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EXCLUSIVE: गंगा को स्कैप चैनल बताने के शासनादेश को रद्द कर सकती है त्रिवेंद्र सरकार, कयास तेज - उत्तराखंड राजनीति न्यूज

तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा हरकी पैड़ी पर गंगा को स्कैप चैनल घोषित किए जाने का लगातार विरोध होता आया है. वहीं त्रिवेंद्र सरकार गंगा को स्कैप चैनल बताने के शासनादेश को रद्द कर सकती है.

गंगा
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Published : Nov 22, 2020, 10:20 AM IST

Updated : Nov 22, 2020, 1:00 PM IST

देहरादून: हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की अविरल धारा को स्कैप चैनल घोषित करने वाले शासनादेश को वापस लेने की मांग लगातार उठती रही है. स्कैप चैनल के शासनादेश को रद्द करने की मांग को लेकर तीर्थ-पुरोहित समाज समय-समय पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करता रहा है. वहीं उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार आज गंगा को लेकर एक बड़ा फैसला ले सकती है. तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने जिस हरिद्वार की गंगा को अपने शासनादेश में स्कैप चैनल घोषित किया था, आज उस शासनादेश को रद्द करने का काम त्रिवेंद्र सरकार एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद कर सकती है.

ईटीवी भारत को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार आज 11 बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर कुंभ को लेकर अखाड़ा परिषद और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है. इस बैठक में कुंभ की रूपरेखा पर चर्चा होगी लेकिन बताया जा रहा है कि लगातार फजीहत झेल रही त्रिवेंद्र सरकार आज स्कैप चैनल के शासनादेश को भी रद्द करके गंगा सभा के मार्फत यह घोषणा करवा सकती है.

पढ़ें-खुशखबरी: उत्तराखंड में 84 हजार बेघरों को 2022 तक मिलेंगे मकान

बताया जा रहा है कि इस बैठक में पहले तो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामंत्री सहित कुछ चुनिंदा संतों को ही आमंत्रित किया गया था. अंदेशा यही लगाया जा रहा है कि इस बैठक में यह शासनादेश रद्द करके गंगा सभा से सरकार एक बयान दिलवाएगी. जिसके बाद ही ऐलान हो जाएगा कि सरकार इस शासनादेश को रद्द कर रही है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस तरह की घोषणा सरकार पिछले 4 सालों में कई बार कर चुकी है कि जल्द ही इस शासनादेश को रद्द किया जाएगा. लेकिन आज तक नोटिफिकेशन सरकार ने जारी नहीं किया है.

क्या है मामला

कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा से दो सौ मीटर के दायरे में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी. साल 2016 में हरीश रावत सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. तब से इस पर विवाद होता रहा है. हरीश रावत सरकार के इस फैसले का उस समय भी उस समय संत समाज और तीर्थ पुरोहितों ने पुरजोर विरोध किया था. उसके बाद 2017 में बीजेपी की सरकार बनी, लोगों की उम्मीद जगी थी की सरकार इस अध्यादेश को रद्द करेगी. लेकिन सरकार ने इस दिशा में आश्वासन देने के बजाय कुछ नहीं किया. जब कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गंगा का नाम बदलने की गलती मानते हुए साधु संतों से माफी मांग चुके हैं.

देहरादून: हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा की अविरल धारा को स्कैप चैनल घोषित करने वाले शासनादेश को वापस लेने की मांग लगातार उठती रही है. स्कैप चैनल के शासनादेश को रद्द करने की मांग को लेकर तीर्थ-पुरोहित समाज समय-समय पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करता रहा है. वहीं उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार आज गंगा को लेकर एक बड़ा फैसला ले सकती है. तत्कालीन हरीश रावत सरकार ने जिस हरिद्वार की गंगा को अपने शासनादेश में स्कैप चैनल घोषित किया था, आज उस शासनादेश को रद्द करने का काम त्रिवेंद्र सरकार एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद कर सकती है.

ईटीवी भारत को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के अनुसार आज 11 बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर कुंभ को लेकर अखाड़ा परिषद और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है. इस बैठक में कुंभ की रूपरेखा पर चर्चा होगी लेकिन बताया जा रहा है कि लगातार फजीहत झेल रही त्रिवेंद्र सरकार आज स्कैप चैनल के शासनादेश को भी रद्द करके गंगा सभा के मार्फत यह घोषणा करवा सकती है.

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बताया जा रहा है कि इस बैठक में पहले तो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महामंत्री सहित कुछ चुनिंदा संतों को ही आमंत्रित किया गया था. अंदेशा यही लगाया जा रहा है कि इस बैठक में यह शासनादेश रद्द करके गंगा सभा से सरकार एक बयान दिलवाएगी. जिसके बाद ही ऐलान हो जाएगा कि सरकार इस शासनादेश को रद्द कर रही है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस तरह की घोषणा सरकार पिछले 4 सालों में कई बार कर चुकी है कि जल्द ही इस शासनादेश को रद्द किया जाएगा. लेकिन आज तक नोटिफिकेशन सरकार ने जारी नहीं किया है.

क्या है मामला

कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा से दो सौ मीटर के दायरे में निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी. साल 2016 में हरीश रावत सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर हरकी पैड़ी पर बह रही गंगा को स्कैप चैनल घोषित कर दिया था. तब से इस पर विवाद होता रहा है. हरीश रावत सरकार के इस फैसले का उस समय भी उस समय संत समाज और तीर्थ पुरोहितों ने पुरजोर विरोध किया था. उसके बाद 2017 में बीजेपी की सरकार बनी, लोगों की उम्मीद जगी थी की सरकार इस अध्यादेश को रद्द करेगी. लेकिन सरकार ने इस दिशा में आश्वासन देने के बजाय कुछ नहीं किया. जब कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गंगा का नाम बदलने की गलती मानते हुए साधु संतों से माफी मांग चुके हैं.

Last Updated : Nov 22, 2020, 1:00 PM IST
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