देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं और नियुक्ति को लेकर शासन अचानक बेहद ज्यादा सक्रिय दिखने लगा है, इसी कड़ी में शासन के नए आदेश के तहत कुलपति सुनील कुमार जोशी के वित्तीय अधिकारों को सीज करते हुए देहरादून जिलाधिकारी में निहित किया गया है. हालांकि इस आदेश के फौरन बाद विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस आदेश को ही नियम विरुद्ध करार दे दिया है.
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय यूं तो अपनी स्थापना के समय से ही विवादों में रहा है, लेकिन इन दिनों विश्वविद्यालय को लेकर शासन की तरफ से जिस तरह निगाहें टेढ़ी की गई है .उससे विश्वविद्यालय और शासन आमने-सामने आ गए हैं.
स्थिति यह है कि पिछले कुछ समय से आयुर्वेद विश्वविद्यालय के खिलाफ शासन की तरफ से एक के बाद एक जांच के पत्र जारी किए जा रहे हैं. हाल ही में रिटायर जस्टिस केडी शाही की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी भी गठित की गई है. जिसके लिए राज्यपाल से भी स्वीकृति ली गई थी. लेकिन विवाद तब शुरू हुआ जब शासन ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वित्तीय अधिकारों को जिलाधिकारी देहरादून में निहित करने का आदेश जारी किया है.
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इस आदेश के जारी होते ही कुलपति ने भी सचिव आयुर्वेद पंकज कुमार पांडे को पत्र लिखते हुए यह साफ कर दिया कि जिस आदेश को उनके द्वारा किया गया है, हकीकत में ऐसा कोई अधिकार शासन को है ही नहीं. पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि विश्वविद्यालय के अधिनियम के तहत कार्य परिषद को ही वित्तीय अधिकारों में संशोधन को लेकर कोई अधिकार है और ऐसा प्रस्ताव कुलाधिपति के द्वारा ही स्वीकृत किया जा सकता है. शासन के वित्तीय अधिकार सीज करने और कुलपति के इन आदेशों को गलत ठहराने के चलते अभी लड़ाई सीधे तौर पर आर-पार की दिखाई देने लगी है. उधर दूसरी तरफ कुलपति की नियुक्ति को लेकर भी जांच जारी है.