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पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में खोली जाएंगी मंडिया

उत्तराखंड में आत्मनिर्भर उत्तराखंड योजना के तहत पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने की कवायद शुरू करने की तैयारी है. उद्यान एवं कृषि कल्याण सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि प्रदेश में पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दो मंडियां खोली जाएंगी.

Uttarakhand Government
देहरादून
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Published : Mar 5, 2022, 9:26 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड शासन अब सूबे में पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर उत्तराखंड योजना के तहत कार्ययोजना तैयार कर रहा है. इस कार्ययोजना के तहत आगामी वित्तीय वर्ष में बजट व्यवस्था भी की जाएगी. साथ ही इस योजना के तहत उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में पुष्प उत्पादन के बाद बाजार उपलब्ध करवाने के लिए दो मंडिया खोली जाएंगी.

कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी या रामनगर में और गढ़वाल मंडल के लिए ऋषिकेश में मंडी खोलने की योजना है. दिल्ली मंडी में जाने वाले फूलों के लिए भी काश्तकारों की मांग पर शासन और नीति आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है. साथ ही काठगोदाम रेलवे स्टेशन में एक कैरियर उपलब्ध करवाने के लिए भी रेल मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है.

पढ़ें- यूक्रेन संकट : भारतीयों की निकासी पर चर्चा को मोदी ने बुलाई एक और बैठक

उद्यान व कृषि कल्याण सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि कोरोनाकाल के चलते प्रदेश में फूलों के उत्पादन और इसके व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. कोरोनाकाल में मंदिर, शादियां और सभी आयोजन बंद थे. इसके साथ ही प्रदेश में पुष्प मंडी न होने के कारण उत्तराखंड से पहले फूल दिल्ली मंडी जाते थे. उसके बाद वहां से ही वापस प्रदेश में बेचने के लिए आते थे. इसको देखते हुए अब आत्मनिर्भर उत्तराखंड योजना के तहत 3 और 5 साल के लिए टारगेट तैयार किया गया है. इस योजना में पुष्प उत्पादन के लिए भी विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है.

आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष में बजट उपलब्ध कर प्रदेश में पुष्प उत्पादन को बढ़ाने के लिए दो मंडियों का निर्माण किया जाएगा. पूर्व में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने उत्तराखंड दौरे के दौरान पुष्प उत्पादन से जुड़े काश्तकारों से मुलाकात की थी, जिसमें काश्तकारों ने मांग रखी थी कि काठगोदाम स्टेशन से मंडी तक फूल पहुंचाने के लिए रेलवे से एक कैरियर उपलब्ध करवाया जाए, जिसके लिए उत्तराखंड शासन और नीति आयोग की और से रेल मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है. जिस पर जल्द ही परिणाम आ जाएंगे.

बता दें, उत्तराखंड में करीब 609 हेक्टेयर भूमि पर फूलों का उत्पादन किया जाता है. प्रदेश में फूलों का व्यापार करीब 250 करोड़ का है, जिससे प्रदेश के करीब 10 हजार परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है.

देहरादून: उत्तराखंड शासन अब सूबे में पुष्प उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर उत्तराखंड योजना के तहत कार्ययोजना तैयार कर रहा है. इस कार्ययोजना के तहत आगामी वित्तीय वर्ष में बजट व्यवस्था भी की जाएगी. साथ ही इस योजना के तहत उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में पुष्प उत्पादन के बाद बाजार उपलब्ध करवाने के लिए दो मंडिया खोली जाएंगी.

कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी या रामनगर में और गढ़वाल मंडल के लिए ऋषिकेश में मंडी खोलने की योजना है. दिल्ली मंडी में जाने वाले फूलों के लिए भी काश्तकारों की मांग पर शासन और नीति आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है. साथ ही काठगोदाम रेलवे स्टेशन में एक कैरियर उपलब्ध करवाने के लिए भी रेल मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है.

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उद्यान व कृषि कल्याण सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि कोरोनाकाल के चलते प्रदेश में फूलों के उत्पादन और इसके व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. कोरोनाकाल में मंदिर, शादियां और सभी आयोजन बंद थे. इसके साथ ही प्रदेश में पुष्प मंडी न होने के कारण उत्तराखंड से पहले फूल दिल्ली मंडी जाते थे. उसके बाद वहां से ही वापस प्रदेश में बेचने के लिए आते थे. इसको देखते हुए अब आत्मनिर्भर उत्तराखंड योजना के तहत 3 और 5 साल के लिए टारगेट तैयार किया गया है. इस योजना में पुष्प उत्पादन के लिए भी विशेष कार्ययोजना तैयार की गई है.

आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष में बजट उपलब्ध कर प्रदेश में पुष्प उत्पादन को बढ़ाने के लिए दो मंडियों का निर्माण किया जाएगा. पूर्व में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने उत्तराखंड दौरे के दौरान पुष्प उत्पादन से जुड़े काश्तकारों से मुलाकात की थी, जिसमें काश्तकारों ने मांग रखी थी कि काठगोदाम स्टेशन से मंडी तक फूल पहुंचाने के लिए रेलवे से एक कैरियर उपलब्ध करवाया जाए, जिसके लिए उत्तराखंड शासन और नीति आयोग की और से रेल मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है. जिस पर जल्द ही परिणाम आ जाएंगे.

बता दें, उत्तराखंड में करीब 609 हेक्टेयर भूमि पर फूलों का उत्पादन किया जाता है. प्रदेश में फूलों का व्यापार करीब 250 करोड़ का है, जिससे प्रदेश के करीब 10 हजार परिवारों की आजीविका जुड़ी हुई है.

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