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नौ यूनियनों की संयुक्त फोरम दो दिनी हड़ताल पर, बैंकों का कामकाज ठप

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Published : Mar 15, 2021, 4:58 PM IST

सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में नौ यूनियनों के संयुक्त फोरम ने आंदोलन का एलान किया है. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) की ओर से रैली निकालकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया गया.

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नौ यूनियनों के संयुक्त फोरम ने किया दो दिन की हड़ताल का एलान

देहरादून/ऋषिकेश: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के 10 लाख कर्मचारी केंद्र सरकार की नीतियों के ख‍िलाफ पिछले महीने से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स की ओर से 15 और 16 मार्च को दो दिन की हड़ताल का एलान किया गया है. आज सभी बैंककर्मियों ने एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. आज प्रदेश में करीब 10 बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. गौरतलब है कि शनिवार और रविवार को भी बैंक बंद थे. इस तरह सरकारी बैंकों का कामकाज लगातार चार दिन तक ठप रहेगा. जिसके कारण आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि पिछले साल हुए बैंकों के विलय के बाद देश में मौजूदा वक्त में 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं. इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हैं. बैंक कर्मचारियों के मुताबिक सरकार इन्हीं में से दो बैंकों का निजीकरण करना चाहती है.

पढ़ें- त्रिवेंद्र सरकार के निर्णयों को बदलने पर तीरथ सरकार कर रही विचार

इस साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था. केंद्र सरकार साल 2019 में पहले ही एलआईसी में आईडीबीआई बैंक का अधिकांश हिस्सा बेच चुकी है. इसके साथ ही पिछले चार सालों में 14 सार्वजनिक बैंकों का विलय हुआ है.

पढ़ें- CM तीरथ सिंह रावत ने पीएम मोदी की तुलना भगवान राम से की

यूएफबीयू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने बताया की बैंकों का निजीकरण करने से बैंक कर्मचारियों को दिक्कतें आएंगी.आम जनता पर भी इसका असर पड़ेगा. साथ ही पिछले इतिहास में प्राइवेट बैंक डूबते आए हैं. आज तक सरकारी बैंक नहीं डूबे हैं. प्रदेश भर के करीब 10 हजार बैंक कर्मियों ने आज हड़ताल में हिस्सा लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती है, तो पब्लिक सेक्टर को साथ लेकर आंदोलन शुरू कर सकते हैं. सरकार फिर भी नहीं मानती है, तो सभी बैंक कर्मी जेल भरो आंदोलन करने को भी तैयार हैं.

पढ़ें- हरिद्वार: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने किया नेत्र कुंभ का शुभारंभ

ऋषिकेश में भी बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक एंप्लाइज यूनियन से जुड़े बैंक कर्मी आज से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं. इस वजह से ऋषिकेश में बैंक बंद पड़े हुए हैं. बैंक बंद होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बैंकों के बंद होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग एटीएम केंद्रों के बाहर पैसे निकालने के लिए पहुंच रहे हैं. इसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि बैंकों के बंद होने के बाद जरूरी कार्यों को करने में खासी दिक्कतें हो रही हैं.

पढ़ें- हरिद्वार कुंभ: सरकार की एसओपी का विरोध जारी, साधु-संतों ने CM तीरथ से की खारिज करने की मांग

बैंक एंप्लाइज यूनियन के जिला सचिव मयंक शर्मा ने बताया कि सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है. इस कारण देश के लगभग 10 लाख बैंककर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करना सरकार की जन विरोधी नीति है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर अपने इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.

देहरादून/ऋषिकेश: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के 10 लाख कर्मचारी केंद्र सरकार की नीतियों के ख‍िलाफ पिछले महीने से ही प्रदर्शन कर रहे हैं. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स की ओर से 15 और 16 मार्च को दो दिन की हड़ताल का एलान किया गया है. आज सभी बैंककर्मियों ने एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. आज प्रदेश में करीब 10 बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. गौरतलब है कि शनिवार और रविवार को भी बैंक बंद थे. इस तरह सरकारी बैंकों का कामकाज लगातार चार दिन तक ठप रहेगा. जिसके कारण आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि पिछले साल हुए बैंकों के विलय के बाद देश में मौजूदा वक्त में 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं. इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हैं. बैंक कर्मचारियों के मुताबिक सरकार इन्हीं में से दो बैंकों का निजीकरण करना चाहती है.

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इस साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था. केंद्र सरकार साल 2019 में पहले ही एलआईसी में आईडीबीआई बैंक का अधिकांश हिस्सा बेच चुकी है. इसके साथ ही पिछले चार सालों में 14 सार्वजनिक बैंकों का विलय हुआ है.

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यूएफबीयू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने बताया की बैंकों का निजीकरण करने से बैंक कर्मचारियों को दिक्कतें आएंगी.आम जनता पर भी इसका असर पड़ेगा. साथ ही पिछले इतिहास में प्राइवेट बैंक डूबते आए हैं. आज तक सरकारी बैंक नहीं डूबे हैं. प्रदेश भर के करीब 10 हजार बैंक कर्मियों ने आज हड़ताल में हिस्सा लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती है, तो पब्लिक सेक्टर को साथ लेकर आंदोलन शुरू कर सकते हैं. सरकार फिर भी नहीं मानती है, तो सभी बैंक कर्मी जेल भरो आंदोलन करने को भी तैयार हैं.

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ऋषिकेश में भी बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक एंप्लाइज यूनियन से जुड़े बैंक कर्मी आज से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं. इस वजह से ऋषिकेश में बैंक बंद पड़े हुए हैं. बैंक बंद होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बैंकों के बंद होने की वजह से बड़ी संख्या में लोग एटीएम केंद्रों के बाहर पैसे निकालने के लिए पहुंच रहे हैं. इसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि बैंकों के बंद होने के बाद जरूरी कार्यों को करने में खासी दिक्कतें हो रही हैं.

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बैंक एंप्लाइज यूनियन के जिला सचिव मयंक शर्मा ने बताया कि सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है. इस कारण देश के लगभग 10 लाख बैंककर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण करना सरकार की जन विरोधी नीति है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर अपने इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.

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