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किलमोड़ा जड़ी पर उत्तराखंड के दो मंत्रियों में 'नूरा कुश्ती', तस्करी की शिकायत पर एक ने लगाई रोक, दूसरे ने खोली

Kilmora Smuggling उत्तराखंड में एक वनस्पति है किलमोड़ा. इस वनस्पति की जड़ें औषधियां बनाने के काम आती हैं. अक्सर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इसकी तस्करी के मामले भी सामने आते रहते है. इन दिनों किलमोड़ा को लेकर उत्तराखंड के दो मंत्रियों के आदेश से घमासान मचा हुआ है. किलमोड़ा पर क्यों हो रही मंत्रियों में किचकिच, पढ़िए ये खबर. Kilmora herb

smuggling of Kilmora herb
किलमोड़ा समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 9, 2023, 10:34 AM IST

Updated : Sep 12, 2023, 4:53 PM IST

किलमोड़ा की जड़ को लेकर घमासान

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में जड़ी बूटी और वनस्पतियों का बेहिसाब खजाना है. मेडिसिनल उपयोग के लिहाज से बेहद कारगर होने के चलते दुनिया भर में भी इनकी खासी डिमांड है. किलमोड़ा भी एक ऐसी ही वनस्पति है जो इन दिनों ना केवल तस्करी बल्कि दो मंत्रियों के उस आदेश को लेकर भी चर्चाओं में है, जिसने इन दोनों ही मंत्रियों को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है. हैरत की बात यह है कि एक मंत्री इस वनस्पति के सार्वजनिक उपयोग पर रोक के पक्ष में हैं तो दूसरे पुराने आदेशों को बदलकर रोक हटाने पर उतारू हैं. क्या है यह पूरा मामला और क्यों एक वनस्पति को लेकर दो मंत्रियों के दो आदेश चर्चाओं में है, पेश है ये खास रिपोर्ट.

Kilmora Smuggling
वन मंत्री सुबोध उनियाल का पत्र

उत्तराखंड में है जड़ी बूटियों का खजाना: उत्तराखंड में पाई जाने वाली वनस्पतियों का आयुर्वेदिक दवाओं के लिए उपयोग भारत में प्राचीन काल से ही होता रहा है. धीरे-धीरे दुनिया भर में भी इसकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है. स्थिति यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारी कीमतों पर इन्हे हाथों हाथ लिया जाता है. उधर इन जड़ी बूटियां की भारी डिमांड के कारण इनकी तस्करी भी की जाती है. भारत में कीड़ा जड़ी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. जिसके लिए गैंगवार तक होती है. कीड़ा जड़ी की तस्करी के दौरान कई लोग अपनी जान भी गंवा देते हैं.

Kilmora Smuggling
कृषि मंत्री गणेश जोशी का लेटर

किलमोड़ा पर दो मंत्रियों के आदेश चर्चा में: लेकिन आज बात एक ऐसी कीमती जड़ी की हो रही है जो तस्करी की शिकायतों को लेकर तो चर्चाओं में तो है ही, साथ ही उत्तराखंड के दो मंत्रियों के आदेशों को लेकर भी सुर्खियों में है. सबसे पहले ये जानिए कि किलमोड़ा नाम की इस वनस्पति को लेकर आपत्ति क्या है. जिसके कारण ये पूरा विवाद खड़ा हुआ है.

Kilmora Smuggling
किलमोड़ा के फल बेरी और जड़ औषधि है

उत्तरकाशी के लोगों ने लगाया किलमोड़ा तस्करी का आरोप: दरअसल उत्तरकाशी निवासी कुछ लोगों ने क्षेत्र में बड़ी मात्रा में किलमोड़ा की तस्करी के आरोप लगाए हैं. इतना ही नहीं इन लोगों की तरफ से बाकायदा कुछ वीडियो और फोटोग्राफ्स भी दिखाये जा रहे हैं, जिसमें किलमोड़ा को बड़ी तादाद में अवैध रूप से निकाले जाने का दावा किया गया है. इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से निजी भूमि पर अनुमति देने के बहाने जंगलों से किलमोड़ा जड़ी बूटी की तस्करी किए जाने के भी आरोप लगाए गये हैं.

Kilmora Smuggling
किलमोड़ा की जड़ें औषधि बनाने के काम आती हैं.

इसलिए उपयोगी है किलमोड़ा जड़ी: जानिए किलमोड़ा जड़ी क्यों है उपयोगी? किलमोड़ा जड़ी औषधीय गुणों वाली होती है, जिसके रिजर्व फॉरेस्ट से उपयोग पर रोक है. यानी जंगलों में मौजूद किलमोड़ा जड़ी का उपयोग नहीं किया जा सकता. इसे संकटग्रस्त वनस्पति में भी शामिल किया गया है.

किलमोड़ा जड़ी

किलमोड़ा पौधे की जड़ को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है

किलमोड़ा प्रजाति का वैज्ञानिक नाम Berberis asiatica DC है

उत्तराखंड के रामनगर में है इसकी खरीद- फरोख्त का सबसे बड़ा बाजार

भारत से दूसरे देशों में एक्सपोर्ट की जाती है किलमोड़ा की जड़

आई ड्रॉप, शुगर की दवाई, पीलिया, हाईबीपी के लिए मानी जाती है रामबाण

जंगलों में मौजूद किलमोड़ा वनस्पति के उपयोग पर है पूर्ण प्रतिबंध

निजी भूमि पर लगाने के लिए लेनी होती है अनुमति, इसी का खरीद फरोख्त में होता है उपयोग

निजी भूमि पर अनुमति का फायदा उठाकर जंगलों में मौजूद किलमोड़ा की तस्करी का आरोप

किलमोड़ा की दुनियाभर में करीब 450 प्रजातियां मौजूद

अधिकतर एशिया के देशों में बड़ी मात्रा में मौजूद है किलमोड़ा

मजबूत जड़ों के कारण जमीन के भूक्षरण को रोकने में उपयोगी

जड़ी बूटी शोध संस्थान को है इसकी अनुमति और निगरानी का जिम्मा

किलमोड़ा की जड़ से निकलता है तेल: एक अनुमान के अनुसार करीब 7 किलो किलमोड़ा की लकड़ी से करीब 150 से 200 ग्राम तेल निकलता है. जबकि बाजार में दवा कंपनियां करीब 600 रुपये किलो इस तेल को आसानी से खरीद लेती हैं. जहां तक इसकी जड़ का सवाल है तो किसान कहते हैं कि इसकी लकड़ी करीब 6000 रुपये कुंतल बाजार में बिकती है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसकी तस्करी को लेकर जिम्मेदारी संभालने वाले एक अधिकारी को पहले हटाया गया और इसकी जिम्मेदारी भेषज संघ को दे दी गई. बाद में फिर से इसी अधिकारी को निगरानी का काम दे दिया गया. उत्तरकाशी के किसान, सूचना का अधिकार के तहत लिए गए कुछ कागजों को दिखाते हुए कहते हैं कि किलमोड़ा के पौधे को विकसित करने में 6 से 8 साल लग जाते हैं, जिसके बाद इसको बाजार में बेचा जाता है. लेकिन सरकारी संस्था के अधिकारी 2 से 4 साल के भीतर एक ही किसान को उसकी भूमि पर किलमोड़ा उगाने के लिए अनुमति दे रहे हैं. इससे साफ है कि यहां कोई बड़ा हेरफेर हो रहा है.

Kilmora Smuggling
किलमोड़ा की जड़ें औषधि बनाने के काम आती हैं.

टकरा रहे हैं दो मंत्रियों के आदेश: इस मामले में कृषि मंत्री और वन मंत्री के आदेश एक दूसरे के ठीक उलट दिखाई देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि किलमोड़ा की तस्करी की शिकायत के आधार पर इस वनस्पति को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने 3 अगस्त 2023 को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के निर्देश देते हुए इसकी खरीद फरोख्त को रोके जाने के आदेश दिए. मामले में एचआरडीआई के एक वैज्ञानिक की भूमिका किसानों द्वारा संदिग्ध बताए जाने का जिक्र करते हुए इसकी तत्काल जांच के भी निर्देश दिए.
ये भी पढ़ें: Bageshwar Uttarayani Fair: उत्तरायणी मेले में सजता है जड़ी बूटियों का अनोखा बाजार, टूट पड़ते हैं खरीदार

कृषि मंत्री ने निकासी जारी रखने का आदेश दिया: लेकिन आदेश होने के करीब 10 दिन बाद ही कृषि मंत्री ने एचआरडीआई को ही पत्र लिखकर किलमोड़ा की खरीद फरोख्त को पूर्व की तरह ही जारी रखने के लिए ही कह दिया. इसको लेकर ईटीवी भारत ने जब कृषि मंत्री गणेश जोशी से सवाल किया तो उन्होंने इस विभाग के अपने कृषि मंत्रालय के अधीन होने की बात कही. साथ ही वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा अनजाने में इस पर रोक लगाए जाने का तर्क भी दे दिया.

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किलमोड़ा की निकासी पर रोक लगाई: इन्हीं बातों की गंभीरता को समझते हुए सुबोध उनियाल ने फौरन किलमोड़ा की निकासी पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए. वन मंत्री की तरफ से प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने के लिए कहा गया. वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि विभिन्न शिकायतों के आधार पर उनकी तरफ से इस जड़ी बूटी की निकासी पर रोक के निर्देश दिए गए थे. क्योंकि शोध संस्थान द्वारा निकासी के लिए वन विभाग से प्रमाण पत्र लेना होता है. लिहाजा इसको निकासी के लिए रोका गया है. मामले में वन मंत्री ने नियमत: कार्रवाई करने की बात कही.

किलमोड़ा संरक्षित प्रजाति की वनस्पति है: किल्मोड़ा जड़ी बूटी संरक्षित वनस्पतियों में से एक है. लिहाजा इसके अवैध रूप से दोहन की गंभीरता को आसानी से समझा जा सकता है. इस प्रकरण में एक तरफ कई लोग इसकी तस्करी के आरोप लगाकर इसकी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ शिकायत के आधार पर लगाई गई रोक को हटाने का भी कम हो रहा है. मामले में कई ग्रामीणों की तरफ से वन मंत्री सुबोध उनियाल से भी मुलाकात की गई. मुलाकात के दौरान स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से तस्करी होने की बात उनके सामने रखी गई.
ये भी पढ़ें: हर्षिल के प्रतिबंधित इलाके में बिना परमिशन मूर्ति के साथ पहुंचे बालकृष्ण, अधिकारियों में मचा हड़कंप

किलमोड़ा की निकासी पर ऊहापोह: किलमोड़ा जड़ी बूटी को लेकर जो स्थिति अब पैदा हो गई है, उसके बाद किसानों के लिए यह समझना मुश्किल है कि आखिरकार इस जड़ी बूटी पर मौजूदा समय में रोक है या नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ कृषि मंत्रालय के अधीन जड़ी बूटी शोध संस्थान को विभागीय मंत्री की तरफ से रोक हटाने के लिए कहा गया है. दूसरी तरफ वन विभाग के मंत्री ने इसकी निकासी के लिए विभाग द्वारा जरूरी मंजूरियों को ना देते हुए इस पर रोक के लिए कह दिया गया है. जाहिर है कि इन स्थितियों के बीच क्षेत्र में किलमोड़ा के व्यापार को लेकर दुविधा की स्थिति बन गई है.
ये भी पढ़ें: दावानल और अत्यधिक दोहन से विलुप्ति की कगार पर औषधीय पौधे, संरक्षण की दरकार

किलमोड़ा की जड़ को लेकर घमासान

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड में जड़ी बूटी और वनस्पतियों का बेहिसाब खजाना है. मेडिसिनल उपयोग के लिहाज से बेहद कारगर होने के चलते दुनिया भर में भी इनकी खासी डिमांड है. किलमोड़ा भी एक ऐसी ही वनस्पति है जो इन दिनों ना केवल तस्करी बल्कि दो मंत्रियों के उस आदेश को लेकर भी चर्चाओं में है, जिसने इन दोनों ही मंत्रियों को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है. हैरत की बात यह है कि एक मंत्री इस वनस्पति के सार्वजनिक उपयोग पर रोक के पक्ष में हैं तो दूसरे पुराने आदेशों को बदलकर रोक हटाने पर उतारू हैं. क्या है यह पूरा मामला और क्यों एक वनस्पति को लेकर दो मंत्रियों के दो आदेश चर्चाओं में है, पेश है ये खास रिपोर्ट.

Kilmora Smuggling
वन मंत्री सुबोध उनियाल का पत्र

उत्तराखंड में है जड़ी बूटियों का खजाना: उत्तराखंड में पाई जाने वाली वनस्पतियों का आयुर्वेदिक दवाओं के लिए उपयोग भारत में प्राचीन काल से ही होता रहा है. धीरे-धीरे दुनिया भर में भी इसकी डिमांड तेजी से बढ़ रही है. स्थिति यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारी कीमतों पर इन्हे हाथों हाथ लिया जाता है. उधर इन जड़ी बूटियां की भारी डिमांड के कारण इनकी तस्करी भी की जाती है. भारत में कीड़ा जड़ी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. जिसके लिए गैंगवार तक होती है. कीड़ा जड़ी की तस्करी के दौरान कई लोग अपनी जान भी गंवा देते हैं.

Kilmora Smuggling
कृषि मंत्री गणेश जोशी का लेटर

किलमोड़ा पर दो मंत्रियों के आदेश चर्चा में: लेकिन आज बात एक ऐसी कीमती जड़ी की हो रही है जो तस्करी की शिकायतों को लेकर तो चर्चाओं में तो है ही, साथ ही उत्तराखंड के दो मंत्रियों के आदेशों को लेकर भी सुर्खियों में है. सबसे पहले ये जानिए कि किलमोड़ा नाम की इस वनस्पति को लेकर आपत्ति क्या है. जिसके कारण ये पूरा विवाद खड़ा हुआ है.

Kilmora Smuggling
किलमोड़ा के फल बेरी और जड़ औषधि है

उत्तरकाशी के लोगों ने लगाया किलमोड़ा तस्करी का आरोप: दरअसल उत्तरकाशी निवासी कुछ लोगों ने क्षेत्र में बड़ी मात्रा में किलमोड़ा की तस्करी के आरोप लगाए हैं. इतना ही नहीं इन लोगों की तरफ से बाकायदा कुछ वीडियो और फोटोग्राफ्स भी दिखाये जा रहे हैं, जिसमें किलमोड़ा को बड़ी तादाद में अवैध रूप से निकाले जाने का दावा किया गया है. इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से निजी भूमि पर अनुमति देने के बहाने जंगलों से किलमोड़ा जड़ी बूटी की तस्करी किए जाने के भी आरोप लगाए गये हैं.

Kilmora Smuggling
किलमोड़ा की जड़ें औषधि बनाने के काम आती हैं.

इसलिए उपयोगी है किलमोड़ा जड़ी: जानिए किलमोड़ा जड़ी क्यों है उपयोगी? किलमोड़ा जड़ी औषधीय गुणों वाली होती है, जिसके रिजर्व फॉरेस्ट से उपयोग पर रोक है. यानी जंगलों में मौजूद किलमोड़ा जड़ी का उपयोग नहीं किया जा सकता. इसे संकटग्रस्त वनस्पति में भी शामिल किया गया है.

किलमोड़ा जड़ी

किलमोड़ा पौधे की जड़ को औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है

किलमोड़ा प्रजाति का वैज्ञानिक नाम Berberis asiatica DC है

उत्तराखंड के रामनगर में है इसकी खरीद- फरोख्त का सबसे बड़ा बाजार

भारत से दूसरे देशों में एक्सपोर्ट की जाती है किलमोड़ा की जड़

आई ड्रॉप, शुगर की दवाई, पीलिया, हाईबीपी के लिए मानी जाती है रामबाण

जंगलों में मौजूद किलमोड़ा वनस्पति के उपयोग पर है पूर्ण प्रतिबंध

निजी भूमि पर लगाने के लिए लेनी होती है अनुमति, इसी का खरीद फरोख्त में होता है उपयोग

निजी भूमि पर अनुमति का फायदा उठाकर जंगलों में मौजूद किलमोड़ा की तस्करी का आरोप

किलमोड़ा की दुनियाभर में करीब 450 प्रजातियां मौजूद

अधिकतर एशिया के देशों में बड़ी मात्रा में मौजूद है किलमोड़ा

मजबूत जड़ों के कारण जमीन के भूक्षरण को रोकने में उपयोगी

जड़ी बूटी शोध संस्थान को है इसकी अनुमति और निगरानी का जिम्मा

किलमोड़ा की जड़ से निकलता है तेल: एक अनुमान के अनुसार करीब 7 किलो किलमोड़ा की लकड़ी से करीब 150 से 200 ग्राम तेल निकलता है. जबकि बाजार में दवा कंपनियां करीब 600 रुपये किलो इस तेल को आसानी से खरीद लेती हैं. जहां तक इसकी जड़ का सवाल है तो किसान कहते हैं कि इसकी लकड़ी करीब 6000 रुपये कुंतल बाजार में बिकती है. आरोप लगाया जा रहा है कि इसकी तस्करी को लेकर जिम्मेदारी संभालने वाले एक अधिकारी को पहले हटाया गया और इसकी जिम्मेदारी भेषज संघ को दे दी गई. बाद में फिर से इसी अधिकारी को निगरानी का काम दे दिया गया. उत्तरकाशी के किसान, सूचना का अधिकार के तहत लिए गए कुछ कागजों को दिखाते हुए कहते हैं कि किलमोड़ा के पौधे को विकसित करने में 6 से 8 साल लग जाते हैं, जिसके बाद इसको बाजार में बेचा जाता है. लेकिन सरकारी संस्था के अधिकारी 2 से 4 साल के भीतर एक ही किसान को उसकी भूमि पर किलमोड़ा उगाने के लिए अनुमति दे रहे हैं. इससे साफ है कि यहां कोई बड़ा हेरफेर हो रहा है.

Kilmora Smuggling
किलमोड़ा की जड़ें औषधि बनाने के काम आती हैं.

टकरा रहे हैं दो मंत्रियों के आदेश: इस मामले में कृषि मंत्री और वन मंत्री के आदेश एक दूसरे के ठीक उलट दिखाई देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि किलमोड़ा की तस्करी की शिकायत के आधार पर इस वनस्पति को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने 3 अगस्त 2023 को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के निर्देश देते हुए इसकी खरीद फरोख्त को रोके जाने के आदेश दिए. मामले में एचआरडीआई के एक वैज्ञानिक की भूमिका किसानों द्वारा संदिग्ध बताए जाने का जिक्र करते हुए इसकी तत्काल जांच के भी निर्देश दिए.
ये भी पढ़ें: Bageshwar Uttarayani Fair: उत्तरायणी मेले में सजता है जड़ी बूटियों का अनोखा बाजार, टूट पड़ते हैं खरीदार

कृषि मंत्री ने निकासी जारी रखने का आदेश दिया: लेकिन आदेश होने के करीब 10 दिन बाद ही कृषि मंत्री ने एचआरडीआई को ही पत्र लिखकर किलमोड़ा की खरीद फरोख्त को पूर्व की तरह ही जारी रखने के लिए ही कह दिया. इसको लेकर ईटीवी भारत ने जब कृषि मंत्री गणेश जोशी से सवाल किया तो उन्होंने इस विभाग के अपने कृषि मंत्रालय के अधीन होने की बात कही. साथ ही वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा अनजाने में इस पर रोक लगाए जाने का तर्क भी दे दिया.

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने किलमोड़ा की निकासी पर रोक लगाई: इन्हीं बातों की गंभीरता को समझते हुए सुबोध उनियाल ने फौरन किलमोड़ा की निकासी पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए. वन मंत्री की तरफ से प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने के लिए कहा गया. वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि विभिन्न शिकायतों के आधार पर उनकी तरफ से इस जड़ी बूटी की निकासी पर रोक के निर्देश दिए गए थे. क्योंकि शोध संस्थान द्वारा निकासी के लिए वन विभाग से प्रमाण पत्र लेना होता है. लिहाजा इसको निकासी के लिए रोका गया है. मामले में वन मंत्री ने नियमत: कार्रवाई करने की बात कही.

किलमोड़ा संरक्षित प्रजाति की वनस्पति है: किल्मोड़ा जड़ी बूटी संरक्षित वनस्पतियों में से एक है. लिहाजा इसके अवैध रूप से दोहन की गंभीरता को आसानी से समझा जा सकता है. इस प्रकरण में एक तरफ कई लोग इसकी तस्करी के आरोप लगाकर इसकी निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ शिकायत के आधार पर लगाई गई रोक को हटाने का भी कम हो रहा है. मामले में कई ग्रामीणों की तरफ से वन मंत्री सुबोध उनियाल से भी मुलाकात की गई. मुलाकात के दौरान स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से तस्करी होने की बात उनके सामने रखी गई.
ये भी पढ़ें: हर्षिल के प्रतिबंधित इलाके में बिना परमिशन मूर्ति के साथ पहुंचे बालकृष्ण, अधिकारियों में मचा हड़कंप

किलमोड़ा की निकासी पर ऊहापोह: किलमोड़ा जड़ी बूटी को लेकर जो स्थिति अब पैदा हो गई है, उसके बाद किसानों के लिए यह समझना मुश्किल है कि आखिरकार इस जड़ी बूटी पर मौजूदा समय में रोक है या नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ कृषि मंत्रालय के अधीन जड़ी बूटी शोध संस्थान को विभागीय मंत्री की तरफ से रोक हटाने के लिए कहा गया है. दूसरी तरफ वन विभाग के मंत्री ने इसकी निकासी के लिए विभाग द्वारा जरूरी मंजूरियों को ना देते हुए इस पर रोक के लिए कह दिया गया है. जाहिर है कि इन स्थितियों के बीच क्षेत्र में किलमोड़ा के व्यापार को लेकर दुविधा की स्थिति बन गई है.
ये भी पढ़ें: दावानल और अत्यधिक दोहन से विलुप्ति की कगार पर औषधीय पौधे, संरक्षण की दरकार

Last Updated : Sep 12, 2023, 4:53 PM IST
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