देहरादूनः उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 29-30 अक्टूबर को आयोजित दो दिवसीय यूनिसेफ की वर्कशॉप में (UNICEF workshop in Dehradun) खासकर फेक न्यूज (Fake News Spreading) और साक्ष्य आधारित स्वस्थ्य पत्रकारिता (Evidence Based Journalism Workshop) पर फोकस किया गया. इस मौके पर यूनिसेफ इंडिया की संचार अधिकारी सोनिया सरकार (UNICEF Communication Officer Sonia Sarkar) ने फेक न्यूज से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर ईटीवी भारत से बातचीत की.
सोनिया सरकार ने बताया कि ये देहरादून में उनकी 5वीं वर्कशॉप है. अब तक वो दो हजार से ज्यादा मीडिया से जुड़े छात्रों को फेक न्यूज से बचने के गुर (Critical Appraisal Skills) सिखा चुके हैं. खासकर फेक न्यूज से कैसे बचा जाए? फेक न्यूज कैसे समाज में जहर घोल रहा है और कैसे आप एक खबर को बेहतर तरीके से सही मापदंड पर प्रकाशित कर सकते हैं? इसका छात्रों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. आगे भी इस तरह के सेमिनार और वर्कशॉप होते रहेंगे, ताकि भारत में जिस तरह से तेजी से फेक न्यूज का जहर घुल रहा है, उसे रोका जा सके और दर्शकों तक गलत जानकारी न पहुंचे.
ये भी पढ़ेंः फेक न्यूज कैसे समाज में घोल रहा जहर, सुनिए पूर्व PM के मीडिया सलाहकार पंकज पचौरी की जुबानी
बता दें कि यह वर्कशॉप यूनिसेफ, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, माखनलाल यूनिवर्सिटी समेत देश के अन्य बड़े संस्थान की ओर से आयोजित की गई थी. जिसमें देशभर के मीडिया घराने से जुड़े लोगों के साथ मासकॉम के छात्रों ने हिस्सा लिया. यह वर्कशॉप खासकर इसलिए आयोजित की गई ताकि गलत जानकारी दर्शकों तक न पहुंचे और एक पत्रकार जब भी अपनी रिपोर्ट तैयार करें तो उसमें तथ्य सही हों.
वर्कशॉप में मुख्य रूप से कोरोनाकाल में जिस तरह से वैक्सीन को लेकर अफवाह (Rumors about Covid Vaccine) फैलाई जा रही थी और उससे समाज का कैसे नुकसान हो रहा था, इस बात पर भी चर्चा की गई. इस दौरान बकायदा इसका तीन दिन का कोर्स भी करवाया गया. देशभर से आए मीडिया के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे छात्रों को इस वर्कशॉप में अहम जानकारियां दी गई.