- दुनियाभर में कोरोना वायरस (Covid 19) ने जमकर कहर बरपाया है. कोरोना को फैलने से रोकने के लिए पीएम मोदी ने देशवासियों से रविवार यानी आज के लिए जनता कर्फ्यू का आह्वान किया है. इस दौरान सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक घर में ही रहने की अपील की गई है. जिससे कोरोना के संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके. जबकि, जनता कर्फ्यू के दौरान पुलिस, मीडिया, डॉक्टर और सफाई की जिम्मेदारी वाले यानी आवश्यक सेवा से जुड़े लोग ही घर से निकल सकते हैं.
- उत्तराखंड परिवहन निगम की सभी बसें 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान सुबह 6 बजे से रात के 10 बजे तक नहीं चलेंगी. हालांकि आपात स्थिति के लिए हर डिपो में सिर्फ 2 बस रखी जाएगी. इसके साथ ही बाहर से आने वाली बसों पर भी पाबंदी लगा दी गई है.
- ऋषिकेश में भी ट्रैक्सी कमांडर सूमो एसोसिएशन ने जनता कर्फ्यू का समर्थन किया है. जिस कारण ऋषिकेश से पहाड़ों और देहरादून के लिए चलने वाली सभी सेवाएं बंद रहेगी. पहाड़ों पर कुल 300 गाड़ियां चलती है, जिन्हें आज बंद रखा जाएगा.
- कोरोना के कहर से लोगों को बचाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने आज बड़ा फैसला लिया है. स्वास्थ्य विभाग ने राजकीय ओपीडी बंद रखने की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद आज से ओपीडी में सिर्फ इमरजेंसी के मरीज ही देखें जाएंगे. डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को रिजर्व रखने का फैसला भी लिया गया है. छुट्टी पर गए सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को भी तत्काल प्रभाव से ड्यूटी ज्वाइन करने का आदेश दिया गया है.
- वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए प्रधानमंत्री के आह्वान पर आज पूरे देश में सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' किया गया है. जिसके कारण सिर्फ काठगोदाम एक्सप्रेस को छोड़कर बाकी सभी रेल गाड़ियों का संचालन रोक लगा दी गई है. इसके अलावा कोरोनो वायरस के मद्देनजर रेल टिकट के रिफंड नियमों में भी परिवर्तन किया गया है.
- दुनिया भर में 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. विश्व जल दिवस मनाने की घोषणा संयुक्च राष्ट्र ने साल 1992 में अपने अधिवेशन में की थी. विश्व जल दिवस की अंतरराष्ट्रीय पहल रियो डि जेनेरियों में पर्यावरण एवं विकास के विषय पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में की थी. इसके बाद से ही 22 मार्च को जल संरक्षण और रख रखाव पर जागरूकता फैलाने के मकसद से विश्व जल दिवस मनाया जाता है. इस बार की थीम 'जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव' यानी लोगों को यह जागरूक करना है कि, जलवायु परिवर्तन का किस तरह से जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ रहा है.