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कैसे मॉडर्न होगी उत्तराखंड की मित्र पुलिस, बजट पर केंद्र सरकार ने चलाई कैंची!

उत्तराखंड पुलिस को मॉर्डन बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन इस बीच केंद्र सरकार द्वारा पुलिस मॉर्डनाइजेशन स्कीम के तहत उत्तराखंड को दी जाने वाली बजट में कटौती कर दी है. जिसकी वजह से उत्तराखंड में मॉर्डन पुलिसिंग के सपने को बड़ा झटका लगा है.

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Published : Nov 20, 2022, 8:05 PM IST

Updated : Nov 20, 2022, 9:34 PM IST

देहरादून: बदलते समय के साथ-साथ पुलिस और आपराधियों के बीच तकनीक को लेकर एक प्रतिस्पर्धा सी दिखने लगी है. शायद यही कारण है कि विभिन्न विभागों की तरह पुलिस महकमा भी खुद को तकनीकी रूप से मजबूत करने में जुटा हुआ है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी बजट का पर्याप्त रूप में ना मिलना है. जिसे केंद्र ने पुलिस मॉर्डनाइजेशन स्कीम के तहत दी जाने वाली बजट में कटौती कर और बढ़ा दिया है.

देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी साल दर साल आपराधिक घटनाओं में इजाफा हो रहा है. इसके साथ ही अपराधियों ने अपराध के तरीकों को भी बदला है. वहीं, वित्तीय और साइबर अपराध ने पुलिस की मुसीबत और बढ़ा दी है. आंकड़ों के रूप में देखे तो आईपीसी और विशेष स्थानीय कानून के तहत राज्य में 2021 के दौरान कुल 34875 मामले दर्ज हुए. 2020 में ये आंकड़ा 57332 था तो 2019 में 29268 मामले दर्ज किए गए थे.

कैसे मॉडर्न होगी उत्तराखंड की मित्र पुलिस.

पढ़ें- उत्तराखंड में नहीं सुलझ रहा 4 हजार से ज्यादा शवों का रहस्य, Unidentified डेड बॉडीज बनीं पहेली

इन बढ़ते आंकड़ों के बावजूद के प्रदेश में मॉर्डन पुलिसिंग को लेकर बजट की उपलब्धता नहीं दिखाई दे रही है. उधर, केंद्र सरकार ने भी पुलिस मॉर्डनाइजेशन के तहत केंद्र से मिलने वाले बजट पर कैंची चला दी है. हालांकि, उत्तराखंड पुलिस में अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन कहते हैं कि केंद्र सरकार राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर बजट का आवंटन करती है. जिन राज्यों को केंद्र सिक्योरिटी के लिहाज से अधिक संवेदनशील समझती है, उन्हें उसी लिहाज से बजट दिया जाता है.

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पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का हाल.

केंद्र राज्यों को राष्ट्रीय महत्व सुरक्षा के लिहाज से बजट का आवंटन करता है. उत्तराखंड भी संवेदनशील राज्यों में ही शुमार है, ऐसा इसलिए क्योंकि चीन और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं उत्तराखंड से जुड़ती है. जाहिर है कि विभिन्न आपराधिक गतिविधियां, तस्करी जैसे गंभीर मामलों को लेकर उत्तराखंड काफी संवेदनशील है. अब जानिए केंद्र सरकार से बजट की दरकार के बीच पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का क्या हाल है?

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पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का हाल.

पढ़ें- डायल 112 के कंट्रोल रूम में रील्स बनाने का मामला, जांच के आदेश

पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का हाल: उत्तराखंड को एसडीआरएफ और बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (Border Area Development Program) के लिए बजट तो मिला, लेकिन पुलिस को मॉडर्न करने के लिए पिछले 3 सालों में नाम मात्र बजट मिल पाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की एनुअल रिपोर्ट इस बात को जाहिर कर रही है. उधर, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले कुछ सालों में अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. खास तौर पर वित्तीय और साइबर अपराध को रोकने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. मौजूदा जरूरतों को देखें तो ऐसी कई बातें हैं, जिस पर पुलिस को सक्षम बनाने की जरूरत है.

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मॉर्डनाइजेशन पुलिस के लिए जरूरत.

मॉर्डनाइजेशन पुलिस के लिए जरूरत: उत्तराखंड पुलिस मॉडलाइजेशन को लेकर बजट पर विशेषज्ञ कहते हैं कि जिस तरह अपराध बढ़ रहे हैं, उस पर बजट का भी बढ़ना जरूरी है. ताकि पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे रह सके. आज विभिन्न घटनाओं में जिस तरह विदेशी पिस्टल और एके 47 समेत हाईटेक हथियारों का प्रयोग अपराधी कर रहे हैं. साथ ही दूसरी तकनीक से भी अपराधी खुद को पुलिस से दूर रख रहे हैं, उसके चलते यह और भी जरूरी हो जाता है कि पुलिस अपराधियों से तकनीकी रूप से खुद को आगे रखे.

देहरादून: बदलते समय के साथ-साथ पुलिस और आपराधियों के बीच तकनीक को लेकर एक प्रतिस्पर्धा सी दिखने लगी है. शायद यही कारण है कि विभिन्न विभागों की तरह पुलिस महकमा भी खुद को तकनीकी रूप से मजबूत करने में जुटा हुआ है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी परेशानी बजट का पर्याप्त रूप में ना मिलना है. जिसे केंद्र ने पुलिस मॉर्डनाइजेशन स्कीम के तहत दी जाने वाली बजट में कटौती कर और बढ़ा दिया है.

देश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी साल दर साल आपराधिक घटनाओं में इजाफा हो रहा है. इसके साथ ही अपराधियों ने अपराध के तरीकों को भी बदला है. वहीं, वित्तीय और साइबर अपराध ने पुलिस की मुसीबत और बढ़ा दी है. आंकड़ों के रूप में देखे तो आईपीसी और विशेष स्थानीय कानून के तहत राज्य में 2021 के दौरान कुल 34875 मामले दर्ज हुए. 2020 में ये आंकड़ा 57332 था तो 2019 में 29268 मामले दर्ज किए गए थे.

कैसे मॉडर्न होगी उत्तराखंड की मित्र पुलिस.

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इन बढ़ते आंकड़ों के बावजूद के प्रदेश में मॉर्डन पुलिसिंग को लेकर बजट की उपलब्धता नहीं दिखाई दे रही है. उधर, केंद्र सरकार ने भी पुलिस मॉर्डनाइजेशन के तहत केंद्र से मिलने वाले बजट पर कैंची चला दी है. हालांकि, उत्तराखंड पुलिस में अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था वी मुरुगेशन कहते हैं कि केंद्र सरकार राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर बजट का आवंटन करती है. जिन राज्यों को केंद्र सिक्योरिटी के लिहाज से अधिक संवेदनशील समझती है, उन्हें उसी लिहाज से बजट दिया जाता है.

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पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का हाल.

केंद्र राज्यों को राष्ट्रीय महत्व सुरक्षा के लिहाज से बजट का आवंटन करता है. उत्तराखंड भी संवेदनशील राज्यों में ही शुमार है, ऐसा इसलिए क्योंकि चीन और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं उत्तराखंड से जुड़ती है. जाहिर है कि विभिन्न आपराधिक गतिविधियां, तस्करी जैसे गंभीर मामलों को लेकर उत्तराखंड काफी संवेदनशील है. अब जानिए केंद्र सरकार से बजट की दरकार के बीच पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का क्या हाल है?

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पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का हाल.

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पुलिस मॉर्डनाइजेशन के बजट का हाल: उत्तराखंड को एसडीआरएफ और बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (Border Area Development Program) के लिए बजट तो मिला, लेकिन पुलिस को मॉडर्न करने के लिए पिछले 3 सालों में नाम मात्र बजट मिल पाया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की एनुअल रिपोर्ट इस बात को जाहिर कर रही है. उधर, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले कुछ सालों में अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. खास तौर पर वित्तीय और साइबर अपराध को रोकने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. मौजूदा जरूरतों को देखें तो ऐसी कई बातें हैं, जिस पर पुलिस को सक्षम बनाने की जरूरत है.

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मॉर्डनाइजेशन पुलिस के लिए जरूरत.

मॉर्डनाइजेशन पुलिस के लिए जरूरत: उत्तराखंड पुलिस मॉडलाइजेशन को लेकर बजट पर विशेषज्ञ कहते हैं कि जिस तरह अपराध बढ़ रहे हैं, उस पर बजट का भी बढ़ना जरूरी है. ताकि पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे रह सके. आज विभिन्न घटनाओं में जिस तरह विदेशी पिस्टल और एके 47 समेत हाईटेक हथियारों का प्रयोग अपराधी कर रहे हैं. साथ ही दूसरी तकनीक से भी अपराधी खुद को पुलिस से दूर रख रहे हैं, उसके चलते यह और भी जरूरी हो जाता है कि पुलिस अपराधियों से तकनीकी रूप से खुद को आगे रखे.

Last Updated : Nov 20, 2022, 9:34 PM IST
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