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देवभूमि में CAA को लेकर घमासान, कहीं विरोध तो कहीं पक्ष में उठी आवाजें

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देवभूमि में भी आवाजें उठ रही है. जहां कांग्रेस और सामाजिक संगठन इस कानून को मोदी सरकार की तानाशाही बता रहे हैं. वहीं, संत समाज ने केंद्र सरकार के इस फैसले को जायज ठहराया है.

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Published : Dec 18, 2019, 8:52 AM IST

देहरादून/हरिद्वार/श्रीनगर/हल्द्वानी: नागरिक संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर भी विरोध देखने को मिल रहा है. देवभूमि में भी नागरिकता संसोधन कानून को लेकर अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं. जहां संत समाज ने इस कानून का समर्थन किया है. वहीं, पीपुल्स फोरम से जुड़े लोग इसे मोदी सरकार की तानाशाही करार दे रहे हैं.

देहरादून में विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जेएनयू और जामिया में हुई लाठीचार्ज के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि केंद्र सरकार दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

देवभूमि में CAA को लेकर घमासान

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी सरकार के दमनकारी तानाशाही फैसलों के चलते पूर्वोत्तर के अलावा राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है. जिसके खिलाफ आम जनता और छात्र सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कश्मीर से लेकर मेघालय और दिल्ली में एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहे छात्रों और नागरिकों पर जो पुलिसिया कार्रवाई की गई है. वो लोकतंत्र में नाकाबिले बर्दाश्त है.

पढ़ें- देहरादून: रोडवेज वर्कशॉप शिफ्ट किये जाने से कर्मचारियों में आक्रोश, फैसले के खिलाफ तानी मुट्ठी

वहीं, हरिद्वार में जहां एक ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नागरिकता संसोधन कानून को लेकर हाथों में तख्तियां लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. उधर, दूसरी ओर संत समाज ने इस कानू का स्वागत किया है. संतों का कहना है कि इस देश का विभाजन 1947 में धर्म के आधार पर हुआ और भारत में रहने वाले मुस्लिम समुदाय ने पाकिस्तान जाना स्वीकार किया. उस समय जो पाकिस्तान में हिंदू थे उनकी संख्या काफी अधिक थी, लेकिन अब संख्या काफी कम हो गई है. ऐसे ही अफगानिस्तान बांग्लादेश आदि में भी हुआ है. इसीलिए वह मोदी सरकार के पक्ष में खड़े हैं.

पढ़ें- रियलिटी चेक: धर्मनगरी में क्या है PM के ड्रीम प्रोजेक्ट की हकीकत, जानिए कितनी साफ हुई गंगा

उधर, श्रीनगर गढ़वाल छात्र में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नागरिक संशोधन विधेयक का स्वागत करते हुए दिल्ली पुलिस के कार्रवाई को उचित ठहराया है. मंगलवार को अभाविप कार्यकर्ताओ ने बिड़ला परिसर में सीएबी के समर्थन में सांकेतिक प्रदर्शन किया. वहीं, हल्द्वानी में कुमाऊं डीआईजी ने नागरिक संसोधन विधेयक को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिसकर्मियों को अलर्ट रहने के आदेश दिए हैं. उनका कहना है कि अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

देहरादून/हरिद्वार/श्रीनगर/हल्द्वानी: नागरिक संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर भी विरोध देखने को मिल रहा है. देवभूमि में भी नागरिकता संसोधन कानून को लेकर अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं. जहां संत समाज ने इस कानून का समर्थन किया है. वहीं, पीपुल्स फोरम से जुड़े लोग इसे मोदी सरकार की तानाशाही करार दे रहे हैं.

देहरादून में विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जेएनयू और जामिया में हुई लाठीचार्ज के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि केंद्र सरकार दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.

देवभूमि में CAA को लेकर घमासान

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी सरकार के दमनकारी तानाशाही फैसलों के चलते पूर्वोत्तर के अलावा राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है. जिसके खिलाफ आम जनता और छात्र सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कश्मीर से लेकर मेघालय और दिल्ली में एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहे छात्रों और नागरिकों पर जो पुलिसिया कार्रवाई की गई है. वो लोकतंत्र में नाकाबिले बर्दाश्त है.

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वहीं, हरिद्वार में जहां एक ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नागरिकता संसोधन कानून को लेकर हाथों में तख्तियां लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. उधर, दूसरी ओर संत समाज ने इस कानू का स्वागत किया है. संतों का कहना है कि इस देश का विभाजन 1947 में धर्म के आधार पर हुआ और भारत में रहने वाले मुस्लिम समुदाय ने पाकिस्तान जाना स्वीकार किया. उस समय जो पाकिस्तान में हिंदू थे उनकी संख्या काफी अधिक थी, लेकिन अब संख्या काफी कम हो गई है. ऐसे ही अफगानिस्तान बांग्लादेश आदि में भी हुआ है. इसीलिए वह मोदी सरकार के पक्ष में खड़े हैं.

पढ़ें- रियलिटी चेक: धर्मनगरी में क्या है PM के ड्रीम प्रोजेक्ट की हकीकत, जानिए कितनी साफ हुई गंगा

उधर, श्रीनगर गढ़वाल छात्र में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नागरिक संशोधन विधेयक का स्वागत करते हुए दिल्ली पुलिस के कार्रवाई को उचित ठहराया है. मंगलवार को अभाविप कार्यकर्ताओ ने बिड़ला परिसर में सीएबी के समर्थन में सांकेतिक प्रदर्शन किया. वहीं, हल्द्वानी में कुमाऊं डीआईजी ने नागरिक संसोधन विधेयक को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिसकर्मियों को अलर्ट रहने के आदेश दिए हैं. उनका कहना है कि अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

Intro:पीपुल्स फोरम के बैनर तले विभिन्न संगठनों ने असम, मेघालय, कश्मीर दिल्ली अलीगढ़ में हुए बवाल समेत एनआरसी, कैब, के अलावा निजी करण व महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में गांधी पार्क स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे विरोध स्वरूप धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ अपना जमकर आक्रोश व्यक्त किया।
summary- विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जेएनयू और जामिया में हुई लाठीचार्ज की घटना के खिलाफ विरोध स्वरूप धरना देकर केंद्र सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग की है।


Body:विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी सरकार के दमनकारी तानाशाही फैसलों के चलते असम मेघालय मणिपुर दिल्ली अलीगढ़ कश्मीर सहित पूरे भारत की आवाम में रोष व्याप्त है इसके खिलाफ जगह-जगह छात्र और आम आवाम सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। कश्मीर से लेकर मेघालय और दिल्ली में एनआरसी कैब का विरोध कर रहे छात्रों और नागरिकों पर पुलिसिया कहर बरपाया गया। इससे जाहिर होता है कि सरकार के निर्णय के विरोध में यदि कोई आवाज उठाता है तो उसके खिलाफ केंद्र सरकार इसी प्रकार का रवैया अपनाती है।
बाईट-इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल प्रभारी,भाकपा माले
बाईट-गीता गैरोला,सामाजिक कार्यकर्ता


Conclusion: इस दौरान विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गांधी पार्क के बाहर बिल की प्रतियां जलाकर अपना विरोध जताते हुए केंद्र सरकार खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सामाजिक संस्थाओं से जुड़े सदस्यों का कहना है कि जामिया और जेएनयू में जिस प्रकार से मारपीट हुई है इसका सभी संगठन जमकर विरोध कर रहे हैं और जो इस हिंसा में असली गुनाहगार शामिल है उनको तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
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