प्रयागराज/देहरादून: गैर कानूनी धर्मांतरण मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर कहा कि, आरोपी नदीम के खिलाफ मुजफ्फरनगर में दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में धर्मांतरण कराने के साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसलिए पुलिस ने याची के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 504 और 506 के अंतर्गत आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया है.
सरकार ने की याचिका खारिज करने की मांग
राज्य सरकार ने कहा है कि याची का मामला धर्मांतरण से जुड़ा नहीं है. इसलिए इसे जनहित याचिका की सुनवाई से अलग किया जाए. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी नदीम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है. साथ ही कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करने की मांग की है.
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार के इस हलफनामे पर विचार नहीं किया और सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति एस एस शमशेरी की खंडपीठ ने उत्तराखंड के हरिद्वार निवासी नदीम की याचिका पर दिया है.
पढ़ें: बदरीनाथ धाम की राह होगी आसान, लामबगड़ स्लाइड जोन का हुआ परमानेंट ट्रीटमेंट
क्या है मामला
याची के खिलाफ मुजफ्फरनगर में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. जिसमे आरोप लगाया गया है कि याची शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ अवैध संबंध बना रखे हैं और धर्मांतरण का दबाव बना रहा है. लेकिन, पुलिस विवेचना मे धर्मांतरण के आरोप के साक्ष्य नहीं मिले हैं. पुलिस ने चमकाने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है.