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नेपाल के दो गजराज बने भारत की मुसीबत, यूपी-उत्तराखंड की सीमा पर मचाया आतंक

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Published : Sep 17, 2020, 8:08 PM IST

Updated : Sep 21, 2020, 2:40 PM IST

नेपाल से इन दो हाथियों ने 13 सितंबर को भारत की दहलीज पर कदम रखा और उसके बाद से ही वन विभाग चौकन्ना हो गया. यह दोनों ही हाथी जंगलों से बाहर बस्तियों की तरफ भी रुख कर रहे हैं.

Dehradun News
नेपाल से भारत में घुसे दो हाथी.

देहरादून: यूं तो बेजुबानों के लिए कोई सरहद नहीं होती, लेकिन इंसानों की बनाई सीमाओं से इन बेजुबानों को भी दो देशों में बांट दिया जाता है. भारत-नेपाल के बीच बढ़ रही कड़वाहट के दौरान नेपाल से एक ऐसी मुसीबत आई है, जिसने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों के लिए परेशानी बढ़ा दी है. दरअसल, इनदिनों नेपाल से आई दो गजराजों की जोड़ी ने भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंक मचाया हुआ है. जिसने दो राज्यों के वन महकमों की नींद उड़ा दी है.

सीमा विवाद को लेकर नेपाल के आक्रमक रुख से दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है. नेपाल की तरफ से भारत के कुछ इलाकों को नेपाल का बताने से जुड़ा बयान आने के साथ ही एक ऐसी खबर भी आई है, जो भारत के दो राज्यों के लिए चिंता बढ़ाने वाली है. बता दें भारत का नेपाल से लगा हुआ ऐसा बड़ा क्षेत्र है जो फॉरेस्ट लैंड में आता है और जहां हर पल वन विभाग निगरानी भी करता है. लेकिन नेपाल से एक नई मुसीबत दो गजराजों के रूप में आयी है, जो न केवल सीमावर्ती जिलों के लोगों बल्कि उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड के वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर भी शिकन पैदा कर रही है.

नेपाल के दो गजराज बने भारत के लिए मुसीबत.

पढ़ें-हर्षिल घाटी में बंपर सेब की पैदावार, समर्थन मूल्य से नाराज काश्तकार

हालत यह है कि उत्तराखंड वन विभाग ने इसके लिए अलर्ट जारी कर दिया है. वहीं, खुद चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इस मामले में मॉनिटरिंग करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. नेपाल से इन दो हाथियों ने 13 सितंबर को भारत की दहलीज पर कदम रखा और उसके बाद से ही वन विभाग चौकन्ना हो गया. यह दोनों ही हाथी जंगलों से बाहर बस्तियों की तरफ भी रुख कर रहे हैं. जिससे मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. नेपाल सीमा पर उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश की सीमा भी लगती है ऐसे में यह दोनों ही हाथी कभी यूपी तो कभी उत्तराखंड में घुसकर दोनों ही राज्यों की चिंताएं बढ़ा रहे हैं.

पढ़ें-कोरोना इफेक्ट: चारधाम परिवहन व्यवसायियों ने की 75 प्रतिशत छूट की डिमांड

वन मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो यह हाथी नेपाल से पीलीभीत होते हुए खटीमा के जंगलों में पहुंचे थे और अब वन विभाग की कोशिश कर रहा है कि इन्हें नेपाल के जंगलों में वापस भेजा जाए या फिर किसी दूसरे सुरक्षित स्थान की तरफ इनका रुख किया जाए.

देहरादून: यूं तो बेजुबानों के लिए कोई सरहद नहीं होती, लेकिन इंसानों की बनाई सीमाओं से इन बेजुबानों को भी दो देशों में बांट दिया जाता है. भारत-नेपाल के बीच बढ़ रही कड़वाहट के दौरान नेपाल से एक ऐसी मुसीबत आई है, जिसने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों के लिए परेशानी बढ़ा दी है. दरअसल, इनदिनों नेपाल से आई दो गजराजों की जोड़ी ने भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंक मचाया हुआ है. जिसने दो राज्यों के वन महकमों की नींद उड़ा दी है.

सीमा विवाद को लेकर नेपाल के आक्रमक रुख से दोनों देशों के संबंधों में खटास आई है. नेपाल की तरफ से भारत के कुछ इलाकों को नेपाल का बताने से जुड़ा बयान आने के साथ ही एक ऐसी खबर भी आई है, जो भारत के दो राज्यों के लिए चिंता बढ़ाने वाली है. बता दें भारत का नेपाल से लगा हुआ ऐसा बड़ा क्षेत्र है जो फॉरेस्ट लैंड में आता है और जहां हर पल वन विभाग निगरानी भी करता है. लेकिन नेपाल से एक नई मुसीबत दो गजराजों के रूप में आयी है, जो न केवल सीमावर्ती जिलों के लोगों बल्कि उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड के वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर भी शिकन पैदा कर रही है.

नेपाल के दो गजराज बने भारत के लिए मुसीबत.

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हालत यह है कि उत्तराखंड वन विभाग ने इसके लिए अलर्ट जारी कर दिया है. वहीं, खुद चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को इस मामले में मॉनिटरिंग करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. नेपाल से इन दो हाथियों ने 13 सितंबर को भारत की दहलीज पर कदम रखा और उसके बाद से ही वन विभाग चौकन्ना हो गया. यह दोनों ही हाथी जंगलों से बाहर बस्तियों की तरफ भी रुख कर रहे हैं. जिससे मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. नेपाल सीमा पर उत्तराखंड के साथ उत्तर प्रदेश की सीमा भी लगती है ऐसे में यह दोनों ही हाथी कभी यूपी तो कभी उत्तराखंड में घुसकर दोनों ही राज्यों की चिंताएं बढ़ा रहे हैं.

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वन मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो यह हाथी नेपाल से पीलीभीत होते हुए खटीमा के जंगलों में पहुंचे थे और अब वन विभाग की कोशिश कर रहा है कि इन्हें नेपाल के जंगलों में वापस भेजा जाए या फिर किसी दूसरे सुरक्षित स्थान की तरफ इनका रुख किया जाए.

Last Updated : Sep 21, 2020, 2:40 PM IST
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