ऋषिकेशः परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हो गया है. संगोष्ठी के समापन अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, योगगुरु बाबा रामदेव, स्वामी चिदानंद सरस्वती समेत कई लोगों ने शिरकत की. इसका आयोजन डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की रचना संसार ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाएं पूरी होने किया गया था.
योग गुरु बाबा रामदेव (Yog Guru Baba Ramdev) ने कहा कि ऐसे सम्मेलन (Two Day International Seminar) सनातन संस्कृति के गौरव को प्रतिबिंबित करते हैं. हमें अपनी भाषा से नहीं, बल्कि अपने बोध, प्रतिभा और सृजना से बड़ा बनना चाहिए. हिमालय के जल, जंगल, जमीन और जवानी को गौरव प्रदान करना जरूरी है. उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि जो भी करें पूरी प्रमाणिकता के साथ करें. हमारे कार्यों में समग्रता और पूर्णता हो. योग और कर्मयोग से युक्त जीवन जीयें और योग मूलक उद्योग करें.
बाबा रामदेव ने कहा कि हमारी पहचान किसी विद्यालय या कॉलेज से नहीं होती, बल्कि खुद के व्यक्तित्व से होती है. हमारी वजह से राष्ट्र का गौरव बढ़े यह जरूरी है. उन्होंने हिमालय को सहेजने का संदेश देते हुए कहा कि हिमालय से खूबसूरत कोई स्थान नहीं है. ऐसे में लोगों को अपने गांवों और अपनी मातृभूमि की ओर लौटने की जरूरत है. उन्होंने हिमालय में 'ऋषि ग्राम' के रूप में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्राम के निर्माण की घोषणा भी की.
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वहीं, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज (Swami Chidanand Saraswati) ने कहा कि शिक्षा और दीक्षा साथ चलना चाहिए. संस्कार जीवन का सबसे बड़े अलंकार है. नई शिक्षा नीति जीवन नीति है. उन्होंने कहा कि हमारी वैदिक शिक्षा, वैश्विक शिक्षा के वैलिड शिक्षा है. यह वैदिक विजन और वैदिक विजडम की नीति है. उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति में इसका समावेश किया जाना जरूरी है, क्योंकि यही 2020 है. आने वाले समय में हमें संस्कृति, प्रकृति और भविष्य को बचाना है तो नई शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) पर विशेष ध्यान देना होगा.
अणुबम से भी बड़ी होती है कलम की ताकतः पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक (Former CM Ramesh Pokhriyal Nishank) ने साहित्य, विज्ञान, प्रकृति, संस्कृति, लोकल से ग्लोबल की यात्रा और आत्मनिर्भर भारत आदि पर चर्चा करते हुए कहा कि यह आयोजन एक साहित्य कुंभ है, क्योंकि कलम की ताकत अणुबम से भी बड़ी होती है. उन्होंने भारत के लगभग सभी राज्यों, चीन, नीदरलैंड और अन्य राष्ट्रों से आए कुलपतियों और साहित्यकारों का अभिनंदन भी किया. साथ ही कहा कि इस सम्मेलन से ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से 35 से ज्यादा देशों के साहित्यप्रेमियों ने जुड़कर इस दिव्य कार्यक्रम का आनंद लिया.