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ग्रीष्मकालीन राजधानी पर श्रेय लेने की होड़, आंदोलनकारी भी नहीं पूरी तरह संतुष्ट

ग्रीष्मकालीन राजधानी पर श्रेय लेने की होड़ में त्रिवेंद्र सरकार लगी है. लेकिन विपक्षी नेता और आदोलनकारी गैणसैंण को लेकर संतुष्ट नहीं हैं.

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जोत सिंह बिष्ट
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Published : Mar 4, 2020, 8:03 PM IST

देहरादून: सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की तो इस पर श्रेय लेने की होड़ भी शुरू हो गई है. गैरसैंण से दूर राजधानी देहरादून में बैठे नेता और आंदोलनकारियों ने क्या कहा आप सुनिए.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में गैरसैंण को विकसित करने की बात कही तो इस पर राजनीति भी तेज हो गई. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राजधानी देहरादून में भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सुनने को मिली.

ये भी पढ़ें:कैलाश मानसरोवर यात्रा पर संकट, शिवभक्तों के कदम थाम सकता है कोरोना वायरस

कांग्रेस ने इस मामले पर फौरन स्टैंड लेते हुए ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा कि तो विधानसभा सदन के अंदर कांग्रेस के विधायकों द्वारा डाले गए दबाव को कारण बताया. हालांकि कांग्रेस की तरफ से लगातार यह बात भी कही गई कि यदि सरकार इसे स्थाई राजधानी घोषित करती तो बेहतर होता और केंद्र के साथ ही राज्य में भाजपा की सरकार है ऐसे में बजट की भी दिक्कत प्रदेश को नहीं आती.

इसी मामले पर राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बताया कि सरकार का यह कदम सराहनीय है, लेकिन आंदोलनकारी सरकार के इस घोषणा से पूरी तरह से सहमत नहीं है. क्योंकि प्रदेश को बने हुए 20 साल हो चुके हैं, बावजूद अब तक बस ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की जा रही है जबकि त्रिवेंद्र सरकार को इसे स्थाई राजधानी बनाए जाने की तरफ सोचना चाहिए था.

देहरादून: सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की तो इस पर श्रेय लेने की होड़ भी शुरू हो गई है. गैरसैंण से दूर राजधानी देहरादून में बैठे नेता और आंदोलनकारियों ने क्या कहा आप सुनिए.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में गैरसैंण को विकसित करने की बात कही तो इस पर राजनीति भी तेज हो गई. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद राजधानी देहरादून में भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सुनने को मिली.

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कांग्रेस ने इस मामले पर फौरन स्टैंड लेते हुए ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा कि तो विधानसभा सदन के अंदर कांग्रेस के विधायकों द्वारा डाले गए दबाव को कारण बताया. हालांकि कांग्रेस की तरफ से लगातार यह बात भी कही गई कि यदि सरकार इसे स्थाई राजधानी घोषित करती तो बेहतर होता और केंद्र के साथ ही राज्य में भाजपा की सरकार है ऐसे में बजट की भी दिक्कत प्रदेश को नहीं आती.

इसी मामले पर राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने बताया कि सरकार का यह कदम सराहनीय है, लेकिन आंदोलनकारी सरकार के इस घोषणा से पूरी तरह से सहमत नहीं है. क्योंकि प्रदेश को बने हुए 20 साल हो चुके हैं, बावजूद अब तक बस ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की जा रही है जबकि त्रिवेंद्र सरकार को इसे स्थाई राजधानी बनाए जाने की तरफ सोचना चाहिए था.

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