देहरादून: उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन का इतिहास पुराना रहा है. चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ही दलों की सरकार ने बीच कार्यकाल में सीएम बदलने से गुरेज नहीं किया. हालांकि 2017 में जब प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत वाली बीजेपी सरकार बनी तो लगा कि अगला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल जरूर पूरा करेगा.
2017 में त्रिवेंद्र की ताजपोशी कर बीजेपी ने सबको चौंका दिया, जिसके बाद से ही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगाई जा रही थी, जो 4 साल बाद सही साबित हुई. 9 मार्च 2021 को त्रिवेंद्र को सीएम पद से बेदखल कर दिया गया. उसके बाद सीएम के कई संभावित चेहरे को लेकर मीडिया से लेकर राजनीतिक जानकारों ने कयास लगाए, जो गलत साबित हुए.
पार्टी ने सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशंक, धन सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी जैसे कई चेहरे को दरकिनार करते हुए तीरथ सिंह रावत को अगला सीएम चुना. 10 मार्च को तीरथ की ताजपोशी की गई, जिसके बाद लगा कि अब अगला चुनाव तीरथ के नाम पर ही लड़ा जाएगा, लेकिन बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व नें तीरथ का भी पत्ता साफ कर दिया.
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महज 115 दिनों के कार्यकाल पूरा करने वाले तीरथ सिंह रावत ने 2 जुलाई 2021 की देर रात 11 बजकर 16 मिनट पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसके साथ ही प्रदेश में अगला सीएम कौन होगा, इसको लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. गौरतलब है कि 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी सीएम पद के लिए किसका चुनाव करती है, ये देखने वाली होगी. खबर है कि शनिवार (3 जुलाई) को देहरादून स्थिति भाजपा कार्यालय में विधान दल की बैठक होनी है, जिसमें प्रदेश के अगले सीएम के नाम की घोषणा हो सकती है.
वहीं, सीएम रहते तीरथ के विवादित बोल ने देशभर में सुर्खियां बटोरी और पार्टी की फजीहत भी कराई, लेकिन इन सबके बीच तीरथ रावत ने अपने कार्यकाल में कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए, जो उनके जाने के बाद भी लोगों के जेहन में ताजा रहेंगी.
तीरथ रावत के बड़े फैसले
- मुख्यमंत्री बनते ही तीरथ सिंह रावत ने महाकुंभ को लेकर बड़ा फैसला लिया था. मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा था कि कुंभ मेला सबके लिए खुला है और इस कुंभ मेले में कोई भी आ सकता है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद कुंभ मेला में सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा.
- तीरथ सिंह रावत ने कोविड काल के दौरान दर्ज किए गए करीब 5 हजार मुकदमों को वापस लेने के भी आदेश दिए.
- चमोली के घाट क्षेत्र के आंदोनकारियों पर दर्ज मुकदमे न सिर्फ वापस किए गए, बल्कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत जिस सड़क की मांग को नियम विरुद्ध बताते हुए ग्रामीणों पर लाठीचार्ज तक करवा चुके थे, उस सड़क को तीरथ सरकार ने डेढ़ लेन में कन्वर्ट करने के आदेश जारी करने में देर नहीं लगाई.
- ग्रामीण क्षेत्रों में गले की फांस बन चुके जिला विकास प्राधिकरण को भी तीरथ सिंह रावत ने तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया. हालांकि, जिला विकास प्राधिकरण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान बनाए गए थे.
- तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनते ही कर्मकार कल्याण बोर्ड को एक बार फिर श्रम मंत्री के अधीन कर दिया. कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए गए कर्मचारियों को उनकी हटाने के दिन से ही वापस तैनात कर दिया गया.
- 4 मार्च 2021 को बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाने की घोषणा की थी. जिस पर विरोध शुरू हो गया था. लिहाजा, मुख्यमंत्री बनने के बाद ही तीरथ सिंह रावत ने इस घोषणा को वापस ले लिया.
- उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर चल रहे विवाद को देखते हुए मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत ने इस बोर्ड में शामिल चारधाम समेत 51 मंदिरों को मुक्त कर दिया. इसके साथ ही इस बोर्ड को लेकर पुनर्विचार करने की बात कही.
- तीरथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ग्राम पंचायतों को पंचायत भवन देने का निर्णय लिया और इसके लिए तीन साल का समय भी निर्धारित किया.