनः गैरसैंण के भराड़ीसैंण में आयोजित बजट सत्र समाप्त हो गया है. इस बार बजट सत्र में न केवल कई तरह के महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, बल्कि कई वजहों से सत्र चर्चा में रहा. सबसे पहले राज्यपाल का अभिभाषण होते ही कांग्रेस ने अपमान का आरोप लगा दिया. फिर गन्ना किसानों को भुगतान समेत विशेषाधिकार हनन मामले पर विपक्ष ने हंगामा किया. इतना ही नहीं सदन में कागज भी फेंके गए. जिस पर विपक्ष के सदस्यों को निलंबित करना पड़ा. इसके अलावा कई ऐसे घटनाक्रम हुए जिससे गैरसैंण का बजट सत्र सुर्खियों में रहा.

राज्यपाल के अभिभाषण पर कांग्रेस हुई थी हमलावरः दरअसल, 13 मार्च को गैरसैंण में विधानसभा सत्र शुरू हुआ. पहले दिन विधानसभा में राज्यपाल गुरमीत सिंह जब अपना अभिभाषण पढ़ रहे थे, तब शुरुआती घंटे में ही सदन में खूब हंगामा हुआ. आलम ये रहा कि पूरा विपक्ष वेल में आ गया. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को बीच में आकर कांग्रेसी विधायकों से कहना पड़ा कि शुरुआती घंटे में ही इस तरह का आचरण ठीक नहीं है. विधानसभा की गरिमा को बनाकर रखना होगा, लेकिन कांग्रेसी विधायक नहीं माने. लिहाजा, शुरुआती दिन से ही विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी कांग्रेस को नसीहत देती हुई नजर आईं.
ये भी पढ़ेंः हरदा बोले- राज्यपाल ने विधानसभा और संविधान का अपमान किया, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को बताया 'संकल्प विहीन', कहा- बजट भी होगा शिगूफा

पूर्व सीएम हरीश रावत भी गैरसैंण पहुंचे और राज्यपाल को ही घेराः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी गैरसैंण पहुंचे. ऐसा पहली बार हुआ, जब अभिभाषण के तुरंत बाद कांग्रेस के नेताओं ने सरकार नहीं, बल्कि राज्यपाल को ही घेरना शुरू कर दिया. हरीश रावत ने विधानसभा के बाहर खड़े होकर यह बयान दिया कि राज्यपाल में विधानसभा की मर्यादा का अपमान किया है. यह संविधान का भी अपमान है. भला कोई राज्यपाल कैसे मीडिया को संबोधित कर सकता है.

गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर विपक्ष का हंगामाः वहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत ने राज्यपाल को लेकर कई तरह की बातें की थी. इसके बाद सत्र अगले दिन तक स्थगित रहा. 14 मार्च को विधानसभा बजट सत्र के दूसरे दिन गन्ना मूल्य और गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर विपक्ष ने एक बार फिर से सदन के बाहर और सदन के भीतर खूब हंगामा किया. इसके बाद विपक्ष ने सदन से बायकॉट भी किया.
ये भी पढ़ेंः गन्ना लेकर कांग्रेस का विधानसभा परिसर में प्रदर्शन, सभी विधायक निलंबित

विशेषाधिकार हनन मामले में हंगामा, सदन में कांग्रेस विधायकों की नारेबाजीः विधानसभा सत्र उस समय चर्चा में आ गया, जब कांग्रेस के जसपुर विधायक आदेश चौहान ने विशेषाधिकार हनन मामले में हंगामा शुरू किया. इसके बाद तो विधानसभा अध्यक्ष का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने कांग्रेस के विधायकों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया. कांग्रेसी विधायक विधानसभा अध्यक्ष के सामने ही माइक तोड़ते दिखे. इसके बाद कांग्रेसी विधायक सदन में ही नारेबाजी करने लगे, लेकिन इन सबके बीच प्रेमचंद अग्रवाल अपना बजट पढ़ते रहे.

एक दिन में 7 बार स्थगित करनी पड़ी कार्यवाहीः ठीक उसी दिन विधानसभा सत्र के दौरान एक दिन में 7 बार विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. दरअसल, तमाम कांग्रेसी विधायक उधम सिंह नगर के एसएसपी को हटाने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे. यह मामला भी विशेषाधिकार हनन का था. यानी 2 दिन तक कांग्रेस अपने विधायक को लेकर हंगामा करती दिखाई दी. हालांकि, सरकार और स्पीकर ने बखूबी दूसरे दिन बजट को पढ़कर अपनी कार्रवाई को पूरा किया.
ये भी पढ़ेंः निलंबन के बाद भी सदन में डटे रहे कांग्रेस विधायक, जारी रखा हंगामा, मदन बिष्ट ने तोड़ा माइक, स्पीकर की ओर फेंका कागज का गोला

77407.08 करोड़ रुपए का बजट पेशः इस बार बजट सत्र में धामी सरकार ने 77407.08 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. इसमें विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग बजट जारी किया गया. गैरसैंण का सत्र नकल विरोधी कानून के लिए भी इस बार याद किया जाएगा. विधानसभा सत्र के दौरान नकल विरोधी अध्यादेश कानून को एक्ट के रूप में इस बार मंजूरी मिल गई. इसके साथ ही सबकी नजरें बजट सत्र के दौरान जोशीमठ को लेकर रहा. धामी सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान दरकते जोशीमठ के लिए भी रखा.

बेरोजगारों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणाः वहीं, अगले दिन की कार्यवाही में कांग्रेस ने जहां सरकार के सामने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कदम आगे रहकर बजट भाषण पढ़ते हुए जिस मुद्दे को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर थी, उस मुद्दे को ही दबा दिया. सीएम धामी ने ऐलान किया कि देहरादून में हुए लाठीचार्ज में जिन छात्रों के ऊपर मुकदमे दर्ज हुए थे, उन छात्रों के मुकदमे वापस लिए जाएंगे. यह मुद्दा इसलिए भी बड़ा होता जा रहा था. क्योंकि, कांग्रेस लगातार बेरोजगार संघ के साथ मिलकर मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतर रही थी.
ये भी पढ़ेंः धामी सरकार के बजट में ये है खास, एक क्लिक में पढ़िए

कांग्रेस विधायकों का वॉकआउटः बजट सत्र के चौथे दिन भी तमाम कांग्रेस के नेताओं ने सरकार के बजट सत्र पर आपत्ति जताते हुए सदन से ही वॉकआउट किया. इस बीच सरकार बिना विपक्ष के ही अलग-अलग विभागों का अपना बजट पास करते रही. विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह ने एक और बड़ा मुद्दा उठा दिया. प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव प्रोटोकॉल के तहत उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. जिसके बाद प्रीतम सिंह ने प्रोटोकॉल का पालन न कराने पर आपत्ति दर्ज कराई.

कई ऐतिहासिक फैसलों को मंजूरीः वहीं, इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कारण बताओ नोटिस अधिकारी को जारी किया. जिसके बाद कैबिनेट बैठक हुई. जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय पर मंजूरी दी गई. जिसमें कर्मचारी मृतक सेवा नियमावली में संशोधन कर विधवा पुत्रवधू को मृतक आश्रित में शामिल किया गया. इसके साथ ही विधायक निधि को तीन करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए किया गया. तीसरा सबसे बड़ा फैसला राज्य आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण का मामला फिर से राजभवन भेजा गया.

देहरादूनः गैरसैंण के भराड़ीसैंण में आयोजित बजट सत्र समाप्त हो गया है. इस बार बजट सत्र में न केवल कई तरह के महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, बल्कि कई वजहों से सत्र चर्चा में रहा. सबसे पहले राज्यपाल का अभिभाषण होते ही कांग्रेस ने अपमान का आरोप लगा दिया. फिर गन्ना किसानों को भुगतान समेत विशेषाधिकार हनन मामले पर विपक्ष ने हंगामा किया. इतना ही नहीं सदन में कागज भी फेंके गए. जिस पर विपक्ष के सदस्यों को निलंबित करना पड़ा. इसके अलावा कई ऐसे घटनाक्रम हुए जिससे गैरसैंण का बजट सत्र सुर्खियों में रहा.

राज्यपाल के अभिभाषण पर कांग्रेस हुई थी हमलावरः दरअसल, 13 मार्च को गैरसैंण में विधानसभा सत्र शुरू हुआ. पहले दिन विधानसभा में राज्यपाल गुरमीत सिंह जब अपना अभिभाषण पढ़ रहे थे, तब शुरुआती घंटे में ही सदन में खूब हंगामा हुआ. आलम ये रहा कि पूरा विपक्ष वेल में आ गया. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को बीच में आकर कांग्रेसी विधायकों से कहना पड़ा कि शुरुआती घंटे में ही इस तरह का आचरण ठीक नहीं है. विधानसभा की गरिमा को बनाकर रखना होगा, लेकिन कांग्रेसी विधायक नहीं माने. लिहाजा, शुरुआती दिन से ही विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी कांग्रेस को नसीहत देती हुई नजर आईं.
ये भी पढ़ेंः हरदा बोले- राज्यपाल ने विधानसभा और संविधान का अपमान किया, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को बताया 'संकल्प विहीन', कहा- बजट भी होगा शिगूफा

पूर्व सीएम हरीश रावत भी गैरसैंण पहुंचे और राज्यपाल को ही घेराः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी गैरसैंण पहुंचे. ऐसा पहली बार हुआ, जब अभिभाषण के तुरंत बाद कांग्रेस के नेताओं ने सरकार नहीं, बल्कि राज्यपाल को ही घेरना शुरू कर दिया. हरीश रावत ने विधानसभा के बाहर खड़े होकर यह बयान दिया कि राज्यपाल में विधानसभा की मर्यादा का अपमान किया है. यह संविधान का भी अपमान है. भला कोई राज्यपाल कैसे मीडिया को संबोधित कर सकता है.

गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर विपक्ष का हंगामाः वहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत ने राज्यपाल को लेकर कई तरह की बातें की थी. इसके बाद सत्र अगले दिन तक स्थगित रहा. 14 मार्च को विधानसभा बजट सत्र के दूसरे दिन गन्ना मूल्य और गन्ना किसानों के भुगतान को लेकर विपक्ष ने एक बार फिर से सदन के बाहर और सदन के भीतर खूब हंगामा किया. इसके बाद विपक्ष ने सदन से बायकॉट भी किया.
ये भी पढ़ेंः गन्ना लेकर कांग्रेस का विधानसभा परिसर में प्रदर्शन, सभी विधायक निलंबित

विशेषाधिकार हनन मामले में हंगामा, सदन में कांग्रेस विधायकों की नारेबाजीः विधानसभा सत्र उस समय चर्चा में आ गया, जब कांग्रेस के जसपुर विधायक आदेश चौहान ने विशेषाधिकार हनन मामले में हंगामा शुरू किया. इसके बाद तो विधानसभा अध्यक्ष का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने कांग्रेस के विधायकों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया. कांग्रेसी विधायक विधानसभा अध्यक्ष के सामने ही माइक तोड़ते दिखे. इसके बाद कांग्रेसी विधायक सदन में ही नारेबाजी करने लगे, लेकिन इन सबके बीच प्रेमचंद अग्रवाल अपना बजट पढ़ते रहे.

एक दिन में 7 बार स्थगित करनी पड़ी कार्यवाहीः ठीक उसी दिन विधानसभा सत्र के दौरान एक दिन में 7 बार विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. दरअसल, तमाम कांग्रेसी विधायक उधम सिंह नगर के एसएसपी को हटाने की मांग को लेकर हंगामा कर रहे थे. यह मामला भी विशेषाधिकार हनन का था. यानी 2 दिन तक कांग्रेस अपने विधायक को लेकर हंगामा करती दिखाई दी. हालांकि, सरकार और स्पीकर ने बखूबी दूसरे दिन बजट को पढ़कर अपनी कार्रवाई को पूरा किया.
ये भी पढ़ेंः निलंबन के बाद भी सदन में डटे रहे कांग्रेस विधायक, जारी रखा हंगामा, मदन बिष्ट ने तोड़ा माइक, स्पीकर की ओर फेंका कागज का गोला

77407.08 करोड़ रुपए का बजट पेशः इस बार बजट सत्र में धामी सरकार ने 77407.08 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. इसमें विभिन्न विभागों के लिए अलग-अलग बजट जारी किया गया. गैरसैंण का सत्र नकल विरोधी कानून के लिए भी इस बार याद किया जाएगा. विधानसभा सत्र के दौरान नकल विरोधी अध्यादेश कानून को एक्ट के रूप में इस बार मंजूरी मिल गई. इसके साथ ही सबकी नजरें बजट सत्र के दौरान जोशीमठ को लेकर रहा. धामी सरकार ने 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान दरकते जोशीमठ के लिए भी रखा.

बेरोजगारों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की घोषणाः वहीं, अगले दिन की कार्यवाही में कांग्रेस ने जहां सरकार के सामने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया तो वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कदम आगे रहकर बजट भाषण पढ़ते हुए जिस मुद्दे को लेकर कांग्रेस लगातार हमलावर थी, उस मुद्दे को ही दबा दिया. सीएम धामी ने ऐलान किया कि देहरादून में हुए लाठीचार्ज में जिन छात्रों के ऊपर मुकदमे दर्ज हुए थे, उन छात्रों के मुकदमे वापस लिए जाएंगे. यह मुद्दा इसलिए भी बड़ा होता जा रहा था. क्योंकि, कांग्रेस लगातार बेरोजगार संघ के साथ मिलकर मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतर रही थी.
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कांग्रेस विधायकों का वॉकआउटः बजट सत्र के चौथे दिन भी तमाम कांग्रेस के नेताओं ने सरकार के बजट सत्र पर आपत्ति जताते हुए सदन से ही वॉकआउट किया. इस बीच सरकार बिना विपक्ष के ही अलग-अलग विभागों का अपना बजट पास करते रही. विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह ने एक और बड़ा मुद्दा उठा दिया. प्रीतम सिंह ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव प्रोटोकॉल के तहत उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. जिसके बाद प्रीतम सिंह ने प्रोटोकॉल का पालन न कराने पर आपत्ति दर्ज कराई.

कई ऐतिहासिक फैसलों को मंजूरीः वहीं, इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कारण बताओ नोटिस अधिकारी को जारी किया. जिसके बाद कैबिनेट बैठक हुई. जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय पर मंजूरी दी गई. जिसमें कर्मचारी मृतक सेवा नियमावली में संशोधन कर विधवा पुत्रवधू को मृतक आश्रित में शामिल किया गया. इसके साथ ही विधायक निधि को तीन करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपए किया गया. तीसरा सबसे बड़ा फैसला राज्य आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण का मामला फिर से राजभवन भेजा गया.

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