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जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर इस दंपति ने पेश की नजीर, अभिनव पहल को सीएम ने भी सराहा - efforts of couple of Tunda Chaura village applaud CM

गंगोलीहाट विधानसभा के टुंडा चौड़ा गांव के गोविंद सिंह और उनकी पत्नी ने रिवर्स पलायन कर अपने गांव की सूरत ही बदल दी. उन्होंने ग्रमीणों की मदद से गांव से सूखे जल स्रोतों को पुनर्जीवित किया. इस दंपति के प्रयासों को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सराहा है.

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जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर इस दंपति ने पेश की नजीर
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Published : Oct 1, 2020, 6:42 PM IST

Updated : Oct 3, 2020, 11:37 AM IST

देहरादून: इसे रिवर्स पलायन कहें या फिर अपने गांव के प्रति लगाव कि शहर के चकाचौंध छोड़कर गोविंद सिंह अपनी धर्मपत्नी के साथ अपने गांव वापस लौटे. जहां उन्होंने अभिनव प्रयासों से गांव की सूरत बदल ही दी. दरअसल, गोविंद सिंह अपनी पत्नी मनीषा के साथ देहरादून में रहते थे. यहीं पर वे अपनी नौकरी करते थे. मगर यहां रहते हुए भी वे हमेशा से ही अपने गांव से जुड़े रहे. हमेशा उनके मन में गांव के लिए कुछ करने का विचार आता रहता था. ऐसा सोचते-सोचते एक दिन एक दिन ऐसा कदम उठाया कि इससे आज इस गांव की सूरत ही बदल गई है.

जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर इस दंपति ने पेश की नजीर

दरअसल, गोविंद सिंह ने 2018 के पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी मनीषा देवी को प्रधान का चुनाव लड़वाया, और वह जीत भी गई. इसके बाद उन्होंने शहर में रहकर जो कुछ भी सीखा था उसका प्रयोग उन्होंने अपने गांव में किया. नतीजा आज उनके गांव में सड़क, पीने के पानी के साथ ही अन्य कई सुविधाएं बिना किसी सरकारी साहयता के मौजूद हैं.

पढ़ें- महेश नेगी यौन शोषण मामला: जांच टीम ने विधायक हॉस्टल के कमरे से जुटाए सबूत

पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट विधानसभा के टुंडा चौड़ा गांव से आने वाले दंपति गोविंद सिंह और मनीषा देवी ने अपने गांव में 8 महीने में विकास की गंगा बहा दी. उन्होंने 10-15 साल से सूख चुके गांव के सूखे जलस्रोत को एक बार फिर से जीवित किया. गोविंद सिंह नेगी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने देहरादून में हेस्को संस्था द्वारा किए जा रहे हैं जल स्रोतों के पुनर्जीवन की प्रक्रिया को देखा. जिसके बाद उन्होंने अपने गांव में चाल खाल योजना के तहत जंगलों में बड़े बड़े तालाब बनाए. जिससे उन्होंने पिछले 15 से 20 साल सूखे जल स्रोतों को एक बार फिर से जीवित किया.

पढ़ें- पिथौरागढ़: DM, SDM और CDO कोरोना पॉजिटिव, रविवार तक बंद रहेगा कलेक्ट्रेट

गोविंद सिंह की पत्नी मनीषा बताती हैं कि शुरुआती दौर में उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. मगर गांव वालों के साथ और सहयोग से धीरे-धीरे सारी मुश्किलें आसान हो गई. उन्होंने बताया कि जिस स्वीकृत सड़के के लिए गांव वालों को विभाग के चक्कर काटने पड़ते थे उसे उन्होंने खुद ही श्रमदान से बनाया. इसके अलावा गांव के जंगल में ही ग्रामीणों की मदद से तालाब भी बनाये गये. जिससे गांव के सूखे जल स्रोतों को फिर से जीवित किया गया.

पढ़ें-महेश नेगी यौन शोषण मामला: जांच टीम ने विधायक हॉस्टल के कमरे से जुटाए सबूत

गांव ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में गोविंद सिंह और उनकी पत्नी के इस प्रयास को खूब सराहा जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में इन प्रयासों की मिसाल दी जा रही है. उनके इस अभिनव प्रयास की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी जमकर तारीफ की है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इस दंपति को शुभकामनाएं देते हुए उनके हर प्रयास में सहयोग का आश्वासन दिया है.

देहरादून: इसे रिवर्स पलायन कहें या फिर अपने गांव के प्रति लगाव कि शहर के चकाचौंध छोड़कर गोविंद सिंह अपनी धर्मपत्नी के साथ अपने गांव वापस लौटे. जहां उन्होंने अभिनव प्रयासों से गांव की सूरत बदल ही दी. दरअसल, गोविंद सिंह अपनी पत्नी मनीषा के साथ देहरादून में रहते थे. यहीं पर वे अपनी नौकरी करते थे. मगर यहां रहते हुए भी वे हमेशा से ही अपने गांव से जुड़े रहे. हमेशा उनके मन में गांव के लिए कुछ करने का विचार आता रहता था. ऐसा सोचते-सोचते एक दिन एक दिन ऐसा कदम उठाया कि इससे आज इस गांव की सूरत ही बदल गई है.

जलस्रोतों को पुनर्जीवित कर इस दंपति ने पेश की नजीर

दरअसल, गोविंद सिंह ने 2018 के पंचायत चुनाव में अपनी पत्नी मनीषा देवी को प्रधान का चुनाव लड़वाया, और वह जीत भी गई. इसके बाद उन्होंने शहर में रहकर जो कुछ भी सीखा था उसका प्रयोग उन्होंने अपने गांव में किया. नतीजा आज उनके गांव में सड़क, पीने के पानी के साथ ही अन्य कई सुविधाएं बिना किसी सरकारी साहयता के मौजूद हैं.

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पिथौरागढ़ जिले की गंगोलीहाट विधानसभा के टुंडा चौड़ा गांव से आने वाले दंपति गोविंद सिंह और मनीषा देवी ने अपने गांव में 8 महीने में विकास की गंगा बहा दी. उन्होंने 10-15 साल से सूख चुके गांव के सूखे जलस्रोत को एक बार फिर से जीवित किया. गोविंद सिंह नेगी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने देहरादून में हेस्को संस्था द्वारा किए जा रहे हैं जल स्रोतों के पुनर्जीवन की प्रक्रिया को देखा. जिसके बाद उन्होंने अपने गांव में चाल खाल योजना के तहत जंगलों में बड़े बड़े तालाब बनाए. जिससे उन्होंने पिछले 15 से 20 साल सूखे जल स्रोतों को एक बार फिर से जीवित किया.

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गोविंद सिंह की पत्नी मनीषा बताती हैं कि शुरुआती दौर में उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. मगर गांव वालों के साथ और सहयोग से धीरे-धीरे सारी मुश्किलें आसान हो गई. उन्होंने बताया कि जिस स्वीकृत सड़के के लिए गांव वालों को विभाग के चक्कर काटने पड़ते थे उसे उन्होंने खुद ही श्रमदान से बनाया. इसके अलावा गांव के जंगल में ही ग्रामीणों की मदद से तालाब भी बनाये गये. जिससे गांव के सूखे जल स्रोतों को फिर से जीवित किया गया.

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गांव ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में गोविंद सिंह और उनकी पत्नी के इस प्रयास को खूब सराहा जा रहा है. ग्रामीण इलाकों में इन प्रयासों की मिसाल दी जा रही है. उनके इस अभिनव प्रयास की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भी जमकर तारीफ की है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने इस दंपति को शुभकामनाएं देते हुए उनके हर प्रयास में सहयोग का आश्वासन दिया है.

Last Updated : Oct 3, 2020, 11:37 AM IST
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