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प्रदेश में बिजली संकट से उबरने के लिए UJVNL का ये है प्लान, कुमाऊं में होगा ये बड़ा काम

एनजीटी की तरफ से प्रदेश की जिन 24 बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाई गई है. उसमें से अधिकांश परियोजनाएं गंगा पर बनाई जा रही थी. एनजीटी का मानना है कि इन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से नदियों और पानी में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है. इसलिए इन पर रोक लगाई जानी जरूरी है.

यूजेवीएनएल
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Published : Jul 10, 2019, 10:02 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL) कुमाऊं में अलकनंदा और शारदा जैसी नदियों पर छोटी जल विद्युत परियोजना शुरू करने जा रहा है. जिसका निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा.

दरअसल, प्रदेश की लगभग 18000 मेगावाट की 24 बड़ी परियोजनाओं पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की तरफ से रोक लगी हुई है. हालांकि ये सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं. ऐसे में ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद भी उत्तराखंड में बिजली संकट बना रहता है. यही कारण है कि अब यूजेवीएनएल कुमाऊं में 5,10 और 12 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं बनाने जा रहा है.

यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा

पढ़ें- तमंचे पर डिस्कोः विधायक चैंपियन ने दी सफाई, कहा- 8 साल की उम्र से चला रहा हथियार

इस संबंध में जानकारी देते हुए यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा ने बताया कि कुमाऊं की अलकनंदा और शारदा नदी पर जल्द की छोटी जल विद्युत परियोजनाएं बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा. इसके तहत मुंस्यारी मधकोट, जौलजीबी और धौलीगंगा घाटी के पास कनचोटी में 5,10 और 12 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं तैयार की जाएगी. जिससे प्रदेश से बिजली संकट दूर होगा. साथ ही पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी रोक लग सकेगी.

पढ़ें- औली रॉयल वेडिंग: प्रदूषण बोर्ड को HC की फटकार, गुप्ता बंधुओं को शपथ पत्र पेश करने का आदेश

बता दें कि एनजीटी की तरफ से प्रदेश की जिन 24 बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाई गई है. उसमें से अधिकांश परियोजनाएं गंगा पर बनाई जा रही थी. एनजीटी का मानना है कि इन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से नदियों और पानी में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है. इसलिए इन पर रोक लगाई जानी जरूरी है.

देहरादून: उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL) कुमाऊं में अलकनंदा और शारदा जैसी नदियों पर छोटी जल विद्युत परियोजना शुरू करने जा रहा है. जिसका निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होगा.

दरअसल, प्रदेश की लगभग 18000 मेगावाट की 24 बड़ी परियोजनाओं पर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की तरफ से रोक लगी हुई है. हालांकि ये सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं. ऐसे में ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद भी उत्तराखंड में बिजली संकट बना रहता है. यही कारण है कि अब यूजेवीएनएल कुमाऊं में 5,10 और 12 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं बनाने जा रहा है.

यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा

पढ़ें- तमंचे पर डिस्कोः विधायक चैंपियन ने दी सफाई, कहा- 8 साल की उम्र से चला रहा हथियार

इस संबंध में जानकारी देते हुए यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा ने बताया कि कुमाऊं की अलकनंदा और शारदा नदी पर जल्द की छोटी जल विद्युत परियोजनाएं बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा. इसके तहत मुंस्यारी मधकोट, जौलजीबी और धौलीगंगा घाटी के पास कनचोटी में 5,10 और 12 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं तैयार की जाएगी. जिससे प्रदेश से बिजली संकट दूर होगा. साथ ही पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी रोक लग सकेगी.

पढ़ें- औली रॉयल वेडिंग: प्रदूषण बोर्ड को HC की फटकार, गुप्ता बंधुओं को शपथ पत्र पेश करने का आदेश

बता दें कि एनजीटी की तरफ से प्रदेश की जिन 24 बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाई गई है. उसमें से अधिकांश परियोजनाएं गंगा पर बनाई जा रही थी. एनजीटी का मानना है कि इन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से नदियों और पानी में रहने वाले जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है. इसलिए इन पर रोक लगाई जानी जरूरी है.

Intro:देहरादून- उत्तराखड़ जल विद्युत निगम लिमिटेड( UJVNL) जल्दी कुमाऊं मंडल की अलकनंदा और शारदा जैसी नदियों पर कुछ छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण का कार्य शुरू करने जा रहा है।

दरअसल प्रदेश की लगभग 18000 मेगावाट की 24 बड़ी परियोजनाओं पर एनजीटी की तरफ से रोक लगाई गई है । वहीं यह मामला बीते कुछ सालों से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित भी चल रहा है । ऐसे में ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद भी उत्तराखंड में बिजली संकट बना रहता है । यही कारण है कि अब यूजेवीएनएल कुमाऊं में 5 ,10, और 12 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं बनाने बनाने जा रहा है ।


Body:इस संबंध में जानकारी देते हुए यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा ने बताया की कुमाऊं की अलकनंदा और शारदा नदी पर जल्द की छोटी जल विद्युत परियोजनाए बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा । इसके तहत मुंसियारी मधकोट, जौलजीबी और धौलीगंगा घाटी के पास कनचोटी में 5,10 और 12 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं तैयार की जाएंगी । जिससे प्रदेश से बिजली संकट दूर होगा । साथ ही पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी रोक लग सकेगी।

बाइट- एस एन वर्मा प्रबंध निदेशक UJVNL


Conclusion:आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनजीटी की तरफ से प्रदेश की जिन 24 बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाई गई है उसमें से अधिकांश परियोजनाएं गंगा में बनाई जा रही थी । ऐसे में एनजीटी ने इन जल विद्युत परियोजनाओं पर इसलिए रोक लगाई क्योंकि इन जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण से नदियों और पानी मे रहने वाले जीव जंतुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा हो जाता है ।
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