ऋषिकेशः चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद देवस्थानम बोर्ड को फ्रीज नहीं किए जाने से तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी नाराज हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री धामी की ओर से 30 अक्टूबर तक दिए गए आश्वासन के बाद स्थगित किए अपने आंदोलन को फिर से शुरू करने की घोषणा कर दी है. उनका कहना है कि देवस्थानम बोर्ड मामले में सरकार ने अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की है. जबकि, चारधाम यात्रा को भी सीमित कर दिया है.
बता दें कि तीर्थ पुरोहितों ने ऋषिकेश स्थित एक आश्रम में बैठक की. बैठक में चर्चा करने के बाद ही उन्होंने बड़ा निर्णय सरकार के खिलाफ लिया है. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के समय सीमा में केवल 10 दिन शेष रह गए हैं. सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करना तो दूर चारधाम यात्रा के दौरान देवस्थानम बोर्ड के नामों से धामों में रसीद भी काटनी भी शुरू कर दी है. जो सीधे-सीधे सरकार के ढुलमुल रवैया को दर्शा रही है. इसलिए तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी समिति 30 अक्टूबर तक इंतजार करने के मूड में नहीं है.
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तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी पंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने बताया कि सरकार वादाखिलाफी कर रही है. पहले तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों को बात करने के लिए अपने पास बुलाया. मौके पर किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिए जाने पर मुख्यमंत्री ने 30 अक्टूबर तक का समय तीर्थ पुरोहितों से मांगा. इस समय सीमा में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने से संबंध निर्णय सरकार को लेना था, लेकिन मुख्यमंत्री ने आश्वासन देने के 20 दिन बाद भी अभी तक कोई सकारात्मक रुख देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की दिशा में नहीं दिखाया है.
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उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर चारधाम यात्रा भी शुरू कर दी गई है, लेकिन यात्रा में सीमित यात्रियों को भेजने का निर्णय लिया गया है. ऐसे में सरकार ने कुछ समय तक चलने वाली यात्रा को भी सीमित कर दिया है. जिसे हक-हकूकधारी बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है. इसलिए निर्णय लिया गया है कि सीएम के 30 अक्टूबर तक दिए गए आश्वासन से परे हटकर हक-हकूकधारी अभी से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने के लिए अपना आंदोलन फिर से शुरू कर रहे हैं.