देहरादून: हरिद्वार महाकुंभ-2021 को लेकर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन राज्य सरकार अपनी तरफ से महाकुंभ की तैयारियों में जोर शोर से जुटी हुई है. राज्य सरकार हरिद्वार महाकुंभ को लेकर लगातार बैठक कर रही है. मंगलवार को सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने विभागीय कार्यों को लेकर देहरादून में समीक्षा बैठक की.
बैठक में मंत्री सतपाल महाराज ने महाकुंभ में सिंचाई विभाग से जुड़े हुए कामों को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं. मंत्री महाराज ने कहा कि हाल ही में कुंभ में होने वाले सिंचाई विभाग से जुड़े कार्यों को लेकर बैठक की है जिसमें रेत-बजरी आदि की कमी होने का मामला सामने आया था, जिसके बाद जिलाधिकारी से बातचीत कर इन सब चीजों को उपलब्ध कराया गया है. हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते काम में थोड़ा फर्क जरूर पड़ा है. क्योंकि तमाम मजदूर अपने घर चले गए हैं. ऐसे में अब राज्य सरकार मजदूरों को बुलाने में जुटी हुई है. ताकि काम फिर से तेजी से शुरू हो सके. उम्मीद है कि तय समय पर काम पूरा कर लिया जाएगा.
पढ़ें- चारधाम यात्रा 2020: अन्य राज्यों के तीर्थयात्रियों को भी जल्द मिल सकती है अनुमति
कोरोना के साथ कैसे होगा महाकुंभ?
इन हालात में हरिद्वार महाकुंभ संभव है या नहीं इसको लेकर जब मंत्री महाराज से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अगर मीडिया के माध्यम से कुंभ को किया जाए और कुंभ का प्रचार प्रसार भी मीडिया के जरिए ही किया जाए तो महाकुंभ में पूरा संसार सम्मिलित हो सकता है. क्योंकि नई-नई टेक्नोलॉजी के जरिए वहां लोग मौजूद हो सकते हैं.
बाढ़ से निपटने की तैयारी
मंत्री ने बैठक में प्रदेश के भीतर बाढ़ जैसे हालात न बने इसको लेकर भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों से काम की पूरी जानकारी ली गई. ताकि प्रदेश की मुख्य नदियों के किनारे बसे गांव को बाढ़ से बचाया जा सके. प्रदेश के सभी जिलों की मॉनिटरिंग की जा रही है.
पढ़ें- उत्तराखंड, आपदा और तैयारियां, क्या बैठकों से जीती जाएगी 'जंग'?
राज्य की प्रमुख नदियां भागीरथी, अलकनंदा, पिंडर, मंदाकिनी, न्यार और गंगा जिनका बरसात में जल स्तर बढ़ जाता है. जिससे तमाम फैसलें बर्बाद हो जाती हैं. इसे देखते हुए बाढ़ सुरक्षा का काम पूरा किया गया है. इसके अलावा मुख्य रूप से मंदाकिनी नदी की सुरक्षा, केदारनाथ में गौरीकुंड का पुनर्निर्माण, सौंग नदी के दाएं तट पर निर्माण कार्य को पूरा कर लिया गया है. जिसमें करीब तीन करोड़ 80 लाख रुपए का खर्च आया है. इसके साथ ही 72 बाढ़ चौकियां भी स्थापित की गई हैं, जो प्रदेश के तमाम जिलों की मॉनिटरिंग करेंगी.