देहरादून: इस बार मॉनसून जाते जाते लोगों को परेशान (unseasonal rains in Uttarakhand) कर रहा है. बीते एक हफ्ते से पहाड़ से लेकर मैदान तक भारी बारिश होने से लोग बेहाल हैं. उत्तराखंड मौसम विभाग के मुताबिक आज भी उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जनपद में भारी बारिश की संभावना है. साथ ही 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है.
अंतिम दौर में मॉनसून कर रहा परेशान: मॉनसून सीजन पर उत्तराखंड में मौसम विभाग के साथ ही आपदा प्रबंधन विभाग भी बारीकी से नजर रखता है. आमतौर पर मौसम विभाग 1 जून से 30 सितंबर तक मॉनसून सीजन को मानता है. लेकिन इस बार अक्टूबर महीने के दूसरे हफ्ते में भी लौटते मॉनसून के दौरान प्रदेश भर में भारी बारिश का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं 5 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर भारी बर्फबारी भी देखने को मिल रही है.
आपको बता दें कि वैज्ञानिक पहले ही ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसमीय बदलाव की बात स्वीकार कर चुके हैं. यानी मौसम को लेकर चलने वाले चक्र में अंतर देखने को मिल रहा है. गर्मी का मौसम का समय बढ़ रहा है, तो सर्दियों का समय कम होने का भी आकलन किया जा रहा है. उधर, बरसात के महीने में भी अंतर देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड में इस बार मॉनसून बारिश के पैटर्न में बदलाव हुआ है.
उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देशभर के कई राज्यों में मॉनसून की विदाई के दौरान भारी बारिश देखने को मिल रही है. मॉनसून सीजन के दौरान जिन राज्यों में कम बारिश देखने को मिली, वहां भी अक्टूबर महीने में तेज बारिश की तस्वीरें दिखाई दे रही है. माना जा रहा है कि मौसमी चक्र में आए बदलाव के कारण अक्टूबर महीने में कई जगहों पर भारी बारिश का प्रकोप देखने को मिल रहा है और इसका सीधा असर सामान्य जनजीवन के साथ खेती पर भी दिखाई दे रहा है.
उत्तराखंड में 40 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक खेती में नुकसान का आकलन किया गया है. अक्टूबर महीने में पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश दिखाई दे रही है. देहरादून जिले में करीब 40 फीसदी तक फसल को नुकसान होने का आकलन किया गया है. अब तक कृषि विभाग 80 हेक्टेयर धान की फसल खराब होने का आकलन कर चुका है. प्रदेश में पहाड़ी जनपदों में सब्जियां खराब हो रही हैं तो मैदानी जिलों में धान की खड़ी खेती पर तेज बारिश का असर देखने को मिल रहा है. बेमौसम बारिश के कारण सबसे ज्यादा नुकसान धान को हुआ है और कृषि विभाग फिलहाल इस नुकसान के आकलन में जुटा हुआ है.
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मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह (unseasonal rains in Uttarakhand) कहते हैं कि जल्द ही इस भारी बारिश से राहत मिलेगी और आने वाले 24 से 48 घंटों में इसमें कमी देखने को मिलेगी. इस दौरान मॉनसून का असर आने वाले 15 अक्टूबर से कम दिखाई देने लगेगा. मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह कहते हैं कि इस बार मौसम के पैटर्न में कुछ बदलाव देखने को मिला है. मॉनसून के शुरुआती महीने में कम बारिश देखने को मिली. इसी तरह जाते मौसम के दौरान सितंबर के पहले हफ्ते में भी बारिश कम हुई. इसके बावजूद बारिश का ओवरआल आकलन सामान्य दिखाई दे रहा है.
ऊंचे स्थानों पर बर्फबारी से ग्लेशियर्स की सेहत में सुधार होने की बात कही जा रही है. लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण बारिश में असंतुलन की स्थिति दिखाई दे रही है. कहीं पर उम्मीद से ज्यादा बारिश हो रही है, तो कहीं पर सामान्य से भी कम बारिश रिकॉर्ड की जा रही है. इससे क्षेत्रीय लिहाज से मौसम का असंतुलन हो रहा है. जिसका सीधा असर सामान्य जनजीवन पर भी दिखाई दे रहा है.