देहरादून: रोजमर्रा की जिंदगी में हम बहुत सी बातों का ध्यान रखते हैं, लेकिन जब बात अपनी सुरक्षा की आती है तो ऐसे में लोग पैसे को ज्यादा महत्व देते हैं. हालांकि कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जिन्हें पैसे से ज्यादा अपना जीवन प्यारा होता है. जी हां, हम आज बात कर रहे हैं दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट के प्रयोग की. आज इस स्पेशल रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर, हेलमेट दोपहिया वाहन चालक के लिए कितना जरूरी है और किस तरह का हेलमेट चालक को पहनना चाहिए...
दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट बहुत जरूरी है, क्योंकि अमूमन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में खासकर दोपहिया वाहन के सड़क दुर्घटना में वाहन चालक की मौत या तो हेलमेट नहीं पहनने से होती है या फिर वाहन चालक लो क्वालिटी का हेलमेट पहने होता है. देश में साल दर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाले मौत के आंकड़े गंभीर चिंता का विषय बनते जा रहे हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार हो या फिर केंद्र सरकार सड़क दुर्घटना को लेकर तमाम तरह के नियम कानून बनाते हैं. साथ ही लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए चौक-चौराहे पर बैनर भी लगाए जाते हैं, ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो सकें.
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इसी क्रम में अगर हम बात करें उत्तराखंड कि तो पुलिस सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह समेत तमाम कार्यक्रम कर चुकी है. जिसमें ओवर स्पीडिंग, ड्रिंक एंड ड्राइविंग रोकने के साथ ही हेलमेट के प्रयोग पर जोर दिया जाता रहा है. बावजूद इसके आमतौर पर अभी भी सड़कों पर बिना हेलमेट लोगों को घूमते देखा जा सकता है. साल 2019 में सड़क दुर्घटना में 867 लोग जान गंवा चुके हैं.
उत्तराखंड राज्य में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह जैसे बड़े-बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके. बावजूद इसके दिन-प्रतिदिन सड़क हादसों की संख्या घटने के बजाय बढ़ती जा रही है. हालत यह है कि प्रदेश में हर दिन लगभग तीन लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है. यानी हर साल एक हजार से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं, जो प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना अधिक है. एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में सड़क दुर्घटना में 1,073 लोगों की मौत हो गयी थी. जबकि साल 2019 में सड़क दुर्घटना में 867 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
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गैर प्रमाणित हेलमेट पहनने और बेचने पर है सजा का प्रावधान
मोटर वाहन अधिनियम 1988, की धारा 129 के अनुसार, हेलमेट पर अनिवार्य रूप से बीआईएस का निशान होना चाहिए. संशोधित मानदंडों में कहा गया है कि उप-मानक और गैर-आईएसआई मार्क हेलमेट की बिक्री पर दो साल के कारावास की सजा मिल सकती है. यही नहीं दोपहिया वाहन चालक द्वारा प्रमाणित हेलमेट ना पहनने पर उसका चालान हेलमेट ना पहनने के तहत किया जाता है. बावजूद इसके अभी भी हेलमेट विक्रेताओं के पास गैर प्रमाणित हेलमेट आसानी से पाया जा सकता है, जिसकी मुख्य वजह यह है कि तमाम लोग प्रमाणित हेलमेट की डिमांड ना कर सस्ते हेलमेट की डिमांड करते हैं.
पुलिस से बचना मात्र है लोगों की मानसिकता
आमतौर पर सड़कों पर राइडिंग कर रहे दोपहिया वाहन चालक का ध्यान अपनी सुरक्षा से अधिक इस बात पर रहता है कि उनका चालान ना कट जाए. दरअसल, मोटर वाहन अधिनियम में हेलमेट ना पहनने पर भारी-भरकम जुर्माना वसूला जाता है. लिहाजा वाहन चालक सिर्फ चालान से बचने के लिए सस्ते हेलमेट का प्रयोग करते हैं. चालान के साथ ही सस्ता हेलमेट खरीदने की और भी कई वजह हैं जो कई बार उनके जीवन पर भारी पड़ जाती है. उत्तराखंड पुलिस के अनुसार हर साल होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में से अधिकतम उन्हीं व्यक्तियों की मृत्यु होती है जो या तो हेलमेट नहीं पहनते या फिर लो क्वालिटी का हेलमेट पहनते हैं.
आईएसआई प्रमाणित हेलमेट सामान्य से पड़ता है दोगुना महंगा
वहीं, हेलमेट विक्रेता ने बताया कि राजधानी देहरादून के लोग काफी जागरूक हैं और करीब 80 फीसदी लोग आईएसआई प्रमाणित हेलमेट की ही डिमांड करते हैं. हालांकि 20 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जो लोकल हेलमेट की डिमांड करते हैं. हालांकि वर्तमान समय में तमाम कंपनियों के जो हेलमेट मिल रहे हैं और आईएसआई प्रमाणित हैं उनमें ग्लास अनब्रेकेबल होता है. आईएसआई प्रमाणित हेलमेट ना सिर्फ कंफर्टेबल होते हैं, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण होते हैं. तो वहीं जो लोकल हेलमेट होते हैं वह एक बार गिरने से टूट जाते हैं. साथ ही बताया कि लोकल हेलमेट और आईएसआई प्रमाणित हेलमेट के दामों में करीब दोगुने का अंतर है. यही वजह है कि कुछ लोग पैसे बचाने और चालान कटवाने से बचने के लिए लोकल हेलमेट का प्रयोग करते हैं.
प्रमाणित हेलमेट ना लगाने की वजह से बढ़ जाता है डेथ रेट
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी रश्मि पंत ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत अगर कोई चालक मानकों के तहत हेलमेट नहीं लगाता है तो उसका चालान काटा जाता है, क्योंकि लोकल हैंडमेड हेलमेट चालक को उस तरह की सुरक्षा नहीं दे सकता जो बीआईएस प्रमाणित हेलमेट दे सकता है. लिहाजा गैर-आईएसआई और गैर-बीआईएस मार्क के हेलमेट दुर्घटना के दौरान सिर के बचाव में सहायक नहीं हैं. साथ ही बताया कि जब परिवहन विभाग द्वारा चेकिंग अभियान चलाया जाता है तो उस दौरान हेलमेट के मार्ग पर जरूर ध्यान दिया जाता है. साथ ही लोगों को जागरूक भी किया जाता है. यही नहीं, अधिकतर यही देखा गया है कि हेलमेट ना लगाने की वजह से डेथ रेट बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
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चालान से बचने के लिए नहीं, अपनी सुरक्षा के लिये पहनें प्रमाणित हेलमेट
डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है, क्योंकि दोपहिया वाहन चलाते वक्त हेलमेट ही सर का बचाव करता है. लिहाजा लोगों को चाहिए कि वह मानकों के अनुरूप ही हेलमेट का इस्तेमाल करें. क्योंकि हेलमेट उनकी सुरक्षा के लिए है, लेकिन अमूमन तौर पर लोग मात्र पुलिस से बचने के लिए गैर प्रमाणित हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं. यही वजह है कि दोपहिया वाहन चालक की दुर्घटना में सर में चोट लगने के कारण मौत हो जाती है. साथ ही अशोक कुमार ने लोगों से अपील की कि जब सड़क पर चलें तो सभी सुरक्षा मानकों को अपने ध्यान में रखते हुए चलें ताकि दुर्घटना से बचा जा सके.