देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस ने तीन तिगड़ा, काम बिगड़ा का स्लोगन देकर भले ही प्रदेश में सरकार लाने की कोशिश की हो, लेकिन कांग्रेस इसमें कामयाब नहीं हो पाई. हालांकि, भाजपा के लिए यह स्लोगन इन तीन दोस्तों पर भारी पड़ा है. दरअसल, भाजपा के तीन दोस्तों को पार्टी को मिले प्रचंड बहुमत के बावजूद अपनी सीट गंवानी पड़ी है. इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनके दो दोस्त भी शामिल हैं.
भाजपा सरकार में तीन दोस्तों की तिगड़ी को इस बार चुनाव हार का मुंह देखना पड़ा. इसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद और लक्सर विधायक संजय गुप्ता का नाम शामिल है. बता दें कि भाजपा में इन तीनों की दोस्ती काफी चर्चाओं में रहती है, लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 में इन तीनों दोस्तों के लिए अच्छा नहीं रहा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, जहां खटीमा से चुनाव हार गए. वहीं, हरिद्वार ग्रामीण से कैबिनेट मंत्री यतिस्वरानंद भी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत से चुनाव हार गए. भाजपा विधायक संजय गुप्ता को भी हार का मुंह देखना पड़ा है. हालांकि, मतदान के बाद से ही संजय गुप्ता बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर भितरघात करने का आरोप लगाते रहे.
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उत्तराखंड में इस बार भी भाजपा की लहर देखने को मिली. मोदी फैक्टर के चलते भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है और 47 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. उसके बावजूद भी मुख्यमंत्री धामी का इस तरह हार जाना सभी को चौंका रहा है. बताया जा रहा है कि पुष्कर सिंह धामी का अपनी सीट पर ज्यादा ध्यान ना दे पाना और उनके खिलाफ जनता का माहौल, उनकी हार का कारण रहा. साथ ही कांग्रेस के भुवन कापड़ी ने इस क्षेत्र में लगातार सक्रियता बनाए रखी, जिसकी वजह से धामी चुनाव में पीछे रह गए.
कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद सरकार में आने के बाद खनन को लेकर काफी ज्यादा चर्चाओं में रहे और क्षेत्र में भी उनको लेकर नकारात्मक सोच लोगों में बढ़ती चली गई. उधर, मुस्लिम और दलित ने यतीश्वरानंद को हराकर अनुपमा रावत की झोली में जीत डाल दिया. लक्सर विधानसभा सीट पर संजय गुप्ता की हार की वजह पार्टी का भितरघात रहा. मुस्लिम और दलित वोटों का एक तरफा ध्रुवीकरण भी संजय गुप्ता से उनकी सीट छीन ले गया. बता दें कि संजय गुप्ता के खिलाफ भी लोगों में नाराजगी थी और सरकार की एंटी इनकंबेंसी के साथ उनकी निजी छवि ने भी उनको इस सीट पर हार दिलवाई.