देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Elections 2022) में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. निर्वाचन आयोग ने उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इन राज्यों में आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है और साथ ही 7 चरणों में चुनाव कार्यक्रम भी घोषित हो चुके हैं. उत्तराखंड में एक चरण में विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे. जिसके बाद 14 फरवरी को सभी 70 विधानसभा में मतदान होगा और 10 मार्च को सभी राज्यों के चुनाव नतीजे घोषित कर दिये जाएंगे.
उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होना है. इसके तहत उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अब प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के लिए तैयार दिख रहे हैं. उम्मीद है कि आने वाले 1 हफ्ते में दोनों ही पार्टी पहली सूची जारी कर देंगे. राजनीतिक दलों के पास अब चुनाव प्रचार और दूसरी तैयारियों के लिए काफी कम दिन बचे हैं.
बता दें कि, प्रदेश में दोनों ही दलों ने करीब 40 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम पर सहमति बना ली है. कांग्रेस में मौजूदा विधायकों के साथ बड़े चेहरों पर सहमति बन चुकी है जबकि जिन सीटों पर विवाद कम है, वहां पर भी प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर दिए गए हैं. इस संदर्भ में स्क्रीनिंग कमेटी पहले ही दावेदारों का पैनल तैयार कर चुकी है और अब जल्दी पहली लिस्ट जारी कर सकती है.
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वहीं, भाजपा भी प्रत्याशियों के नामों को तय करने में पीछे नहीं दिखाई दे रही है. पार्टी के मौजूदा विधायकों में से भी कई विधायकों के टिकट कटना तय है लिहाजा, बड़े चेहरों के साथ सर्वे के आधार पर जिताऊ प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मुहर लग चुकी है. ऐसे में इन्हीं नामों की पहली सूची भी पार्टी जल्द जारी कर सकती है.
बता दें कि, निर्वाचन आयोग ने शनिवार को पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के कार्यक्रमों की घोषणा कर दी. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तहत 10 फरवरी से लेकर सात मार्च तक सात चरणों में मतदान होगा, वहीं उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में एक ही चरण में 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. मणिपुर में दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को मतदान होगा और इन सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना 10 मार्च को होगी.
क्या होती है आचार संहिता: भारतीय निर्वाचन आयोग की आदर्श चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों के लिये बनायी गयी एक नियमावली है. जिसका पालन चुनाव के समय आवश्यक है. चुनाव आयोग चुनाव से पहले इसके लागू होने की घोषणा करता है. लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है.