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बूढ़ी आंखों में तैरते ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष के पल, बेटे ने भी दिया देश के लिए बलिदान

93 साल की स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी का संघर्ष भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ओम कुमारी महज 15 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़ी थी.

Dehradun news
freedom fighter Om Kumari
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Published : Aug 15, 2020, 6:20 AM IST

Updated : Aug 17, 2020, 11:47 AM IST

देहरादून: आजादी की अहमियत शायद आज की पीढ़ी उतना ने समझे, लेकिन स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वालों को इसकी कीमत बखूबी पता है. ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष में तब अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले आजादी के मतवालों ने अपनी जिंदगियां भी दी और जवानी भी. देहरादून में ओम कुमारी का संघर्ष भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ओम कुमारी आज 93 साल की हो गईं हैं और संभवतः देहरादून शहर में वो एक मात्र फ्रीडम फाइटर हैं, जो प्रेरणा स्रोत के रूप में हमारे बीच मौजूद हैं. स्वतंत्रता दिवस पर प्रेरणा देती ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

93 साल की स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी का संघर्ष की कहानी.

देश इस साल 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, लेकिन 15 अगस्त के इस ऐतिहासिक दिन से पहले भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह को भी याद किया गया. ये दिन देहरादून में रह रही ओम कुमारी के लिए बेहद खास है.

freedom fighter Om Kumari
ओम कुमारी.

15 साल की उम्र में आजादी के आंदोलन में कूदी

साल 1927 में दिल्ली में जन्मी ओम कुमारी के जीवन को भारत छोड़ो आंदोलन ने बदलकर रख दिया था. भारत छोड़ो आंदोलन साल 1942 को शुरू हुआ जब ओम कुमारी की उम्र महज 15 साल की थी. इतनी छोटी उम्र में ही ओम कुमारी स्वतंत्रता के आंदोलन में कूद पड़ी थी. अंग्रेजी हुकूमत से आजादी की लड़ाई में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाली स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी 93 बसंत देख चुकी हैं, लेकिन आज भी उनके दिमाग में उस समय की सभी यादें ताजा हैं.

freedom fighter Om Kumari
पुरानी यादें.

सेना को देती थी अंग्रेजों की गुप्त सूचनाएं

स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी ने अपनी सहेलियों के साथ आजादी की जंग में संघर्ष के कई दौर देखे. इस दौरान ओम कुमारी और उनकी सहेलियां गुप्त सूचनाएं आंदोलनकारियों तक पहुंचाती थी. अंग्रेजों की सूचनाएं सेनानियों तक पहुंचाने समेत संदेशों को एक जगह से दूसरे सेनानी तक पहुंचाने में भी उनकी युवा टीम ने अहम रोल निभाया.

freedom fighter Om Kumari
ओम कुमारी ने भारत को गुलाम से स्वतंत्र होते देखा है.

देश की खातिर जेल भी गईं ओम कुमारी

ओम कुमारी उस समय की बातें याद करते हुए कहती हैं कि अपनी कुछ सहेलियों और क्लास टीचर के साथ उन्होंने अंग्रेजों का खूब विरोध किया. उनको मीटिंग नहीं करने देती थी. स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी ने बताया की जब अंग्रेजों ने उनको जेल डाला था, तो वह आजादी के गानों को गाया करती थी. लगातार वे जेलों में भारत अंग्रेजों भारत छोड़ो और वंदे मातरम जैसे नारे जोर-शोर से लगाती थी.

freedom fighter Om Kumari
पुरानी यादें.

पढ़ें- स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है देश, आत्मनिर्भरता दुनिया से अलगाव नहीं : कोविंद

उनका सपना साकार हुआ- ओम कुमारी

फ्रीडम फाइटर ओम कुमारी कहती है कि उन्होंने एक सपना देखा था कि देश में कोई भूखा न रहे, सभी के पास रोजगार हो. वे कहती है कि आजादी की जंग लड़ते हुए उन्होंने यही सोचा था कि उनके भारत में गरीबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसी समस्या न हो, सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं मिले. 93 साल की ओम कुमारी कहती है कि उनका सपना साकार हुआ है और देश आगे बढ़ रहा है.

freedom fighter Om Kumari
स्कूली बच्चों संग ओम कुमारी.

ओम कुमारी का इतनी छोटी उम्र में स्वतंत्रता के आंदोलन में कूदने का एक कारण उनके घर का माहौल भी था. ओम कुमारी बताती है कि घर पर उनके पिता आजादी के आंदोलन के बारे में उन्हें बताया करते थे और कई बड़े स्वतंत्रता सेनानियों का भी उनके घर आना-जाना था. यही नहीं उनके स्कूल में भी स्वतंत्रता की मशाल जलाने की ही बातें होती थी.

freedom fighter Om Kumari
ओम कुमारी की पुरानी यादें.

ओम कुमारी का पूरा परिवार देश सेवा में रहा

ओम कुमारी का पूरा परिवार देश सेवा में रहा है. पति श्रीराम सेना में कर्नल थे और बेटा सुनील कुमार वशिष्ठ सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर रहते हुए साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश के लिए ही कुर्बान हो गया. स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी की बेटी ऊषा गौड़ कहती है कि उन्होंने अपनी मां से अनुशासन में रहना सीखा. इसके साथ ही कैसे विपरीत परिस्थितियों से लड़ा जाता है, वह भी मां ने सिखाया.

ओम कुमारी की बेटी होने पर गर्व- ऊषा गौड़

ऊषा गौड़ कहती है कि बचपन से लेकर आज तक उनकी मां ने कभी यह नहीं बोला कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की लड़ाई लड़ी है, बल्कि दूसरे लोगों ने आकर बताया कि उनकी मां ने कैसे देश की आजादी के लिए जंग में हिस्सा लिया था. उषा कहती है कि उन्हें ऐसी मां की बेटी होने पर फक्र है.

देहरादून: आजादी की अहमियत शायद आज की पीढ़ी उतना ने समझे, लेकिन स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वालों को इसकी कीमत बखूबी पता है. ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष में तब अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले आजादी के मतवालों ने अपनी जिंदगियां भी दी और जवानी भी. देहरादून में ओम कुमारी का संघर्ष भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ओम कुमारी आज 93 साल की हो गईं हैं और संभवतः देहरादून शहर में वो एक मात्र फ्रीडम फाइटर हैं, जो प्रेरणा स्रोत के रूप में हमारे बीच मौजूद हैं. स्वतंत्रता दिवस पर प्रेरणा देती ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

93 साल की स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी का संघर्ष की कहानी.

देश इस साल 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, लेकिन 15 अगस्त के इस ऐतिहासिक दिन से पहले भारत छोड़ो आंदोलन की सालगिरह को भी याद किया गया. ये दिन देहरादून में रह रही ओम कुमारी के लिए बेहद खास है.

freedom fighter Om Kumari
ओम कुमारी.

15 साल की उम्र में आजादी के आंदोलन में कूदी

साल 1927 में दिल्ली में जन्मी ओम कुमारी के जीवन को भारत छोड़ो आंदोलन ने बदलकर रख दिया था. भारत छोड़ो आंदोलन साल 1942 को शुरू हुआ जब ओम कुमारी की उम्र महज 15 साल की थी. इतनी छोटी उम्र में ही ओम कुमारी स्वतंत्रता के आंदोलन में कूद पड़ी थी. अंग्रेजी हुकूमत से आजादी की लड़ाई में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाली स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी 93 बसंत देख चुकी हैं, लेकिन आज भी उनके दिमाग में उस समय की सभी यादें ताजा हैं.

freedom fighter Om Kumari
पुरानी यादें.

सेना को देती थी अंग्रेजों की गुप्त सूचनाएं

स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी ने अपनी सहेलियों के साथ आजादी की जंग में संघर्ष के कई दौर देखे. इस दौरान ओम कुमारी और उनकी सहेलियां गुप्त सूचनाएं आंदोलनकारियों तक पहुंचाती थी. अंग्रेजों की सूचनाएं सेनानियों तक पहुंचाने समेत संदेशों को एक जगह से दूसरे सेनानी तक पहुंचाने में भी उनकी युवा टीम ने अहम रोल निभाया.

freedom fighter Om Kumari
ओम कुमारी ने भारत को गुलाम से स्वतंत्र होते देखा है.

देश की खातिर जेल भी गईं ओम कुमारी

ओम कुमारी उस समय की बातें याद करते हुए कहती हैं कि अपनी कुछ सहेलियों और क्लास टीचर के साथ उन्होंने अंग्रेजों का खूब विरोध किया. उनको मीटिंग नहीं करने देती थी. स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी ने बताया की जब अंग्रेजों ने उनको जेल डाला था, तो वह आजादी के गानों को गाया करती थी. लगातार वे जेलों में भारत अंग्रेजों भारत छोड़ो और वंदे मातरम जैसे नारे जोर-शोर से लगाती थी.

freedom fighter Om Kumari
पुरानी यादें.

पढ़ें- स्वास्थ्य-कर्मियों का ऋणी है देश, आत्मनिर्भरता दुनिया से अलगाव नहीं : कोविंद

उनका सपना साकार हुआ- ओम कुमारी

फ्रीडम फाइटर ओम कुमारी कहती है कि उन्होंने एक सपना देखा था कि देश में कोई भूखा न रहे, सभी के पास रोजगार हो. वे कहती है कि आजादी की जंग लड़ते हुए उन्होंने यही सोचा था कि उनके भारत में गरीबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसी समस्या न हो, सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं मिले. 93 साल की ओम कुमारी कहती है कि उनका सपना साकार हुआ है और देश आगे बढ़ रहा है.

freedom fighter Om Kumari
स्कूली बच्चों संग ओम कुमारी.

ओम कुमारी का इतनी छोटी उम्र में स्वतंत्रता के आंदोलन में कूदने का एक कारण उनके घर का माहौल भी था. ओम कुमारी बताती है कि घर पर उनके पिता आजादी के आंदोलन के बारे में उन्हें बताया करते थे और कई बड़े स्वतंत्रता सेनानियों का भी उनके घर आना-जाना था. यही नहीं उनके स्कूल में भी स्वतंत्रता की मशाल जलाने की ही बातें होती थी.

freedom fighter Om Kumari
ओम कुमारी की पुरानी यादें.

ओम कुमारी का पूरा परिवार देश सेवा में रहा

ओम कुमारी का पूरा परिवार देश सेवा में रहा है. पति श्रीराम सेना में कर्नल थे और बेटा सुनील कुमार वशिष्ठ सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर रहते हुए साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश के लिए ही कुर्बान हो गया. स्वतंत्रता सेनानी ओम कुमारी की बेटी ऊषा गौड़ कहती है कि उन्होंने अपनी मां से अनुशासन में रहना सीखा. इसके साथ ही कैसे विपरीत परिस्थितियों से लड़ा जाता है, वह भी मां ने सिखाया.

ओम कुमारी की बेटी होने पर गर्व- ऊषा गौड़

ऊषा गौड़ कहती है कि बचपन से लेकर आज तक उनकी मां ने कभी यह नहीं बोला कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की लड़ाई लड़ी है, बल्कि दूसरे लोगों ने आकर बताया कि उनकी मां ने कैसे देश की आजादी के लिए जंग में हिस्सा लिया था. उषा कहती है कि उन्हें ऐसी मां की बेटी होने पर फक्र है.

Last Updated : Aug 17, 2020, 11:47 AM IST
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