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हिमालयन कॉन्क्लेवः उत्तराखंड में इस विषय पर किया गया था फोकस, जल्द सदन में पेश होगी रिपोर्ट

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Published : Sep 19, 2019, 6:12 PM IST

उत्तराखंड समेत सभी हिमालयी राज्य ग्रीन बोनस के लिए अब केंद्र की ओर टकटकी लगाए हैं. उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस दिशा में जल्द कोई न कोई फैसला लेगी.

हिमालयन कॉन्क्लेव

देहरादून: सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय सरोकारों के लिए हिमालयी राज्यों को एक मंच पर लाने के लिए हाल ही में मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव के नाम से एक सम्मेलन किया गया था. जिसमें हिमालय राज्यों से जुड़े कई मुद्दों पर बात की गई थी. आपको बताते है कि इस कॉनक्लेव से उत्तराखंड सरीखे सभी हिमालयन राज्यों को क्या फायदा होने जा रहा है.

हिमालयन कॉन्क्लेव में इन मुद्दों पर हुई थी चर्चा

इसी साल जुलाई माह में सभी 11 हिमालयन राज्य अपनी विषम परिस्थियों और देश को दी जाने वाली पर्यावरणीय सेवाओं पर पर विचार विमर्श करने के लिए एक जुट हुए थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और नीति आयोग के अध्यक्षत ने भी हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यही था कि 15वें वित्त आयोग की जो रिपोर्ट बन रही है उसमें हिमालय राज्यों में विकास और चुनौतियों को देखते हुए बजट में विशेष प्रावधान किया जाए.

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इस बारे में उत्तराखंड के वित्त सचिव अमित नेगी ने कई जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में मुख्य तौर पर तीन पहलुओं पर चर्चा की गई थी.

हिमालय राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितियां
वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया की जो फिफ्टीन फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट बन रही है. उसके लिए हिमालयन राज्य ने अपनी बात इस सम्मेलन में रखी थी. उन्होंने कहा कि सभी हिमालयन राज्यों में विषम भौगोलिक परिस्थितियां हैं. जिसकी वजह से यहां राजस्व घाटा अनुदान (रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट) बढ़ रहा है. सभी राज्यों में ये समस्या लगभग एक जैसी ही है.

देश को हिमालयन राज्यों की पर्यावरणीय सेवा
हिमालय कॉनक्लेव में दूसरा मुद्दा पर्यावरणीय सेवाओं को लेकर था. वित्त सचिव नेगी ने बताया कि पूरे देश में हिमालयन राज्य ही अपनी पर्यावरणीय सेवा दे रहे हैं. लेकिन राज्य को इसका कोई मुआवजा नहीं मिलता है, बल्कि यहां के निवासियों को इसी वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सम्मेलन में कहा गया था कि केंद्रीय बजट में हिमालयन राज्यों की इस बहुमूल्य योगदान का ध्यान रखा जाए.

अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा और विकास
कॉनक्लेव में तीसरा मुद्दा सुरक्षा और विकास से जुड़ा हुआ था. वित्त सचिव नेगी ने बताया कि हिमालय राज्यों में सड़कों सहित अन्य सभी तरह के निर्माणों में खर्च मैदानी राज्यों की तुलना में कई गुना ज्यादा आता है. इसका दूसरा पहलू अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है. हिमालयन कॉनक्लेव में कहा गया कि हिमालय राज्यों की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बॉर्डर एरिया को सड़कों से जोड़ना और वहां पर नवनिर्माण जरूरी है. जिसके लिए केन्द्र द्वारा विशेष सहायता जैसे ग्रीन बोनस कहा जाता है उसकी जरुरत है.

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वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने राज्यों की समस्याएं रखीं. सभी राज्यों में एक जैसी ही समस्या देखने को मिली. सम्मेलन में आए पैनल सभी प्रतिनिधियों को सकारात्मक आश्वासन दिया है. 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट सितम्बर आखिरी या फिर अक्टूबर माह में सदन में पेश की जाएगी. सिफारिशें अगले वित्तीय स्तर 2020-21 से लागू हो जाएगी.

देहरादून: सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय सरोकारों के लिए हिमालयी राज्यों को एक मंच पर लाने के लिए हाल ही में मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव के नाम से एक सम्मेलन किया गया था. जिसमें हिमालय राज्यों से जुड़े कई मुद्दों पर बात की गई थी. आपको बताते है कि इस कॉनक्लेव से उत्तराखंड सरीखे सभी हिमालयन राज्यों को क्या फायदा होने जा रहा है.

हिमालयन कॉन्क्लेव में इन मुद्दों पर हुई थी चर्चा

इसी साल जुलाई माह में सभी 11 हिमालयन राज्य अपनी विषम परिस्थियों और देश को दी जाने वाली पर्यावरणीय सेवाओं पर पर विचार विमर्श करने के लिए एक जुट हुए थे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और नीति आयोग के अध्यक्षत ने भी हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यही था कि 15वें वित्त आयोग की जो रिपोर्ट बन रही है उसमें हिमालय राज्यों में विकास और चुनौतियों को देखते हुए बजट में विशेष प्रावधान किया जाए.

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इस बारे में उत्तराखंड के वित्त सचिव अमित नेगी ने कई जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सम्मेलन में मुख्य तौर पर तीन पहलुओं पर चर्चा की गई थी.

हिमालय राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितियां
वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया की जो फिफ्टीन फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट बन रही है. उसके लिए हिमालयन राज्य ने अपनी बात इस सम्मेलन में रखी थी. उन्होंने कहा कि सभी हिमालयन राज्यों में विषम भौगोलिक परिस्थितियां हैं. जिसकी वजह से यहां राजस्व घाटा अनुदान (रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट) बढ़ रहा है. सभी राज्यों में ये समस्या लगभग एक जैसी ही है.

देश को हिमालयन राज्यों की पर्यावरणीय सेवा
हिमालय कॉनक्लेव में दूसरा मुद्दा पर्यावरणीय सेवाओं को लेकर था. वित्त सचिव नेगी ने बताया कि पूरे देश में हिमालयन राज्य ही अपनी पर्यावरणीय सेवा दे रहे हैं. लेकिन राज्य को इसका कोई मुआवजा नहीं मिलता है, बल्कि यहां के निवासियों को इसी वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सम्मेलन में कहा गया था कि केंद्रीय बजट में हिमालयन राज्यों की इस बहुमूल्य योगदान का ध्यान रखा जाए.

अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा और विकास
कॉनक्लेव में तीसरा मुद्दा सुरक्षा और विकास से जुड़ा हुआ था. वित्त सचिव नेगी ने बताया कि हिमालय राज्यों में सड़कों सहित अन्य सभी तरह के निर्माणों में खर्च मैदानी राज्यों की तुलना में कई गुना ज्यादा आता है. इसका दूसरा पहलू अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है. हिमालयन कॉनक्लेव में कहा गया कि हिमालय राज्यों की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बॉर्डर एरिया को सड़कों से जोड़ना और वहां पर नवनिर्माण जरूरी है. जिसके लिए केन्द्र द्वारा विशेष सहायता जैसे ग्रीन बोनस कहा जाता है उसकी जरुरत है.

पढ़ें- सेना प्रमुख ने किए भगवान बदरी विशाल के दर्शन, ब्रह्मकपाल में किया पिंडदान

वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपने राज्यों की समस्याएं रखीं. सभी राज्यों में एक जैसी ही समस्या देखने को मिली. सम्मेलन में आए पैनल सभी प्रतिनिधियों को सकारात्मक आश्वासन दिया है. 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट सितम्बर आखिरी या फिर अक्टूबर माह में सदन में पेश की जाएगी. सिफारिशें अगले वित्तीय स्तर 2020-21 से लागू हो जाएगी.

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एंकर- हाल ही में हिमालयन राज्यों का एक सम्मेलन उत्तराखंड में करवाया गया था जिसमे उम्मीद थी कि सभी हिमालयन राज्यों को लेकर कोई बड़ा फैसला केंद्र सरकार कर सकती है। आइये आपको बताते हैं कि इस हिमालयन कॉनक्लेव में किन मुद्दों पर चर्चा हुई और इस कॉनक्लेव से उत्तराखंड सरीखे सभी हिमालयन राज्यों को क्या फायदा होने जा रहा है।


Body:वीओ- पीछे गए जुलाई माह के आखिरी में सभी 11 हिमालयन राज्य अपनी विषम परिस्थियों और देश को दी जाने वाली पर्यावरणीय सेवाओं को लेकर विचार विमर्श करने के लिए एक जुट हुए थे जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष, और नीति आयोग के अध्यक्षता में यह सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था को जो 15वें वित्त आयोग की जो रिपोर्ट बन रही है उसमें हिमालय राज्यों में विकास और चुनोतियों को देखते हुए बजट में विशेष प्रावधान किया जाय।

उत्तराखंड वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि इस सम्मेलन में मुख्य तौर पर तीन पहलुओं पर चर्चा की गई जो कि इस तरह से है।

1- हिमालय राज्यों की विषम भौगोलिक परिस्थितिया
वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया की जो फिफ्टीन फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट बन रही है उसके लिए हिमालयन राज्य ने अपनी बात इस सम्मेलन में रखी। उन्होंने कहा कि सभी हिमालयन राज्यों में विषम भौगोलिक परिस्थितिया है जिसकी वजह से यंहा रेवेन्यु डेफिसेन्ट ग्रांट यानी राजकोषीय घाटे की है और सभी राज्यों में लगभग ये समस्या एक जैसी ही है।

2- देश को हिमालयन राज्यों की पर्यावरणीय सेवा--

हिमालय कॉनक्लेव में दूसरा मुद्दा पर्यवर्णीय सेवाओं को लेकर रहा। वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि पूरे देश मे हिमालयन राज्य ही अपनी पर्यावर्णीय सेवाएं दे रहें है और इसका ना तो उन्हें कोई मुआवजा मिल रहा है बिल्कि उल्टा इन राज्यों के निवासियों को कई तरहों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सम्मेलन में कहा गया कि देश का बजट हिमालयन राज्यो की इस बहुमूल्य योगदान को मध्यनजर रखते हुए प्रावधान होना चाहिए।


3- अंतराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बॉर्डर एरिया में विकास के लिए मदद--

तीसरा मुद्दा कॉनक्लेव में हिमालयन राज्यों में इनफ्रास्ट्रक्चर बुलडिंग को लेकर उठा। वित्त सचिव अमित नेगी के अनुसार हिमालय राज्यों में सड़कों सहित तमाम निर्माणों में खर्च अन्य तमाम मैदानी राज्यों की तुलना में कई गुना ज्यादा आता है और इसका दूसरा पहलू अंतराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा हुआ है। अमित नेगी ने कहा कि हिमालयन कॉनक्लेव में कहा गया कि हिमालय राज्यों की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बॉर्डर एरिया को सड़कों से जोड़ना ओर वंहा पर नवनिर्माण जरूरी है जिसके लिए केन्द्र द्वारा विशेष सहायता जैसे कि ग्रीन बोनस कहा जाता है उसकी जरूरत है।


वित्त सचिव अमित नेगी ने बताया कि सभी राज्यों से आये प्रतिनिधियों ने अपने राज्यों की समस्याएं रखी जो कि अधिकतर राज्यों की समान समस्याएं थी और सम्मेलन में आए पैनल ने भी सकारात्मक आश्वासन दिया है। अमित नेगी ने बताया कि 15वे वित्त आयोग की रिपोर्ट सितम्बर आखिरी या फिर अक्टूबर माह में सदन में पेश की जाएगी और सिफारिशें अगले वित्तीय स्तर 2020-21 से लागू हो जाएगी।

बाइट- अमित नेगी, वित्त सचिव उत्तराखंड


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