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उत्तराखंड में इन तीन जगहों पर लगेंगे डॉप्लर रडार, अब मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी

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Published : Jun 12, 2019, 7:02 PM IST

उत्तराखंड में मौसम विभाग अब हाईटेक होने जा रहा है. इसके लिए प्रदेश के तीन स्थानों पर हाईटेक रडार लगाए जाएंगे, जिससे मौसम की सटीक जानकारी मिल पाएगी.

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देहरादून: अब लोगों को मौसम की सटीक जानकारी मिल पाएगी. इसके लिए मौसम विभाग प्रदेश के तीन अलग-अलग स्थानों पर डॉप्लर रडार लगाने की योजना बना रहा है. जिसके तहत अब तक प्रदेश के दो स्थानों को डॉप्लर रडार लगाने के लिए चिह्नित कर लिया गया है.

अब मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी.

बता दें कि मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की ओर से जिन दो स्थानों को डॉप्लर रडार लगाने के लिए चिह्नित किया गया है, उसमें टिहरी जनपद में आने वाले सुरकंडा देवी और मुक्तेश्वर शामिल हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉप्लर रडार लगाने के लिए तीसरे स्थान के तौर पर लैंसडाउन को चुना जा सकता है. फिलहाल डॉप्लर रडार लगाने को लेकर यहां शोध किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: कुमाऊं से दो और गढ़वाल से एक बन सकता है मंत्री- राजकुमार ठुकराल

डॉप्लर रडार लगाने के संबंध में जानकारी देते हुए मौसम निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि जुलाई की शुरूआत में सुरकंडा देवी में डॉप्लर रडार लगाने का काम शुरू किया जाएगा. सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई के अंत तक यहां लगे डॉप्लर रडार से मौसम की जानकारी भी मिलनी शुरू हो जाएगी. वहीं, दूसरे चरण में जल्द ही मुक्तेश्वर में भी डॉप्लर रडार स्थापित करने का कार्य शुरू किया जाएगा. इस रडार के लगने से बादल के फटने, बारिश, आंधी आदि की सटीक जानकारी पहले ही मिल जाएगी. जिससे आपदा के दौरान होने वाले जान-माल के नुकसान में कमी आएगी.

क्या है डॉप्लर रडार?

  • डॉप्लर रडार को डॉप्लर वेदर रडार भी कहा जाता है. इसकी मदद से लगभग 100 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है.
  • यह रडार डॉप्लर इफेक्ट का इस्तेमाल कर अतिसूक्ष्म तरंगों को भी जांच कर लेता है. ऐसे में जब अतिसूक्ष्म तरंगें किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तो यह रडार उसकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है.
  • यह रडार हवा में मौजूद अतिसूक्ष्म पानी की बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का पता भी लगा लेता है. इसके साथ ही ये रडार बूंदों के आकार, दूरी और उसकी रफ्तार को हर मिनट अपडेट करता रहता है. जिससे ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में कितनी वर्षा या तूफान आने की संभावना है.

देहरादून: अब लोगों को मौसम की सटीक जानकारी मिल पाएगी. इसके लिए मौसम विभाग प्रदेश के तीन अलग-अलग स्थानों पर डॉप्लर रडार लगाने की योजना बना रहा है. जिसके तहत अब तक प्रदेश के दो स्थानों को डॉप्लर रडार लगाने के लिए चिह्नित कर लिया गया है.

अब मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी.

बता दें कि मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की ओर से जिन दो स्थानों को डॉप्लर रडार लगाने के लिए चिह्नित किया गया है, उसमें टिहरी जनपद में आने वाले सुरकंडा देवी और मुक्तेश्वर शामिल हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉप्लर रडार लगाने के लिए तीसरे स्थान के तौर पर लैंसडाउन को चुना जा सकता है. फिलहाल डॉप्लर रडार लगाने को लेकर यहां शोध किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: कुमाऊं से दो और गढ़वाल से एक बन सकता है मंत्री- राजकुमार ठुकराल

डॉप्लर रडार लगाने के संबंध में जानकारी देते हुए मौसम निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि जुलाई की शुरूआत में सुरकंडा देवी में डॉप्लर रडार लगाने का काम शुरू किया जाएगा. सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई के अंत तक यहां लगे डॉप्लर रडार से मौसम की जानकारी भी मिलनी शुरू हो जाएगी. वहीं, दूसरे चरण में जल्द ही मुक्तेश्वर में भी डॉप्लर रडार स्थापित करने का कार्य शुरू किया जाएगा. इस रडार के लगने से बादल के फटने, बारिश, आंधी आदि की सटीक जानकारी पहले ही मिल जाएगी. जिससे आपदा के दौरान होने वाले जान-माल के नुकसान में कमी आएगी.

क्या है डॉप्लर रडार?

  • डॉप्लर रडार को डॉप्लर वेदर रडार भी कहा जाता है. इसकी मदद से लगभग 100 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम के बदलाव की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है.
  • यह रडार डॉप्लर इफेक्ट का इस्तेमाल कर अतिसूक्ष्म तरंगों को भी जांच कर लेता है. ऐसे में जब अतिसूक्ष्म तरंगें किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तो यह रडार उसकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है.
  • यह रडार हवा में मौजूद अतिसूक्ष्म पानी की बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का पता भी लगा लेता है. इसके साथ ही ये रडार बूंदों के आकार, दूरी और उसकी रफ्तार को हर मिनट अपडेट करता रहता है. जिससे ये आसानी से पता लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में कितनी वर्षा या तूफान आने की संभावना है.
Intro:Desk this is a special story . sending the still photo of Dopplar Radar from mail

देहरादून- मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून पिछले लंबे समय से मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रदेश के 3 अलग-अलग स्थानों में डॉप्लर रडार लगाने पर विचार कर रहा था । जिसके तहत अब प्रदेश के 2 स्थानों में डॉप्लर रडार लगाने के लिए स्थान चिन्हित कर लिए गए है ।

बता दें कि मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून की ओर से जिन दो स्थानों को डॉप्प्लर रडार लगाने के लिए चिन्हित किया गया है उसमें टिहरी जनपद में आने वाले सुरकुंडा देवी और मुक्तेश्वर शामिल है । वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉप्लर रडार लगाने के लिए तीसरे स्थान के तौर पर लैंसडौन को चुना जा सकता है । फिलहाल डॉप्लर रडार लगाने को लेकर यहां शोध किया जा रहा है ।




Body:डॉप्लर रडार लगाने के संबंध में जानकारी देते हुए मौसम निदेशक विक्रम सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई माह की शुरुआत में सुरकुंडा देवी में डॉप्लर रडार लगाने का कार्य शुरू किया जाएगा । सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई माह के अंत तक यहां लगे डॉप्लर रडार से मौसम की जानकारी भी मिलनी शुरू हो जाएगी । वहीं दूसरे चरण में जल्द ही मुक्तेश्वर में भी डॉप्लर रडार स्थापित करने का कार्य शुरू किया जाएगा ।

गौरतलब है कि डॉप्लर रडार लगने से मौसम विज्ञान केंद्र मौसम से जुड़ी ओर सटीक जानकारी प्रदेश वासियों को उपलब्ध करा पायेगा । अब तक भी मौसम विज्ञान केंद्र के लिए यह बता पाना एक बड़ी चुनौती है कि आखिर कब और किस स्थान पर बादल फटने की संभावना है । लेकिन आने वाले समय में डॉप्लर रडार की मदद से मौसम विज्ञान केंद्र की और से बादल फटने से जुड़ी सठीक जानकारी मिल पाएगी । जिससे जान- माल को होने वाले नुकसान में कमी आएगी ।


Conclusion:क्या है डॉप्लर रडार -

- डॉप्लर राडार को डॉप्लर वेदर रडार भी कहा जाता है । इसकी मदद से लगभग 100 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसमी बदलाव की जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है।

- यह रडार डॉपलर इफेक्ट का इस्तेमाल कर अतिसूक्ष्म तरंगों को भी जांच कर लेता है ऐसे में जब अतिसूक्ष्म तरंगे किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तो यह रडार उसकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है।

- यह रडार हवा में मौजूद अतिसूक्ष्म पानी की बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का पता भी लगा रहता है। इसके अलावा यह बूंदों के आकार उसकी रडार दूरी सहित उसके रफ्तार से संबंधित जानकारी को भी हर मिनट में अपडेट करता रहता है। जिससे यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि के क्षेत्र में कितनी वर्षा या तूफान आने की संभावना है।
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