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बाघों की सुरक्षा को लेकर उत्तराखंड सरकार का बड़ा फैसला, टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का हुआ गठन

कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों की सुरक्षा अब टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के जिम्मे होगी. कैबिनेट ने फिलहाल कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के लिये 85 पदों के ढांचे को मंजूरी दे दी है.

टाइगरों की सुरक्षा के लिए उठाया गया बड़ा कदम
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Published : Aug 29, 2019, 7:35 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड का कॉर्बेट नेशनल पार्क अब बाघों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह तैयार है. प्रदेश सरकार ने कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में 85 पदों के ढांचे को मंजूरी दे दी है, जिसकी पिछले लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. स्थाई रिजर्व फोर्स का गठन होने के बाद अब बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर रहेगी. वहीं इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.

उत्तराखंड सरकार ने बाघों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. भारत में बाघों के घनत्व के लिहाज से बाघों की सबसे ज्यादा संख्या कॉर्बेट नेशनल पार्क में है. जिसकी वजह से यहां बाघों के शिकार को लेकर सबसे ज्यादा संभावनाएं रहती हैं. ऐसे में करीब एक दशक से टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत महसूस की जाती रही है. हाई कोर्ट की तरफ से भी कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने को लेकर 2018 में आदेश किया जा चुका था. जिसके बाद एक अस्थाई टीम का गठन भी किया गया था. जिसमें करीब 38 पूर्व सैनिकों की टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के रूप में नियुक्ति की गई थी, लेकिन स्थाई टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत तब भी महसूस होती रही.

टाइगरों की सुरक्षा के लिए उठाया गया बड़ा कदम

पढ़ें-ऋषिकेश मर्डर: मौत के बाद बेटी की आंखें की दान, अब रोशन होगी किसी और की दुनिया

जिसको लेकर त्रिवेंद्र कैबिनेट ने अहम निर्णय लिया है. कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के लिए 85 पदों के ढांचे के गठन पर सहमति दे दी गई है.

प्रोटेक्शन फोर्स का खर्च भारत सरकार वहन करेगी. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि कॉर्बेट पार्क में स्थाई रिजर्व फोर्स का गठन होने के बाद बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर रहेगी. साथ ही बाघों के संरक्षण पर ही पूरी तरह से इस फोर्स का फोकस होगा. साथ ही उन्होंने बताया कि इसमें फोर्स की तरफ से गश्त करने, शिकारियों पर नकेल कसने और मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी तक करने की जिम्मेदारियां होंगी.

बता दें कि कॉर्बेट में लगातार बाघों की हो रही मौतों को देखते हुए टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन बेहद जरूरी माना जा रहा था. इससे पहले हाईकोर्ट ने भी एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जल्द से जल्द इसके गठन के आदेश दिए थे.

देहरादून: उत्तराखंड का कॉर्बेट नेशनल पार्क अब बाघों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह तैयार है. प्रदेश सरकार ने कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में 85 पदों के ढांचे को मंजूरी दे दी है, जिसकी पिछले लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. स्थाई रिजर्व फोर्स का गठन होने के बाद अब बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर रहेगी. वहीं इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.

उत्तराखंड सरकार ने बाघों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. भारत में बाघों के घनत्व के लिहाज से बाघों की सबसे ज्यादा संख्या कॉर्बेट नेशनल पार्क में है. जिसकी वजह से यहां बाघों के शिकार को लेकर सबसे ज्यादा संभावनाएं रहती हैं. ऐसे में करीब एक दशक से टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत महसूस की जाती रही है. हाई कोर्ट की तरफ से भी कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने को लेकर 2018 में आदेश किया जा चुका था. जिसके बाद एक अस्थाई टीम का गठन भी किया गया था. जिसमें करीब 38 पूर्व सैनिकों की टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के रूप में नियुक्ति की गई थी, लेकिन स्थाई टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत तब भी महसूस होती रही.

टाइगरों की सुरक्षा के लिए उठाया गया बड़ा कदम

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जिसको लेकर त्रिवेंद्र कैबिनेट ने अहम निर्णय लिया है. कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के लिए 85 पदों के ढांचे के गठन पर सहमति दे दी गई है.

प्रोटेक्शन फोर्स का खर्च भारत सरकार वहन करेगी. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि कॉर्बेट पार्क में स्थाई रिजर्व फोर्स का गठन होने के बाद बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर रहेगी. साथ ही बाघों के संरक्षण पर ही पूरी तरह से इस फोर्स का फोकस होगा. साथ ही उन्होंने बताया कि इसमें फोर्स की तरफ से गश्त करने, शिकारियों पर नकेल कसने और मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी तक करने की जिम्मेदारियां होंगी.

बता दें कि कॉर्बेट में लगातार बाघों की हो रही मौतों को देखते हुए टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन बेहद जरूरी माना जा रहा था. इससे पहले हाईकोर्ट ने भी एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जल्द से जल्द इसके गठन के आदेश दिए थे.

Intro:Summary- उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क में जल्द टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बाघों की सुरक्षा पर काम करता दिखाई देगा... कैबिनेट ने फिलहाल कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के लिये 85 पदों के ढांचे को मंजूरी दे दी है। 


उत्तराखंड का कॉर्बेट नेशनल पार्क अब बाघों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सेफ होगा...दरअसल प्रदेश सरकार ने कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स को लेकर 85 पदों के ढांचे को मंजूरी दे दी है। 




Body:देश में बाघों की संख्या के लिहाज से तीसरे नंबर के राज्य उत्तराखंड ने बाघों की सुरक्षा को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। दरअसल देश में बाघों के घनत्व के लिहाज से बाघों की सबसे ज्यादा संख्या कॉर्बेट नेशनल पार्क में है... और यहां बाघों के शिकार को लेकर सबसे ज्यादा संभावनाएं रहती हैं... ऐसे में करीब एक दशक से टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत महसूस की जाती रही है खुद हाई कोर्ट की तरफ से भी कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने को लेकर 2018 में आदेश किए जा चुके हैं.. जिसके बाद एक अस्थाई टीम का गठन भी किया गया था जिसमें करीब 38 पूर्व सैनिकों की टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के रूप में नियुक्ति हुई थी। लेकिन इसके बावजूद स्थाई रूप से टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत है महसूस की जा रही थी। इस दिशा में त्रिवेंद्र कैबिनेट ने आज अहम निर्णय लेते हुए कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के लिए 85 पदों के ढांचे के गठन पर सहमति दे दी है। प्रोटेक्शन फोर्स को लेकर भारत सरकार की तरफ से ही वित्तीय खर्चा वहन किया जाएगा। ईटीवी भारत संवाददाता से दूरभाष पर बात करते हुए वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि कॉर्बेट पार्क में स्थाई रिज़र्व फोर्स का गठन होने के बाद बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर होगी और बाघों के संरक्षण पर ही पूरी तरह से इस फोर्स का फोकस होगा। इसमें फोर्स की तरफ से गस्त करने समेत संभावित शिकारियों पर नकेल कसने और मुकदमे बाजी समेत गिरफ्तार यों की पूरी जिम्मेदारी इसी रिजर्व फोर्स पर होगी। 


Conclusion:टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स कॉर्बेट में लगातार बाघों की हो रही मौत को देखते हुए भी बेहद जरूरी माना जा रहा था इससे पहले हाईकोर्ट ने भी एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जल्द से जल्द इसके गठन के आदेश दिए थे हालांकि उसके बाद एक अस्थाई टीम का गठन किया गया था लेकिन बावजूद इसके टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में स्थाई एक्सपर्ट टीम की जरूरत महसूस की जा रही थी।
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