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विजिलेंस विभाग को लेकर निशाने पर त्रिवेंद्र सरकार, RTI के दायरे से बाहर करने पर उठे सवाल

प्रदेश में विजिलेंस विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. त्रिवेंद्र कैबिनेट में इस विभाग को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है. जिसके बाद अन्य विपक्षी दल हमलावर हो गये हैं.

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विजिलेंस विभाग को लेकर विरोधियों के निशाने पर त्रिवेंद्र सरकार
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Published : Sep 5, 2020, 5:11 PM IST

Updated : Sep 5, 2020, 11:00 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड कैबिनेट ने सतर्कता विभाग को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने का फैसला लिया है. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार सरकार विजिलेंस को आरटीआई से क्यों बाहर रखना चाहती है. इन्हीं सवालों को लेकर विरोधी दलों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

प्रदेश में विजिलेंस विभाग भ्रष्टाचार को लेकर काम करता है. भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए ही इस विभाग का गठन भी किया गया है. मगर यह विभाग फिलहाल कैबिनेट में आरटीआई के दायरे से बाहर होने को लेकर सुर्खियों में हैं. अब सवाल यह खड़े किए जा रहे हैं कि आखिरकार सरकार विजिलेंस विभाग को क्यों आरटीआई के दायरे से बाहर रखना चाहती है.

विजिलेंस विभाग को लेकर निशाने पर त्रिवेंद्र सरकार.

इन्हीं सवालों के साथ विपक्ष ने भी सरकार पर हल्ला बोल दिया है. उत्तराखंड कांग्रेस के सचिव मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि सरकार आप लोगों को सूचनाओं से दूर रखना चाहती है, साथ ही वह सूचना के अधिकार को कमजोर करना चाहती है.

पढ़ें- शिक्षक दिवस 2020: इन राजनेताओं ने बतौर शिक्षक शुरू किया था अपना सफर, आज बड़े पदों पर हैं आसीन

राज्य में कांग्रेस ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय दल यूकेडी भी इस मामले में सरकार के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही है. यूकेडी के वरिष्ठ नेता शांति प्रसाद भट्ट कहते हैं कि सरकार ने मनमाना रवैया अपनाते हुए आरटीआई से विजिलेंस को बाहर किया है. यह आम लोगों को उनके अधिकारों से दूर करने जैसा है.

बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है जब विजिलेंस को आरटीआई से बाहर करने को लेकर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर की हो. साल 2016 में भी एक अधिसूचना जारी कर विजिलेंस को आरटीआई से बाहर करने की कोशिश की गई थी, तब सूचना आयोग ने सख्त रवैया अपनाया जिसके बाद शासन को अपना ये फैसला वापस लेना पड़ा था.

देहरादून: उत्तराखंड कैबिनेट ने सतर्कता विभाग को आरटीआई के दायरे से बाहर रखने का फैसला लिया है. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार सरकार विजिलेंस को आरटीआई से क्यों बाहर रखना चाहती है. इन्हीं सवालों को लेकर विरोधी दलों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

प्रदेश में विजिलेंस विभाग भ्रष्टाचार को लेकर काम करता है. भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए ही इस विभाग का गठन भी किया गया है. मगर यह विभाग फिलहाल कैबिनेट में आरटीआई के दायरे से बाहर होने को लेकर सुर्खियों में हैं. अब सवाल यह खड़े किए जा रहे हैं कि आखिरकार सरकार विजिलेंस विभाग को क्यों आरटीआई के दायरे से बाहर रखना चाहती है.

विजिलेंस विभाग को लेकर निशाने पर त्रिवेंद्र सरकार.

इन्हीं सवालों के साथ विपक्ष ने भी सरकार पर हल्ला बोल दिया है. उत्तराखंड कांग्रेस के सचिव मथुरा दत्त जोशी कहते हैं कि सरकार आप लोगों को सूचनाओं से दूर रखना चाहती है, साथ ही वह सूचना के अधिकार को कमजोर करना चाहती है.

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राज्य में कांग्रेस ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय दल यूकेडी भी इस मामले में सरकार के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही है. यूकेडी के वरिष्ठ नेता शांति प्रसाद भट्ट कहते हैं कि सरकार ने मनमाना रवैया अपनाते हुए आरटीआई से विजिलेंस को बाहर किया है. यह आम लोगों को उनके अधिकारों से दूर करने जैसा है.

बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है जब विजिलेंस को आरटीआई से बाहर करने को लेकर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर की हो. साल 2016 में भी एक अधिसूचना जारी कर विजिलेंस को आरटीआई से बाहर करने की कोशिश की गई थी, तब सूचना आयोग ने सख्त रवैया अपनाया जिसके बाद शासन को अपना ये फैसला वापस लेना पड़ा था.

Last Updated : Sep 5, 2020, 11:00 PM IST
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