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आध्यात्मिक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर डेवलप होगा त्रियुगीनारायण, BKTC की कोशिशें तेज - Trijuginarayan to be developed as a spiritual wedding destination

त्रिजुगीनारायण मंदिर को आध्यात्मिक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर डेवलप किया जाएगा. इसके लिए बीकेटीसी की ओर से प्रयास तेज हो गये हैं. इसी कड़ी में आज बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने त्रियुगीनारायण मंदिर की निरीक्षण किया.

Trijuginarayan to be developed as a spiritual wedding destination
आध्यात्मिक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर डेवेलप होगा त्रिजुगीनारायण
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Published : Jul 31, 2022, 4:30 PM IST

Updated : Jul 31, 2022, 4:38 PM IST

देहरादून: त्रियुगीनारायण, ये वो स्थान है जहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. अब ये स्थान धीरे-धीरे युवाओं की भी पसंद बनता जा रहा है. बीते कुछ सालों में त्रियुगीनारायण में शादियों का क्रेज बढ़ा है.वेडिंग डेस्टिनेशन के रुप में लोकप्रिय हो रहे त्रियुगीनारायण मंदिर को विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग पहले से ही कोशिशों में लगा है, अब इन कोशिशों को एक और साथ मिला है. बदरी-केदार मंदिर समिति ने भी त्रियुगीनारायण को आध्यात्मिक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर डेवलप करने का फैसला किया है.

बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की पहल पर भगवान शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में प्रख्यात त्रियुगीनारायण को भव्य व दिव्य स्वरूप देने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. त्रियुगीनारायण के स्थलीय निरीक्षण पर गए बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने अधिकारियों के साथ त्रियुगीनारायण मंदिर का भ्रमण कर इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए हैं.

पढें-वेडिंग डेस्टिनेशन के रुप में लोकप्रिय हो रहा त्रियुगीनारायण मंदिर, शिव-पार्वती की शादी से जुड़ा है इतिहास

अजेंद्र ने मंदिर की जीर्ण-शीर्ण हो रही छत एवं झालर को बदलने के संबंध में आवश्यक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए. इसके साथ ही शिव पार्वती विवाह मंडप, सूर्य कुंड, भोग मंडी, चारदीवारी और परिसर में स्थापित अन्य छोटे मंदिरों के जीर्णोद्धार को लेकर भी पुरातत्व विभाग से सलाह लेकर योजना बनाने को कहा है. बीकेटीसी अध्यक्ष ने ग्रामीणों से कहा वर्तमान में मंदिर परिसर काफी छोटा है. परिसर में श्रद्धालुओं के लिए बैठने तक का स्थान नहीं है.

इस कारण मंदिर में होने वाले बड़े आयोजनों के समय श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने मंदिर के तीन तरफ की दीवारों को पीछे खिसका कर परिसर को विस्तार देने के बारे में ग्रामीणों की राय ली. ग्रामीणों ने बीकेटीसी अध्यक्ष की पहल का स्वागत किया. ग्रामीणों ने आश्वस्त किया की त्रियुगीनारायण को भव्य एवं दिव्य स्वरूप देने की योजना में उनका पूर्ण सहयोग रहेगा.

पढें- ये क्या! उत्तराखंड में इस जगह कांवड़ियों को एस्कॉर्ट करता है वन विभाग, जानें वजह

नया वेडिंग डेस्टिनेशन त्रियुगीनारायण मंदिर: यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. सोनप्रयाग से सड़क मार्ग से 12 किलोमीटर का सफर करके यहां पहुंचा जा सकता है. 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्रकृति मनोहर मंदिर गढ़वाल मंडल के बर्फ से ढके पर्वतों का भव्य नजारा पेश करता है. यहां पहुंचने के लिए एक ट्रैक भी है. सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर लंबे गुट्टूर-केदारनाथ पथ पर घने जंगलों के बीच से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है. केदारनाथ मंदिर से त्रियुगीनारायण तक की ट्रेकिंग दूरी 25 किलोमीटर है. केदारनाथ मंदिर की वास्तुशैली की तरह ही यह मंदिर पत्थर और स्थानीय सामग्री से निर्मित है. यह मंदिर विश्व के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था.

पढें- उत्तराखंड में 'आसमानी' आफत: भारी बारिश से कुमाऊं में 55 सड़कें बंद, जनजीवन अस्त-व्यस्त

मंदिर के सामने अविनाशी ज्योति जल रही है. मान्यता है कि यह लौ उस विवाह की साक्षी है. मंदिर के समक्ष मौजूद ब्रह्मशिला विवाह के सटीक स्थल की पहचान है. इस मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की चांदी की बनी मूर्ति है, उनके साथ में भगवती लक्ष्मी, भगवान बदरीनारायण, माता सीता-भगवान रामचंद्र और कुबेर की भी मूर्तियां स्थित हैं. इस मंदिर परिसर में चार पवित्र कुंड भी हैं- रुद्र कुंड स्नान के लिए, विष्णु कुंड प्रक्षालन हेतु, ब्रह्म कुंड आचमन के लिए और सरस्वती कुंड तर्पण के लिए.

शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा ने इस मंदिर को नई पीढ़ी के बीच विवाह हेतु बहुत मशहूर कर दिया है. वे यहां आकर अपने विवाह की रस्में संपन्न करना चाहते हैं और दिव्य आशीर्वाद की छाया में अपने जीवन के नए अध्याय का आरंभ करने की इच्छा रखते हैं.

देहरादून: त्रियुगीनारायण, ये वो स्थान है जहां भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. अब ये स्थान धीरे-धीरे युवाओं की भी पसंद बनता जा रहा है. बीते कुछ सालों में त्रियुगीनारायण में शादियों का क्रेज बढ़ा है.वेडिंग डेस्टिनेशन के रुप में लोकप्रिय हो रहे त्रियुगीनारायण मंदिर को विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग पहले से ही कोशिशों में लगा है, अब इन कोशिशों को एक और साथ मिला है. बदरी-केदार मंदिर समिति ने भी त्रियुगीनारायण को आध्यात्मिक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर डेवलप करने का फैसला किया है.

बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय की पहल पर भगवान शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में प्रख्यात त्रियुगीनारायण को भव्य व दिव्य स्वरूप देने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं. त्रियुगीनारायण के स्थलीय निरीक्षण पर गए बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने अधिकारियों के साथ त्रियुगीनारायण मंदिर का भ्रमण कर इस संबंध में आवश्यक निर्देश दिए हैं.

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अजेंद्र ने मंदिर की जीर्ण-शीर्ण हो रही छत एवं झालर को बदलने के संबंध में आवश्यक कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए. इसके साथ ही शिव पार्वती विवाह मंडप, सूर्य कुंड, भोग मंडी, चारदीवारी और परिसर में स्थापित अन्य छोटे मंदिरों के जीर्णोद्धार को लेकर भी पुरातत्व विभाग से सलाह लेकर योजना बनाने को कहा है. बीकेटीसी अध्यक्ष ने ग्रामीणों से कहा वर्तमान में मंदिर परिसर काफी छोटा है. परिसर में श्रद्धालुओं के लिए बैठने तक का स्थान नहीं है.

इस कारण मंदिर में होने वाले बड़े आयोजनों के समय श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने मंदिर के तीन तरफ की दीवारों को पीछे खिसका कर परिसर को विस्तार देने के बारे में ग्रामीणों की राय ली. ग्रामीणों ने बीकेटीसी अध्यक्ष की पहल का स्वागत किया. ग्रामीणों ने आश्वस्त किया की त्रियुगीनारायण को भव्य एवं दिव्य स्वरूप देने की योजना में उनका पूर्ण सहयोग रहेगा.

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नया वेडिंग डेस्टिनेशन त्रियुगीनारायण मंदिर: यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. सोनप्रयाग से सड़क मार्ग से 12 किलोमीटर का सफर करके यहां पहुंचा जा सकता है. 1980 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह प्रकृति मनोहर मंदिर गढ़वाल मंडल के बर्फ से ढके पर्वतों का भव्य नजारा पेश करता है. यहां पहुंचने के लिए एक ट्रैक भी है. सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर लंबे गुट्टूर-केदारनाथ पथ पर घने जंगलों के बीच से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है. केदारनाथ मंदिर से त्रियुगीनारायण तक की ट्रेकिंग दूरी 25 किलोमीटर है. केदारनाथ मंदिर की वास्तुशैली की तरह ही यह मंदिर पत्थर और स्थानीय सामग्री से निर्मित है. यह मंदिर विश्व के पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया था.

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मंदिर के सामने अविनाशी ज्योति जल रही है. मान्यता है कि यह लौ उस विवाह की साक्षी है. मंदिर के समक्ष मौजूद ब्रह्मशिला विवाह के सटीक स्थल की पहचान है. इस मंदिर के भीतर भगवान विष्णु की चांदी की बनी मूर्ति है, उनके साथ में भगवती लक्ष्मी, भगवान बदरीनारायण, माता सीता-भगवान रामचंद्र और कुबेर की भी मूर्तियां स्थित हैं. इस मंदिर परिसर में चार पवित्र कुंड भी हैं- रुद्र कुंड स्नान के लिए, विष्णु कुंड प्रक्षालन हेतु, ब्रह्म कुंड आचमन के लिए और सरस्वती कुंड तर्पण के लिए.

शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक कथा ने इस मंदिर को नई पीढ़ी के बीच विवाह हेतु बहुत मशहूर कर दिया है. वे यहां आकर अपने विवाह की रस्में संपन्न करना चाहते हैं और दिव्य आशीर्वाद की छाया में अपने जीवन के नए अध्याय का आरंभ करने की इच्छा रखते हैं.

Last Updated : Jul 31, 2022, 4:38 PM IST
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