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PM मोदी की है केदारनाथ में गहरी आस्था, यहां पर पांडवों को मिली थी पाप से मुक्ति

12 ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ ग्यारहवां धाम है. केदारनाथ धाम के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगाध आस्था है. जब भी उन्हें समय मिलता है वे केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं.

फाइल फोटो.
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Published : May 18, 2019, 8:21 AM IST

Updated : May 18, 2019, 10:07 AM IST

देहरादून: बाबा केदारनाथ धाम की महिमा किसी से छुपी नहीं है. हिमालय की गोद में बसे भगवान शिव के दर्शन के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं. बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पीएम मोदी चौथी बार यहां पहुंचे हैं.

गौर हो कि 12 ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ ग्यारहवां धाम है. केदारनाथ धाम के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगाध आस्था है. जब भी उन्हें समय मिलता है वे केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं. विगत दो वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार केदारपुरी धाम पहुंच चुके हैं. बताया जाता है कि पीएम मोदी से पहले प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी दो बार इस धाम में आकर भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचीं थीं. वहीं विगत वर्ष पीएम मोदी नेपाल के काठमांडु स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में भी दर्शन के लिए जा चुके हैं. जिसका कनेक्शन केदारनाथ धाम से है.

पौराणिक मान्यता

बाबा केदारनाथ की महिमा अपने आप में काफी रोचक है. यहां प्रकृति गंगाधर का श्रृंगार करती है. मान्यता है कि बाबा केदारनाथ के दर्शन मात्र से ही लोगों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शंकर की शरण में जाने का निर्णय लिया. लेकिन भगवान शिव पांडवों से काफी नाराज थे इसलिए वो उन्हें अपने दर्शन नहीं देना चाहते थे. भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए पर भगवान शिव पांडवों को वहां नहीं मिले. आखिरकार पांडव उन्हें खोजते हुए हिमालय पहुंचे. बाबा भोलेनाथ पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे.

पांडव भी उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच गए. पांडवों को देख भगवान शिव भैंस का रूप धारण कर अदृश्य होने लगे. उसी समय भीम ने उनका पृष्ठ भाग पकड़ लिया. पांडवों की आस्था देख भगवान शिव ने दिव्य दर्शन देते हुए पांडवों को गोत्र हत्या से मुक्त किया था. इसी के बाद पांडवों ने इस स्थान पर विशाल मंदिर का निर्माण कराया, जहां भगवान शिव के पृष्ठ भाग की पूजा की जाती है. इस बीच भैंसा बने भगवान शिव का सिर नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ में पहुंच गया, जहां भगवान शिव की पशुपतिनाथ के रूप में पूजा होती है. गौर हो कि उत्तराखंड में साल 2019 की चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है. बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु देश ही नहीं विदेशों से भी पहुंच रहे हैं.

देहरादून: बाबा केदारनाथ धाम की महिमा किसी से छुपी नहीं है. हिमालय की गोद में बसे भगवान शिव के दर्शन के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज केदारनाथ धाम पहुंच गए हैं. बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पीएम मोदी चौथी बार यहां पहुंचे हैं.

गौर हो कि 12 ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ ग्यारहवां धाम है. केदारनाथ धाम के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगाध आस्था है. जब भी उन्हें समय मिलता है वे केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंच जाते हैं. विगत दो वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन बार केदारपुरी धाम पहुंच चुके हैं. बताया जाता है कि पीएम मोदी से पहले प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी दो बार इस धाम में आकर भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचीं थीं. वहीं विगत वर्ष पीएम मोदी नेपाल के काठमांडु स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में भी दर्शन के लिए जा चुके हैं. जिसका कनेक्शन केदारनाथ धाम से है.

पौराणिक मान्यता

बाबा केदारनाथ की महिमा अपने आप में काफी रोचक है. यहां प्रकृति गंगाधर का श्रृंगार करती है. मान्यता है कि बाबा केदारनाथ के दर्शन मात्र से ही लोगों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने गोत्र हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शंकर की शरण में जाने का निर्णय लिया. लेकिन भगवान शिव पांडवों से काफी नाराज थे इसलिए वो उन्हें अपने दर्शन नहीं देना चाहते थे. भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए पर भगवान शिव पांडवों को वहां नहीं मिले. आखिरकार पांडव उन्हें खोजते हुए हिमालय पहुंचे. बाबा भोलेनाथ पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंतर्ध्यान होकर केदार में जा बसे.

पांडव भी उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच गए. पांडवों को देख भगवान शिव भैंस का रूप धारण कर अदृश्य होने लगे. उसी समय भीम ने उनका पृष्ठ भाग पकड़ लिया. पांडवों की आस्था देख भगवान शिव ने दिव्य दर्शन देते हुए पांडवों को गोत्र हत्या से मुक्त किया था. इसी के बाद पांडवों ने इस स्थान पर विशाल मंदिर का निर्माण कराया, जहां भगवान शिव के पृष्ठ भाग की पूजा की जाती है. इस बीच भैंसा बने भगवान शिव का सिर नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ में पहुंच गया, जहां भगवान शिव की पशुपतिनाथ के रूप में पूजा होती है. गौर हो कि उत्तराखंड में साल 2019 की चारधाम यात्रा का आगाज हो चुका है. बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालु देश ही नहीं विदेशों से भी पहुंच रहे हैं.

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Last Updated : May 18, 2019, 10:07 AM IST
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