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त्रिवेंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक को किया सस्पेंड - Executive Director of Disaster Management Authority suspended

त्रिवेंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला को निलंबित कर दिया है.

Trivendra government suspended Executive Director of Disaster Management Authority
त्रिवेंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक को किया सस्पेंड
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Published : Dec 23, 2020, 6:58 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य सरकार ने एक बार फिर जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला को सस्पेंड कर दिया है. अधिशासी निदेशक पर गंगोत्री ग्लेशियर में फैले कूड़े से बनी झील से संबंधित रिपोर्ट को पिछले ढाई साल के भीतर कोर्ट में पेश न करने का आरोप लगा है.

साल 2018 में एक जनहित याचिका की सुनवाई पर हाईकोर्ट ने गंगोत्री ग्लेशियर पर फैल रहे कूड़े के मामले में पहले 3 महीने और फिर 6 महीने में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. मगर समयावधि बीत जाने के बाद भी कोर्ट में रिपोर्ट नहीं पेश की गई. जिसके बाद बीते दिन इससे नाराज कोर्ट ने सचिव आपदा प्रबंधन को अवमानना नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे.

ये भी पढ़ें : हरिद्वार में दुष्कर्म का एक और मामला आया सामने, रेप के बाद प्रेगनेंट हुई 15 साल की छात्रा

इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि सचिव आपदा प्रबंधन सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं हैं. कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सरकार ने मामले की जांच कराई तो प्रथम दृष्टया डॉ. पीयूष रौतेला की लापरवाही सामने आयी. इसके बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला को निलंबित कर दिया है.

पढ़ें-एंबुलेंस की राह होगी आसान, रास्ता न देने वालों पर कड़ी कार्रवाई

बता दें कि अजय गौतम नाम के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में गंगोत्री ग्लेशियर को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि गंगोत्री ग्लेशियर पर फैल रहे कूड़े की वजह से पानी का प्रवाह बाधित हो रहा है. जिससे झील का निर्माण हो रहा है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 2018 में सरकार को तीन माह में इसकी मॉनिटरिंग करने और छह माह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे. लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट को कोर्ट में पेश नहीं किया गया.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य सरकार ने एक बार फिर जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला को सस्पेंड कर दिया है. अधिशासी निदेशक पर गंगोत्री ग्लेशियर में फैले कूड़े से बनी झील से संबंधित रिपोर्ट को पिछले ढाई साल के भीतर कोर्ट में पेश न करने का आरोप लगा है.

साल 2018 में एक जनहित याचिका की सुनवाई पर हाईकोर्ट ने गंगोत्री ग्लेशियर पर फैल रहे कूड़े के मामले में पहले 3 महीने और फिर 6 महीने में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. मगर समयावधि बीत जाने के बाद भी कोर्ट में रिपोर्ट नहीं पेश की गई. जिसके बाद बीते दिन इससे नाराज कोर्ट ने सचिव आपदा प्रबंधन को अवमानना नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे.

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इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि सचिव आपदा प्रबंधन सरकारी नौकरी के लिए योग्य नहीं हैं. कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सरकार ने मामले की जांच कराई तो प्रथम दृष्टया डॉ. पीयूष रौतेला की लापरवाही सामने आयी. इसके बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला को निलंबित कर दिया है.

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बता दें कि अजय गौतम नाम के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में गंगोत्री ग्लेशियर को लेकर एक जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि गंगोत्री ग्लेशियर पर फैल रहे कूड़े की वजह से पानी का प्रवाह बाधित हो रहा है. जिससे झील का निर्माण हो रहा है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 2018 में सरकार को तीन माह में इसकी मॉनिटरिंग करने और छह माह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे. लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट को कोर्ट में पेश नहीं किया गया.

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