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त्रिवेंद्र सरकार के तीन साल, कुछ वादे हुए पूरे तो कुछ रह गए अधूरे - dehradun news

2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जिन वादों के भरोसे जनता ने त्रिवेंद्र सरकार को सत्ता की चाबी सौंपी. उस सरकार के कार्यकाल के तीन साल पूरे होने को है. ऐसे में देखना होगा कि सरकार ने किन-किन वादों पर काम किया और कौन-कौन से वादे अभी भी ठंडे बस्ते में हैं.

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त्रिवेंद्र सरकार
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Published : Mar 15, 2020, 7:03 AM IST

Updated : Mar 15, 2020, 3:23 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार को 3 साल पूरे होने जा रही है. यूं तो सरकार के लिए ये ख़ुशी का मौका है, लेकिन ये अवसर उन वायदों के आंकलन का भी हैं, जो सत्ता में आने से पहले भाजपा ने अपने घोषणा पत्र के जरिये लोगों से किये थे. ETV Bharat सरकार के 3 सालों के घोषणा पत्र के वादों के लिहाज से कुछ खास बिंदुओं को आप तक पहुंचा रहा है. देखिये स्पेशल रिपोर्ट...

विधानसभा चुनाव 2017 से पहले फरवरी में भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था. दृष्टि पत्र के नाम से जारी किए गए इस विजन डॉक्यूमेंट में पार्टी ने उन सभी वादों को जगह दी, जो लोकलुभावने और ज्यादा से ज्यादा ध्यान खींचने वाले थे. इस घोषणापत्र में युवाओं को खास जगह दी गई साथ ही रोजगार, पलायन, किसान की आय बढ़ाने, स्वास्थ्य सुविधाएं, भ्रष्टाचार विरोधी सरकार का नारा, शिक्षा संसाधन बढ़ाने जैसी बातों को केंद्र बिंदु में रखा गया, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार घोषणा-पत्र के वादों के लिहाज से बहुत लंबा सफर तय नहीं कर पाई है. भाजपा के घोषणा पत्र की एक लंबी फेहरिस्त है, जिस पर शत प्रतिशत काम नहीं हो पाया है.

त्रिवेंद्र सरकार के तीन साल.

अब जानिए वह वादे जिसे सरकार कोसों दूर नजर आ रही है

  • सरकार आने पर 100 दिन में लोकायुक्त एक्ट लागू करने का वायदा अधूरा है
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का नारा कई मामलों में कोरा ही नजर आया. NH 74 मामले में वाहवाही लूटने वाली त्रिवेंद्र सरकार कथित घोटाले को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई. उल्टा सस्पेंड किए गए IAS अधिकारियों को सरकार ने अहम जिम्मेदारी दे दी.
  • सरकार में आने के बाद 6 महीने में रिक्त पदों को भरने का वादा भी झूठा साबित हुआ.
  • प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधारने और नए अस्पतालों सफेद हेल्थ सेंटर खोले जाने जैसी बातें अधूरी रही.
  • अपराध के क्षेत्र में महिला विरोधी अपराधों की संख्या में कमी करने में भी कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई सरकार.
  • प्रदेश में 24 घंटे बिजली पानी की व्यवस्था का कई दुर्गम क्षेत्रों में अब भी संतोषजनक नहीं है हाल.
  • मेधावी छात्रों को लैपटॉप और स्मार्टफोन दिए जाने की घोषणा का भी सरकार को मंथन करने की जरुरत.
  • साल 2019 तक हर गांव में सड़क पहुंचाने के फायदे को जमीनी स्तर पर जांचने की जरुरत.
  • विश्वविद्यालयों में फ्री वाईफाई, नि:शुल्क कोचिंग और युवा नीति बनाये जाने का वायदा पूरा करने का भी करना होगा आत्ममंथन.
  • पर्यटन में नए डेस्टिनेशन पर सरकार अब तक दिखाई दी फेल.
  • धरातल पर नहीं आया लघु जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने का वायदा.
  • युवाओं के कौशल विकास के हालात भी नहीं संतोषजनक.
  • प्रदेश में शिक्षा के हालातों में बदलाव करने में नाकाम रही सरकार.

ये भी पढ़े: सीएम आज लेंगे मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल की बैठक, कई अहम फैसलों पर लग सकती है मुहर

ऐसी कई बिंदु है जिन पर घोषणा पत्र में फोकस किया गया और इन मुख्य बिंदुओं को ही सरकार 3 सालों में पूरा नहीं कर पाई. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट बताते हैं कि सरकार ने जो वादे किए थे उनको धरातल पर उतारने के लिए कोई प्रयास ही नहीं किया गया है.

त्रिवेंद्र सरकार के वो काम जो पिछले 3 सालों में हुए

ऐसा नहीं है कि त्रिवेद सरकार के 3 साल पूरी तरह से विकास कार्यों में नगण्य रहे हों. त्रिवेंद्र सरकार ने कुछ ऐसे काम भी किए, जो अब तक राज्य की कोई सरकार नहीं कर पाई है. राजधानी के मुद्दे पर सरकार ने साहसिक निर्णय लेकर गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा हाल ही में की है. इसके अलावा जिन मुद्दों पर सरकार फोकस्ड नज़र आई. उसमे इन्वेस्टर्स की तलाश, फिल्म प्रोडक्शन के लिए उत्तराखंड को तैयार करना, पलायन पर स्टडी बेस खाका तैयार करने जैसी चीजें रही हैं.

जानिए क्या रहे सरकार के घोषणा पत्र के लिहाज से 3 सालों के बड़े काम

  • राज्य में पहला बृहद इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करना.
  • अटल आयुष्मान योजना में पूरे प्रदेश को शामिल करना.
  • होम स्टे योजना को बेहद तेजी से आगे बढ़ाना.
  • शिक्षा में वर्चुअल क्लास को लेकर नई सोच के साथ कदम बढ़ाना.
  • राज्य में ऑर्गेनिक खेती के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाना.
  • पलायन आयोग के गठन के साथ राज्य में पलायन की स्थितियों का डाटा तैयार करना.
  • सीएम हेल्पलाइन 1905 के जरिए काफी हद तक लोगों की समस्याओं पर काम करना.
  • डॉक्टर्स की भर्ती के लिए प्रयास करना.
  • बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का राज्य को मिला सम्मान.

राज्य सरकार ने यूं तो कई दूसरे विकास कार्यों किए हैं, लेकिन घोषणा-पत्र के लिहाज से इन कामों को ही मुख्य रूप से गिना जा सकता है. हालांकि, अब भी कई काम अधूरे हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि वह घोषणा पत्र के लिहाज से अब तक 70% काम पूरे कर चुकी है.

देहरादून: उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार को 3 साल पूरे होने जा रही है. यूं तो सरकार के लिए ये ख़ुशी का मौका है, लेकिन ये अवसर उन वायदों के आंकलन का भी हैं, जो सत्ता में आने से पहले भाजपा ने अपने घोषणा पत्र के जरिये लोगों से किये थे. ETV Bharat सरकार के 3 सालों के घोषणा पत्र के वादों के लिहाज से कुछ खास बिंदुओं को आप तक पहुंचा रहा है. देखिये स्पेशल रिपोर्ट...

विधानसभा चुनाव 2017 से पहले फरवरी में भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था. दृष्टि पत्र के नाम से जारी किए गए इस विजन डॉक्यूमेंट में पार्टी ने उन सभी वादों को जगह दी, जो लोकलुभावने और ज्यादा से ज्यादा ध्यान खींचने वाले थे. इस घोषणापत्र में युवाओं को खास जगह दी गई साथ ही रोजगार, पलायन, किसान की आय बढ़ाने, स्वास्थ्य सुविधाएं, भ्रष्टाचार विरोधी सरकार का नारा, शिक्षा संसाधन बढ़ाने जैसी बातों को केंद्र बिंदु में रखा गया, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में भाजपा सरकार घोषणा-पत्र के वादों के लिहाज से बहुत लंबा सफर तय नहीं कर पाई है. भाजपा के घोषणा पत्र की एक लंबी फेहरिस्त है, जिस पर शत प्रतिशत काम नहीं हो पाया है.

त्रिवेंद्र सरकार के तीन साल.

अब जानिए वह वादे जिसे सरकार कोसों दूर नजर आ रही है

  • सरकार आने पर 100 दिन में लोकायुक्त एक्ट लागू करने का वायदा अधूरा है
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का नारा कई मामलों में कोरा ही नजर आया. NH 74 मामले में वाहवाही लूटने वाली त्रिवेंद्र सरकार कथित घोटाले को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई. उल्टा सस्पेंड किए गए IAS अधिकारियों को सरकार ने अहम जिम्मेदारी दे दी.
  • सरकार में आने के बाद 6 महीने में रिक्त पदों को भरने का वादा भी झूठा साबित हुआ.
  • प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधारने और नए अस्पतालों सफेद हेल्थ सेंटर खोले जाने जैसी बातें अधूरी रही.
  • अपराध के क्षेत्र में महिला विरोधी अपराधों की संख्या में कमी करने में भी कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई सरकार.
  • प्रदेश में 24 घंटे बिजली पानी की व्यवस्था का कई दुर्गम क्षेत्रों में अब भी संतोषजनक नहीं है हाल.
  • मेधावी छात्रों को लैपटॉप और स्मार्टफोन दिए जाने की घोषणा का भी सरकार को मंथन करने की जरुरत.
  • साल 2019 तक हर गांव में सड़क पहुंचाने के फायदे को जमीनी स्तर पर जांचने की जरुरत.
  • विश्वविद्यालयों में फ्री वाईफाई, नि:शुल्क कोचिंग और युवा नीति बनाये जाने का वायदा पूरा करने का भी करना होगा आत्ममंथन.
  • पर्यटन में नए डेस्टिनेशन पर सरकार अब तक दिखाई दी फेल.
  • धरातल पर नहीं आया लघु जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने का वायदा.
  • युवाओं के कौशल विकास के हालात भी नहीं संतोषजनक.
  • प्रदेश में शिक्षा के हालातों में बदलाव करने में नाकाम रही सरकार.

ये भी पढ़े: सीएम आज लेंगे मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल की बैठक, कई अहम फैसलों पर लग सकती है मुहर

ऐसी कई बिंदु है जिन पर घोषणा पत्र में फोकस किया गया और इन मुख्य बिंदुओं को ही सरकार 3 सालों में पूरा नहीं कर पाई. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट बताते हैं कि सरकार ने जो वादे किए थे उनको धरातल पर उतारने के लिए कोई प्रयास ही नहीं किया गया है.

त्रिवेंद्र सरकार के वो काम जो पिछले 3 सालों में हुए

ऐसा नहीं है कि त्रिवेद सरकार के 3 साल पूरी तरह से विकास कार्यों में नगण्य रहे हों. त्रिवेंद्र सरकार ने कुछ ऐसे काम भी किए, जो अब तक राज्य की कोई सरकार नहीं कर पाई है. राजधानी के मुद्दे पर सरकार ने साहसिक निर्णय लेकर गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा हाल ही में की है. इसके अलावा जिन मुद्दों पर सरकार फोकस्ड नज़र आई. उसमे इन्वेस्टर्स की तलाश, फिल्म प्रोडक्शन के लिए उत्तराखंड को तैयार करना, पलायन पर स्टडी बेस खाका तैयार करने जैसी चीजें रही हैं.

जानिए क्या रहे सरकार के घोषणा पत्र के लिहाज से 3 सालों के बड़े काम

  • राज्य में पहला बृहद इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करना.
  • अटल आयुष्मान योजना में पूरे प्रदेश को शामिल करना.
  • होम स्टे योजना को बेहद तेजी से आगे बढ़ाना.
  • शिक्षा में वर्चुअल क्लास को लेकर नई सोच के साथ कदम बढ़ाना.
  • राज्य में ऑर्गेनिक खेती के लिए नीतिगत निर्णय लिया जाना.
  • पलायन आयोग के गठन के साथ राज्य में पलायन की स्थितियों का डाटा तैयार करना.
  • सीएम हेल्पलाइन 1905 के जरिए काफी हद तक लोगों की समस्याओं पर काम करना.
  • डॉक्टर्स की भर्ती के लिए प्रयास करना.
  • बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का राज्य को मिला सम्मान.

राज्य सरकार ने यूं तो कई दूसरे विकास कार्यों किए हैं, लेकिन घोषणा-पत्र के लिहाज से इन कामों को ही मुख्य रूप से गिना जा सकता है. हालांकि, अब भी कई काम अधूरे हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि वह घोषणा पत्र के लिहाज से अब तक 70% काम पूरे कर चुकी है.

Last Updated : Mar 15, 2020, 3:23 PM IST
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