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जौनसार बावर में दिखी बूढ़ी दीपावली की रौनक, प्रसाद के रूप में अखरोट बांटने का दृश्य होता है अद्भुत

The glow of old Diwali in Jaunsar Bawar उत्तराखंड का जौनसार बावर इलाका मेहनतकश और परंपराओं को सहेज कर रखने वाले लोगों का इलाका है. यहां मुख्य दीपावली के एक महीने बाद बूढ़ी दीपावली पर्व मनाया जाता है. करीब पांच दिन चलने वाले बूढ़ी दीपावली पर्व को लेकर इलाके के लोगों में खासा उत्साह दिखाई देता है. इस बार भी बूढ़ी दीपावली की धूम है. प्रसाद के रूप में अखरोट बांटे गए हैं.

old Diwali in Jaunsar Bawar
जौनसार बावर की बूढ़ी दीवाली
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 14, 2023, 10:43 AM IST

Updated : Dec 14, 2023, 11:11 AM IST

जौनसार बावर में दिखी बूढ़ी दीपावली की रौनक

विकासनगर: जौनसार बावर अपनी अनूठी सांस्कृतिक परंपराओं, रीति रिवाज, रहन-सहन एवं खानपान के कारण देश दुनिया में अपनी अलग विशिष्ट पहचान बनाए हुए है. यहां त्योहारों को मनाने की अपनी एक अनूठी परंपरा है. जौनसार बाबर में मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को दीवाली का त्यौहार 4 से 5 दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है.

old Diwali in Jaunsar Bawar
जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम

जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम: जौनसार बावर में देश दुनिया के साथ मनाए जाने वाले दीपावली के ठीक एक माह बाद बूढ़ी दीपावली जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है मनाई जाती है. यह दीपावली एक महीने बाद इसलिए मनाई जाती है क्योंकि क्षेत्र में दीपावली के दौरान खेती किसानी, बागवानी के अत्यधिक कार्य होते हैं. इसलिए इस त्यौहार को एक महीने बाद मनाया जाता है, ताकि त्यौहार मनाने में कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो. बूढ़ी दीवाली के पीछे एक कहानी ये भी है कि इस दुर्गम इलाके में लंका विजय के बाद राम चंद्रजी के अयोध्या लौटने की खबर एक महीने बाद मिली थी. इस कारण यहां के लोग मुख्य दीपावली के एक महीने बाद बूढ़ी दीपावली मनाते हैं.

old Diwali in Jaunsar Bawar
बूढ़ी दीपावली में अखरोट प्रसाद के रूप में बांटते हैं

बिरूडी दीपावली में अखरोट का है महत्व: इस बार दीपावली पर बिरूडी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बिरूडी दीपावली एक आकर्षक परम्परा है. इसमें गांव के वरिष्ठ लोग आंगन में सामूहिक रूप से एक कोने में बैठकर प्रत्येक परिवार से लाए गए अखरोट एकत्रित करते हैं. जिस परिवार में पुत्र अथवा पुत्री का जन्म होता है, वह परिवार अधिक संख्या में अखरोट देते हैं. गांव की महिलाएं पांरम्परिक वेशभूषा में सज धजकर पंहुचती हैं. उन्हें सम्मान के साथ ऊंचे स्थान पर बिठाते हैं.

old Diwali in Jaunsar Bawar
तांदी नृत्य कर जश्न मनाया

प्रसाद के रूप में बंटता है अखरोट: एक ऊंचे स्थान से दो पुरुष बिरूडी अखरोट फेंकते हैं. एक तरफ महिलाएं और दूसरी और पुरुषों के लाए अखरोट बिखेरे जाते हैं. सभी लोग इन अखरोटों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इससे पूर्व गांव के सभी लोग अपने ईष्ट देवता के दर्शन कर सुख समृद्वि की कामना करते हैं. गांव के बाजगी समुदाय के लोग सभी ग्रामीणों को जौ, गेहूं से उगाई गई हरियाडी दी जाती है. जिसे बिरूडी पर्व पर शुभ माना जाता है. इस दौरान पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार रहे. महिलाओं व पुरुषों द्वारा हारूल तांदी नृत्य कर जश्न मनाया गया.

old Diwali in Jaunsar Bawar
महिलाओं को मिलता है विशेष सम्मान

हर्षोल्लास से मनी बूढ़ी दीपावली: अलसी गांव के स्थानीय ग्रामीण महिलाओं एवं पुरुषों का कहना है कि लंबे समय से बूढ़ी दीवाली मनाई जा रही है. इस त्यौहार में नौकरी पेशा लोग भी छुट्टी लेकर गांव आते हैं. इलाके के सभी लोग दीवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
ये भी पढ़ें: रवांई घाटी में हर्षोल्लास के साथ मना पौराणिक देवलांग मेला, विशाल मशाल रही आकर्षण का केंद्र

जौनसार बावर में दिखी बूढ़ी दीपावली की रौनक

विकासनगर: जौनसार बावर अपनी अनूठी सांस्कृतिक परंपराओं, रीति रिवाज, रहन-सहन एवं खानपान के कारण देश दुनिया में अपनी अलग विशिष्ट पहचान बनाए हुए है. यहां त्योहारों को मनाने की अपनी एक अनूठी परंपरा है. जौनसार बाबर में मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को दीवाली का त्यौहार 4 से 5 दिन तक धूमधाम से मनाया जाता है.

old Diwali in Jaunsar Bawar
जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम

जौनसार बावर में बूढ़ी दीपावली की धूम: जौनसार बावर में देश दुनिया के साथ मनाए जाने वाले दीपावली के ठीक एक माह बाद बूढ़ी दीपावली जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है मनाई जाती है. यह दीपावली एक महीने बाद इसलिए मनाई जाती है क्योंकि क्षेत्र में दीपावली के दौरान खेती किसानी, बागवानी के अत्यधिक कार्य होते हैं. इसलिए इस त्यौहार को एक महीने बाद मनाया जाता है, ताकि त्यौहार मनाने में कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो. बूढ़ी दीवाली के पीछे एक कहानी ये भी है कि इस दुर्गम इलाके में लंका विजय के बाद राम चंद्रजी के अयोध्या लौटने की खबर एक महीने बाद मिली थी. इस कारण यहां के लोग मुख्य दीपावली के एक महीने बाद बूढ़ी दीपावली मनाते हैं.

old Diwali in Jaunsar Bawar
बूढ़ी दीपावली में अखरोट प्रसाद के रूप में बांटते हैं

बिरूडी दीपावली में अखरोट का है महत्व: इस बार दीपावली पर बिरूडी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बिरूडी दीपावली एक आकर्षक परम्परा है. इसमें गांव के वरिष्ठ लोग आंगन में सामूहिक रूप से एक कोने में बैठकर प्रत्येक परिवार से लाए गए अखरोट एकत्रित करते हैं. जिस परिवार में पुत्र अथवा पुत्री का जन्म होता है, वह परिवार अधिक संख्या में अखरोट देते हैं. गांव की महिलाएं पांरम्परिक वेशभूषा में सज धजकर पंहुचती हैं. उन्हें सम्मान के साथ ऊंचे स्थान पर बिठाते हैं.

old Diwali in Jaunsar Bawar
तांदी नृत्य कर जश्न मनाया

प्रसाद के रूप में बंटता है अखरोट: एक ऊंचे स्थान से दो पुरुष बिरूडी अखरोट फेंकते हैं. एक तरफ महिलाएं और दूसरी और पुरुषों के लाए अखरोट बिखेरे जाते हैं. सभी लोग इन अखरोटों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इससे पूर्व गांव के सभी लोग अपने ईष्ट देवता के दर्शन कर सुख समृद्वि की कामना करते हैं. गांव के बाजगी समुदाय के लोग सभी ग्रामीणों को जौ, गेहूं से उगाई गई हरियाडी दी जाती है. जिसे बिरूडी पर्व पर शुभ माना जाता है. इस दौरान पंचायती आंगन लोक संस्कृति से गुलजार रहे. महिलाओं व पुरुषों द्वारा हारूल तांदी नृत्य कर जश्न मनाया गया.

old Diwali in Jaunsar Bawar
महिलाओं को मिलता है विशेष सम्मान

हर्षोल्लास से मनी बूढ़ी दीपावली: अलसी गांव के स्थानीय ग्रामीण महिलाओं एवं पुरुषों का कहना है कि लंबे समय से बूढ़ी दीवाली मनाई जा रही है. इस त्यौहार में नौकरी पेशा लोग भी छुट्टी लेकर गांव आते हैं. इलाके के सभी लोग दीवाली पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
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Last Updated : Dec 14, 2023, 11:11 AM IST
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