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राजाजी पार्क से करोड़ों की बाघिन ढाई महीने से लापता, कैमरों को दे गई गच्चा !

राजाजी नेशनल पार्क की मोतीचूर रेंज में सालों से दो बाघिन रह रही थीं. इनमें से एक पिछले ढाई महीने से लापता है, लेकिन विभाग को इसकी खबर तक नहीं है. ये स्थिति तब है जब बाघिन पर नजर रखने के लिए चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगाए हैं. इस बाघिन का करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट में अहम रोल है.

haridwar
बाघिन लापता
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Published : Nov 23, 2020, 4:21 PM IST

Updated : Nov 23, 2020, 5:58 PM IST

देहरादून: वाइल्ड लाइफ के लिहाज से बेहद संवेदनशील राजाजी नेशनल पार्क में एक बाघिन के लापता होने का मामला सामने आया तो पूरे महकमे में ही हड़कंप मच गया. यूं तो किसी बाघिन के अपने क्षेत्र से गायब होना अपने आप में बेहद गंभीर मामला है, लेकिन यदि कोई बाघिन सरकार के करोड़ों के किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी हो तो उस बाघिन का लापता होना मामले की गंभीरता को और भी बढ़ा देता है.

उत्तराखंड वन महकमे में एक बाघिन के लापता होने का बेहद अजीब मामला सामने आया है. अजीब इसलिए क्योंकि एक तरफ बाघिन के महीनों से गायब होने की बात सामने आती है, तो दूसरी तरफ अधिकारियों के मामले पर लुका छुपी करने का अंदाज घटनाक्रम में कई सवाल खड़े कर देता है.

पढ़ें- कैसे गिर गया ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर बन रहा पुल? गंभीर नहीं जिम्मेदार !

खबर है कि बाघिन पिछले ढाई से तीन महीने से क्षेत्र से गायब है और किसी भी कैमरे पर वह नहीं नजर आ पाई है. उधर मामले के सार्वजनिक होते ही अधिकारी दावा करने लगे हैं कि बाघिन के पद चिन्ह बड़कोट वन क्षेत्र में मिले हैं. जबकि बाघिन पिछले करीब 6 सालों में कभी राजाजी क्षेत्र से बाहर नहीं गयी.

राजाजी पार्क से करोड़ों की बाघिन ढाई महीने से लापता.

बहरहाल, क्षेत्र में कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. दो हाथियों पर कर्मचारियों को भी बाघिन को ढूंढने के लिए लगा दिया गया है. प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला इस मामले को बेहद गंभीर बताती हैं. उनका कहना है कि मामला गंभीर है और उन्हें बाघिन के बड़कोट क्षेत्र में होने की बात बताई गई है. ऐसे में अधिकारियों को बाघिन की खोजबीन के लिए निर्देशित किया गया है.

करोड़ों के प्रोजेक्ट में बाघिन का है अहम रोल

राजाजी नेशनल पार्क में एक बड़ा क्षेत्र ऐसा है, जहां पर बाघों के लिहाज से बेहतर परिस्थितियां भी हैं. एक बेहद बड़ा इलाका बाघों की संख्या के लिहाज से खाली भी है. ऐसे में एनटीसीए की मंजूरी के बाद उत्तराखंड में 5 बाघों को इस क्षेत्र में रीलोकेट किया जा रहा है. यह एक करोड़ों का प्रोजेक्ट है. इस क्षेत्र में दो बाघिन भी हैं. योजना थी कि 5 बाघों को यहां पर लाकर बाघिन से बाघों की संख्या को यहां बढ़ाया जा सकेगा. लेकिन प्रोजेक्ट के लिए एक तरफ तैयारी की जा रही है तो दूसरी तरफ बाघिन ही लापता हो गई है. सूत्रों की मानें तो एनटीसीए ने भी इस मामले का संज्ञान लेकर प्रदेश में वन अधिकारियों से इसकी जानकारी मांगी है.

पढ़ें- नयार वैली एडवेंचर फेस्टिवल में नहीं दिखे सतपाल महाराज, लोगों में नाराजगी

विवादित अधिकारी पर भी उठ रहे सवाल

जिस अधिकारी के क्षेत्र से बाघिन लापता बताई जा रही है, वह पहले भी विभिन्न मामलों के चलते विवादों में रहा है. खबर तो यहां तक है कि इस क्षेत्र में शिकारियों द्वारा लगाया गया पंजा भी मिला है. हालांकि इसकी पुष्टि अधिकारी नहीं कर रहे हैं. लेकिन सवाल उठ रहा है कि विवादित अधिकारी कोमल सिंह के क्षेत्र में इतना बड़ा मामला हो जाने के बावजूद भी अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है.

देहरादून: वाइल्ड लाइफ के लिहाज से बेहद संवेदनशील राजाजी नेशनल पार्क में एक बाघिन के लापता होने का मामला सामने आया तो पूरे महकमे में ही हड़कंप मच गया. यूं तो किसी बाघिन के अपने क्षेत्र से गायब होना अपने आप में बेहद गंभीर मामला है, लेकिन यदि कोई बाघिन सरकार के करोड़ों के किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी हो तो उस बाघिन का लापता होना मामले की गंभीरता को और भी बढ़ा देता है.

उत्तराखंड वन महकमे में एक बाघिन के लापता होने का बेहद अजीब मामला सामने आया है. अजीब इसलिए क्योंकि एक तरफ बाघिन के महीनों से गायब होने की बात सामने आती है, तो दूसरी तरफ अधिकारियों के मामले पर लुका छुपी करने का अंदाज घटनाक्रम में कई सवाल खड़े कर देता है.

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खबर है कि बाघिन पिछले ढाई से तीन महीने से क्षेत्र से गायब है और किसी भी कैमरे पर वह नहीं नजर आ पाई है. उधर मामले के सार्वजनिक होते ही अधिकारी दावा करने लगे हैं कि बाघिन के पद चिन्ह बड़कोट वन क्षेत्र में मिले हैं. जबकि बाघिन पिछले करीब 6 सालों में कभी राजाजी क्षेत्र से बाहर नहीं गयी.

राजाजी पार्क से करोड़ों की बाघिन ढाई महीने से लापता.

बहरहाल, क्षेत्र में कैमरों की संख्या बढ़ा दी गई है. दो हाथियों पर कर्मचारियों को भी बाघिन को ढूंढने के लिए लगा दिया गया है. प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला इस मामले को बेहद गंभीर बताती हैं. उनका कहना है कि मामला गंभीर है और उन्हें बाघिन के बड़कोट क्षेत्र में होने की बात बताई गई है. ऐसे में अधिकारियों को बाघिन की खोजबीन के लिए निर्देशित किया गया है.

करोड़ों के प्रोजेक्ट में बाघिन का है अहम रोल

राजाजी नेशनल पार्क में एक बड़ा क्षेत्र ऐसा है, जहां पर बाघों के लिहाज से बेहतर परिस्थितियां भी हैं. एक बेहद बड़ा इलाका बाघों की संख्या के लिहाज से खाली भी है. ऐसे में एनटीसीए की मंजूरी के बाद उत्तराखंड में 5 बाघों को इस क्षेत्र में रीलोकेट किया जा रहा है. यह एक करोड़ों का प्रोजेक्ट है. इस क्षेत्र में दो बाघिन भी हैं. योजना थी कि 5 बाघों को यहां पर लाकर बाघिन से बाघों की संख्या को यहां बढ़ाया जा सकेगा. लेकिन प्रोजेक्ट के लिए एक तरफ तैयारी की जा रही है तो दूसरी तरफ बाघिन ही लापता हो गई है. सूत्रों की मानें तो एनटीसीए ने भी इस मामले का संज्ञान लेकर प्रदेश में वन अधिकारियों से इसकी जानकारी मांगी है.

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विवादित अधिकारी पर भी उठ रहे सवाल

जिस अधिकारी के क्षेत्र से बाघिन लापता बताई जा रही है, वह पहले भी विभिन्न मामलों के चलते विवादों में रहा है. खबर तो यहां तक है कि इस क्षेत्र में शिकारियों द्वारा लगाया गया पंजा भी मिला है. हालांकि इसकी पुष्टि अधिकारी नहीं कर रहे हैं. लेकिन सवाल उठ रहा है कि विवादित अधिकारी कोमल सिंह के क्षेत्र में इतना बड़ा मामला हो जाने के बावजूद भी अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई है.

Last Updated : Nov 23, 2020, 5:58 PM IST
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