देहरादून: उत्तराखंड का कॉर्बेट नेशनल पार्क अब बाघों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह तैयार है. प्रदेश सरकार ने कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में 85 पदों के ढांचे को मंजूरी दे दी है, जिसकी पिछले लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी. स्थाई रिजर्व फोर्स का गठन होने के बाद अब बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर रहेगी. वहीं इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.
उत्तराखंड सरकार ने बाघों की सुरक्षा को लेकर बड़ा फैसला लिया है. भारत में बाघों के घनत्व के लिहाज से बाघों की सबसे ज्यादा संख्या कॉर्बेट नेशनल पार्क में है. जिसकी वजह से यहां बाघों के शिकार को लेकर सबसे ज्यादा संभावनाएं रहती हैं. ऐसे में करीब एक दशक से टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत महसूस की जाती रही है. हाई कोर्ट की तरफ से भी कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने को लेकर 2018 में आदेश किया जा चुका था. जिसके बाद एक अस्थाई टीम का गठन भी किया गया था. जिसमें करीब 38 पूर्व सैनिकों की टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के रूप में नियुक्ति की गई थी, लेकिन स्थाई टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित किए जाने की जरूरत तब भी महसूस होती रही.
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जिसको लेकर त्रिवेंद्र कैबिनेट ने अहम निर्णय लिया है. कॉर्बेट में टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के लिए 85 पदों के ढांचे के गठन पर सहमति दे दी गई है.
प्रोटेक्शन फोर्स का खर्च भारत सरकार वहन करेगी. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि कॉर्बेट पार्क में स्थाई रिजर्व फोर्स का गठन होने के बाद बाघों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी इस टीम पर रहेगी. साथ ही बाघों के संरक्षण पर ही पूरी तरह से इस फोर्स का फोकस होगा. साथ ही उन्होंने बताया कि इसमें फोर्स की तरफ से गश्त करने, शिकारियों पर नकेल कसने और मुकदमे दर्ज कर गिरफ्तारी तक करने की जिम्मेदारियां होंगी.
बता दें कि कॉर्बेट में लगातार बाघों की हो रही मौतों को देखते हुए टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन बेहद जरूरी माना जा रहा था. इससे पहले हाईकोर्ट ने भी एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जल्द से जल्द इसके गठन के आदेश दिए थे.