देहरादून: सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat) बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इस बार ये व्रत 10 जून को होगा और इसी दिन लगने जा रहा है, साल का पहला सूर्यग्रहण (Surya Grahan). हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन किया जाने वाला वट सावित्री का ये व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) इस बार सूर्य ग्रहण के दिन होने से अब लोग पूजा समय को लेकर थोड़े से संशय में हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आज समाप्त हो जायेगी और अमावस्या तिथि दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से आरंभ हो जायेगी, जो 10 जून 2021, गुरुवार की शाम 4 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. इस दौरान सूर्य ग्रहण दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो जाएगा जो शाम 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. वहीं, शनि जयंती शाम 4 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा. जबकि, वट सावित्री पूजा शाम 04 बजकर 58 तक है.
सुहागिनों के लिए खास है वट सावित्री का व्रत
वट सावित्री का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु का वरदान पाने के लिए रखती हैं. यह व्रत उतना ही महत्व रखता है जितना करवा चौथ का व्रत. इसमें वट के वृक्ष यानी कि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. महिलाएं वट को कलावा बांधते हुए वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और व्रत रखती हैं. उत्तर भारत के कुछ राज्यों में विशेष रूप से ये व्रत किया जाता है. इस बार ये व्रत 10 जून को किया जाएगा लेकिन इसी दिन सूर्य ग्रहण होने से अब महिलाओं के मन में थोड़ी भ्रांतियां हैं.
आज है सूर्य ग्रहण
किसी भी ग्रहण (solar eclipse) के दौरान 12 घंटे पहले ही सूतक काल मान्य हो जाता है और जैसे ही सूर्य ग्रहण शुरू होता है तो तमाम तरह के पूजा पाठ पर पाबंदी लग जाती है. 10 जून को सूर्य ग्रहण पूरे (Surya Grahan Timings) 5 घंटे तक चलेगा. 1 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर ग्रहण शाम 6 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. लिहाजा अब महिलाएं संशय में हैं कि 10 जून को वो वट पूजा करें कि न करें.
बता दें कि 10 जून को सूर्य ग्रहण है और ये साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. लेकिन अहम बात ये है कि ये भारत में नजर नहीं आएगा. लिहाजा सूर्य ग्रहण से पहले लगने वाला सूतक मान्य नहीं होगा और न ही ग्रहण का कोई प्रभाव भारत में दिखेगा. ऐसे में किसी तरह से घबराने की कोई जरूरत नहीं है. महिलाएं ये व्रत पहले की तरह ही कर सकती हैं.
कोरोना महामारी में कैसे करें पूजा
- अपने घर पर ही त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा कर सकते हैं.
- बरगद के पेड़ की टहनी तोड़ कर उसे गमले में लगा लें.
- इसके बाद विधिवत इसकी पूजा करें.
- पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल और धूप का इस्तेमाल करें.
- इसके बाद सबसे पहले वट वृक्ष की पूजा करें.
- इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुने और दूसरों को भी सुनाएं.
- अब फिर भीगा हुआ चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर आशीर्वाद लें.
- पूजा के बाद किसी जरूरतमंद विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें.
- इसके अलावा, किसी ब्राह्मण को वस्त्र और फल भी दान कर सकते हैं.
वट सावित्री पूजा विधि
- शादीशुदा महिलाएं अमावस्या तिथि को सुबह उठें, स्नानादि करें.
- लाल या पीली साड़ी पहनें.
- दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार करें.
- व्रत का संकल्प लें
- वट वृक्ष के नीचे आसन ग्रहण करें.
- सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें.
- बरगद के पेड़ में जल पुष्प, अक्षत, फूल, मिष्ठान आदि अर्पित करें.
- कम से कम 5 बार बरगद के पेड़ की परिक्रमा करें और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त करें.
- फिर पंखे से वृक्ष को हवा दें
- हाथ में काले चने लेकर व्रत की संपूर्ण कथा सुनें
शनि पूजा का शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.
- अमृत काल: सुबह 08 बजकर 08 मिनट से 09 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. इस समय में पूजा कर सकते हैं.
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस समय में पूजा कर सकते हैं.
- राहु काल दोपहर 02 बजकर 04 मिनट से 03 बजकर 49 मिनट तक है. इसमें पूजा ना करें.
जानें सभी नौ ग्रहों की स्थिति
सूर्य ग्रहण के समय सभी नौ ग्रहों में से चार ग्रह एक ही राशि में मौजूद रहेंगे. वहीं बाकी के पांच ग्रह 5 अलग अलग राशियों में मौजूद रहेंगे. वृषभ राशि में सूर्य, बुध, राहु और चंद्रमा रहेंगे. जबकि शुक्र मिथुन राशि में मंगल कर्क राशि में केतु वृश्चिक में शनि मकर में व गुरु कुंभ राशि में स्थित रहेंगे.