देहरादून: सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय सरोकारों के लिए हिमालयी राज्यों को एक मंच पर लाने के लिए हाल ही में मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव के नाम से एक सम्मेलन किया गया था. जिसमें हिमालय राज्यों से जुड़े कई मुद्दों पर बात की गई थी. आपको बताते है कि इस कॉनक्लेव से उत्तराखंड सरीखे सभी हिमालयन राज्यों को क्या फायदा होने जा रहा है.
इसी साल जुलाई माह में सभी 11 हिमालयन राज्य अपनी विषम परिस्थियों और देश को दी जाने वाली पर्यावरणीय सेवाओं पर पर विचार विमर्श करने के लिए एक जुट हुए थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और नीति आयोग के अध्यक्षत ने भी हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यही था कि 15वें वित्त आयोग की जो रिपोर्ट बन रही है उसमें हिमालय राज्यों में विकास और चुनौतियों को देखते हुए बजट में विशेष प्रावधान किया जाए.
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इस बारे में उत्तराखंड के वित्त सचिव अमित नेगी ने कई जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में मुख्य तौर पर तीन पहलुओं पर चर्चा की गई थी.
हिमालय राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितियां
वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया की जो फिफ्टीन फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट बन रही है. उसके लिए हिमालयन राज्य ने अपनी बात इस सम्मेलन में रखी थी. उन्होंने कहा कि सभी हिमालयन राज्यों में विषम भौगोलिक परिस्थितियां हैं. जिसकी वजह से यहां राजस्व घाटा अनुदान (रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट) बढ़ रहा है. सभी राज्यों में ये समस्या लगभग एक जैसी ही है.
देश को हिमालयन राज्यों की पर्यावरणीय सेवा
हिमालय कॉनक्लेव में दूसरा मुद्दा पर्यावरणीय सेवाओं को लेकर था. वित्त सचिव नेगी ने बताया कि पूरे देश में हिमालयन राज्य ही अपनी पर्यावरणीय सेवा दे रहे हैं. लेकिन राज्य को इसका कोई मुआवजा नहीं मिलता है, बल्कि यहां के निवासियों को इसी वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सम्मेलन में कहा गया था कि केंद्रीय बजट में हिमालयन राज्यों की इस बहुमूल्य योगदान का ध्यान रखा जाए.
अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा और विकास
कॉनक्लेव में तीसरा मुद्दा सुरक्षा और विकास से जुड़ा हुआ था. वित्त सचिव नेगी ने बताया कि हिमालय राज्यों में सड़कों सहित अन्य सभी तरह के निर्माणों में खर्च मैदानी राज्यों की तुलना में कई गुना ज्यादा आता है. इसका दूसरा पहलू अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है. हिमालयन कॉनक्लेव में कहा गया कि हिमालय राज्यों की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बॉर्डर एरिया को सड़कों से जोड़ना और वहां पर नवनिर्माण जरूरी है. जिसके लिए केन्द्र द्वारा विशेष सहायता जैसे ग्रीन बोनस कहा जाता है उसकी जरुरत है.
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वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने राज्यों की समस्याएं रखीं. सभी राज्यों में एक जैसी ही समस्या देखने को मिली. सम्मेलन में आए पैनल सभी प्रतिनिधियों को सकारात्मक आश्वासन दिया है. 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट सितम्बर आखिरी या फिर अक्टूबर माह में सदन में पेश की जाएगी. सिफारिशें अगले वित्तीय स्तर 2020-21 से लागू हो जाएगी.