ETV Bharat / state

कोरोना से बदतर हुए हालात, लक्खी बाग श्मशान घाट पर भी टोकन सिस्टम लागू

लक्खी बाग श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने के लिए टोकन सिस्टम शुरू कर दिया गया है. श्मशान घाट समिति ने घाट पर शवों की अधिक संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया है.

token-system-implemented-for-the-funeral-at-lakkhi-bagh-crematorium-in-dehradun
लक्खी बाग श्मशान घाट पर भी टोकन सिस्टम लागू
author img

By

Published : Apr 29, 2021, 9:16 PM IST

Updated : Apr 29, 2021, 9:58 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में भी कोरोना के बाद हालत बेहद खराब हैं. राज्य की मौजूदा स्थिति देखकर आप देश की स्थिति का अंदाजा बखूबी लगा सकते हैं. यहां मौतों का आलम यह है कि अब राजधानी देहरादून में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए भी टोकन सिस्टम शुरू हो गया है. यहां इतनी लाशें इतनी आ रही हैं कि श्मशान घाट समिति ने अतिरिक्त लोगों को नौकरी पर रखा है, ताकि अधिक से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके.

लक्खीबाग श्मशान घाट पर भी शुरू हुआ टोकन सिस्टम

हर रोज हो रहा 25 से 30 शवों का अंतिम संस्कार

लक्खी बाग राजधानी देहरादून का सबसे बड़ा श्मशान घाट है. अब तक यहां पर रोज लगभग 7 से 8 डेड बॉडीज का अंतिम संस्कार किया जाता था. मगर कोरोना काल में यह श्मशान घाट बेहद व्यस्त हो गया है. आजकल यहां एक साथ लगभग 8 से 10 शव जलाए जा रहे हैं. श्मशान घाट के कर्मचारियों का कहना है कि अब हर दिन शवों की संख्या 25 से 30 होने लगी.

पढ़ें- CM तीरथ रावत ने 108 सेवा के 132 एंबुलेंस जनता को किए समर्पित

टोकन सिस्टम शुरू

लक्खी बाग श्मशान घाट पर काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि शवों की संख्या बढ़ने से यहां काम बढ़ गया है. जिसे कारण अब टोकन सिस्टम शुरू करना पड़ रहा है. यहां जगह के साथ ही कर्मचारी भी सीमित हैं, लिहाजा अचानक से बढ़े शवों की संख्या और सही से अंतिम संस्कार के लिए टोकन सिस्टम शुरू किया गया है.

अंतिम संस्कार के लिए लगानी पड़ रही थी लाइन

श्मशान घाट समिति ने बताया कि जिसका टोकन नंबर पहले आएगा उसी शव को सबसे पहले जलाया जाएगा. इससे पहले आलम यह था कि एक शव को जलाने के लिए लगभग 3 से 4 घंटे इंतजार करना पड़ रहा था. लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी लाइनों में लगना पड़ रहा था. हालात ये थे कि यहां कई बार मृतकों के परिजन अंतिम संस्कार करवाने के लिए लड़ झगड़ भी रहे थे. जिसे देखते हुए श्मशान घाट समिति ने टोकन सिस्टम शुरू करने का फैसला किया है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा स्थगित होने से GMVN को लगा बड़ा झटका, कर्मचारियों का वेतन देना चुनौती

श्मशान घाट प्रशासन के सामने दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो सालों से यहां पर अंतिम संस्कार क्रिया कर्म कराने का कार्य करते हैं, वह तीन कर्मचारी बीमार पड़ गए हैं. ऐसे में श्मशान घाट प्रशासन को बाहर से 2 कर्मचारी नौकरी पर रखने पड़े हैं, ताकि किसी तरह की भी कोई दिक्कत यहां पर ना आए.

कांग्रेस ने की श्मशान घाटों को सैनिटाइज करने की मांग

संक्रमण की बढ़ रही रफ्तार के बीच कांग्रेस ने देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों, अस्पतालों और श्मशान घाटों को सैनिटाइज करने की मांग की है. कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने इसे लेकर नगर निगम आयुक्त को एक मांगपत्र सौंपा है. कांग्रेस ने नगर निगम से मांग की है कि शहर में श्मशान घाटों, कंटेनमेंट जोन, अस्पतालों आदि को सैनिटाइज किया जाए. इसके अलावा मौजूदा हालात को देखते हुए विद्युत शवदाह गृह का निर्माण करवाया जाए.

देहरादून: उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में भी कोरोना के बाद हालत बेहद खराब हैं. राज्य की मौजूदा स्थिति देखकर आप देश की स्थिति का अंदाजा बखूबी लगा सकते हैं. यहां मौतों का आलम यह है कि अब राजधानी देहरादून में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए भी टोकन सिस्टम शुरू हो गया है. यहां इतनी लाशें इतनी आ रही हैं कि श्मशान घाट समिति ने अतिरिक्त लोगों को नौकरी पर रखा है, ताकि अधिक से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके.

लक्खीबाग श्मशान घाट पर भी शुरू हुआ टोकन सिस्टम

हर रोज हो रहा 25 से 30 शवों का अंतिम संस्कार

लक्खी बाग राजधानी देहरादून का सबसे बड़ा श्मशान घाट है. अब तक यहां पर रोज लगभग 7 से 8 डेड बॉडीज का अंतिम संस्कार किया जाता था. मगर कोरोना काल में यह श्मशान घाट बेहद व्यस्त हो गया है. आजकल यहां एक साथ लगभग 8 से 10 शव जलाए जा रहे हैं. श्मशान घाट के कर्मचारियों का कहना है कि अब हर दिन शवों की संख्या 25 से 30 होने लगी.

पढ़ें- CM तीरथ रावत ने 108 सेवा के 132 एंबुलेंस जनता को किए समर्पित

टोकन सिस्टम शुरू

लक्खी बाग श्मशान घाट पर काम करने वाले कर्मचारी बताते हैं कि शवों की संख्या बढ़ने से यहां काम बढ़ गया है. जिसे कारण अब टोकन सिस्टम शुरू करना पड़ रहा है. यहां जगह के साथ ही कर्मचारी भी सीमित हैं, लिहाजा अचानक से बढ़े शवों की संख्या और सही से अंतिम संस्कार के लिए टोकन सिस्टम शुरू किया गया है.

अंतिम संस्कार के लिए लगानी पड़ रही थी लाइन

श्मशान घाट समिति ने बताया कि जिसका टोकन नंबर पहले आएगा उसी शव को सबसे पहले जलाया जाएगा. इससे पहले आलम यह था कि एक शव को जलाने के लिए लगभग 3 से 4 घंटे इंतजार करना पड़ रहा था. लोगों को अंतिम संस्कार के लिए भी लाइनों में लगना पड़ रहा था. हालात ये थे कि यहां कई बार मृतकों के परिजन अंतिम संस्कार करवाने के लिए लड़ झगड़ भी रहे थे. जिसे देखते हुए श्मशान घाट समिति ने टोकन सिस्टम शुरू करने का फैसला किया है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा स्थगित होने से GMVN को लगा बड़ा झटका, कर्मचारियों का वेतन देना चुनौती

श्मशान घाट प्रशासन के सामने दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो सालों से यहां पर अंतिम संस्कार क्रिया कर्म कराने का कार्य करते हैं, वह तीन कर्मचारी बीमार पड़ गए हैं. ऐसे में श्मशान घाट प्रशासन को बाहर से 2 कर्मचारी नौकरी पर रखने पड़े हैं, ताकि किसी तरह की भी कोई दिक्कत यहां पर ना आए.

कांग्रेस ने की श्मशान घाटों को सैनिटाइज करने की मांग

संक्रमण की बढ़ रही रफ्तार के बीच कांग्रेस ने देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों, अस्पतालों और श्मशान घाटों को सैनिटाइज करने की मांग की है. कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने इसे लेकर नगर निगम आयुक्त को एक मांगपत्र सौंपा है. कांग्रेस ने नगर निगम से मांग की है कि शहर में श्मशान घाटों, कंटेनमेंट जोन, अस्पतालों आदि को सैनिटाइज किया जाए. इसके अलावा मौजूदा हालात को देखते हुए विद्युत शवदाह गृह का निर्माण करवाया जाए.

Last Updated : Apr 29, 2021, 9:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.