देहरादून: भाजपा मुख्यालय में आज एक शोकसभा का आयोजन किया गया. जिसमें स्वर्गीय कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास को श्रद्धांजलि दी गई. इस श्रद्धांजलि सभा में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, प्रदेश महामंत्री, कई विधायक और दून के मेयर सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी और भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे. सभी ने चंदनराम दास की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट सहित सभी वरिष्ठ नेताओं ने स्वर्गीय चंदनराम दास के पार्टी और समाज मे दिए गए योगदान पर अपने विचार रखे. साथ ही उनकी उपलब्धियों को शोक सभा में सबके सामने रखा गया. भाजपा द्वारा आज प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय एवं मंडल मुख्यालय चंदन रामदास को पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा श्रद्धांजलि दिए जाने का कार्यक्रम रखा है.
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बागेश्वर भाजपा कार्यालय में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास को श्रद्धांजलि दी गई. जिला अध्यक्ष भाजपा इंद्र सिंह फर्शवाण ने कहा चंदम रामदास का जीवन एक खुली किताब था. उनका हर किसी के दुख दर्द में हमेशा साथ देना का व्यतित्व था. वे हमेशा गरीब असहाय लोगों के लिए जीते थे. जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देवी ने कहा की उनको भूलना नामुनकिन है. उनका जीवन सादा रहा है. वो चार बार के विधायक रहे, मंत्री रहे, पर वो कभी भी कही भी ऐसे लगते ही नहीं थे की वो विधायक या मंत्री हैं. वो हमेशा एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह ही रहते थे. विधायक सुरेश गड़िया ने बताया की कैबिनेट मंत्री अपनी सौम्य और सादे जीवन के लिए हमेशा याद रहेंगे.
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बता दें कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का राजनीतिक सफर 1980 में शुरू हुआ. छात्र राजनीति के रूप में वह एमबी डिग्री कालेज हल्द्वानी में बीए प्रथम वर्ष में निर्विरोध संयुक्त सचिव बने. फिर लंबे समय तक सक्रिय कार्यकर्ता बने रहने के बाद वह 1997 में बागेश्वर में निर्दलिय नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए. जिसके बाद 1980 में वो विशुद्ध रूप से राजनीति में आये. चंदनराम दास 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के नेतृत्व में भाजपा से जुड़े. इसके बाद वो वर्ष 2007, 2012, 2017 के बाद फिर 2022 में लगातार चार बार विधायक चुने गए. लगातार चार बार विधायक का चुनाव जीतने के बाद उन पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए परिवहन और समाज कल्याण की अहम जिम्मेदारी दी. 2017 के बाद उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार 2022 में बनी भाजपा की सरकार में धामी मंत्रिमंडल में चंदनराम दास को शामिल किया गया. वह पहली बार मंत्री बने. इसके बाद उनके स्वास्थ्य ने उनकी चिंताएं बढ़ा दी. वह शुरू से ही लगातार बीमार चल रहे थे. आखिरकार 26 अप्रैल को उन्होंने बागेश्वर जिला अस्पताल में आखिरी सांस ली. 27 अप्रैल को उनका अन्तिम संस्कार बागेश्वर के सरयू घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया.