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ऋषिकेश AIIMS में दो बच्चों की 'टेट्रालोजी ऑफ फेलोट' सर्जरी रही सफल

एम्स ऋषिकेश के कॉर्डियक थोरसिक सर्जरी विभाग ने हाल ही में दो बच्चों की जन्मजात टेट्रालोजी ऑफ फेलोट (टीओएफ) बीमारी की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया है.

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Published : Feb 26, 2021, 2:19 PM IST

Tetralogy of failure
Tetralogy of failure

ऋषिकेशः अ​खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के कॉर्डियक थोरसिक सर्जरी विभाग ने हाल ही में दो बच्चों की जन्मजात टेट्रालोजी ऑफ फेलोट (टीओएफ) बीमारी की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया है. बताया गया कि दोनों बच्चे तीन साल से इस बीमारी से ग्रसित थे. इस सफलता के लिए एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने चिकित्सकीय टीम की सराहना की है.

संस्थान में पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जरी प्रोग्राम सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है. यह मेडिकल विभाग की सबसे जटिल ब्रांच है. जिसमें किसी भी केस को करते समय आधुनिक मशीनों के साथ-साथ संपूर्ण टीम का सहयोग जरूरी होता है. इससे जुड़े ऑपरेशन काफी जटिल एवं नाजुक होते हैं. ऑपरेशन के दौरान पेशेंट की जान जाने का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके दिल की अनेक जन्मजात बीमारियां हैं, जो कि जानलेवा हैं.

एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि सर्जरी के बिना इनका इलाज असंभव होता, मगर सर्जरी के पश्चात अच्छा जीवन संभव हो जाता है. सीटीवीएस विभाग के कॉर्डियक थोरेसिक सर्जन डा. अनीश गुप्ता के अनुसार एम्स में पिछले डेढ़ वर्ष में लगभग 100 से अधिक मरीज अपनी जन्मजात हृदय की बीमारियों से निजात पा चुके हैं. जिसमें शिशु, किशोर व युवा भी शामिल हैं.

पढ़ेंः डोईवाला पहुंचे CM त्रिवेंद्र, चमोली आपदा में मारे गए लोगों की आत्म शांति यज्ञ में लिया हिस्सा

उन्होंने बताया कि टेट्रालोजी ऑफ फेलोट एक गंभीर बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे हृदय संबंधी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. हाल ही में संस्थान में 3 साल के दो बच्चों का सफल टीओएफ रिपेयर किया गया है, जिसमें एक चकराता की बच्ची व रुड़की का एक बच्चा शामिल है.

डॉ. अनीश के मुताबिक कई बार इस ऑपरेशन में फेफड़े की नली का रास्ता खोलते वक्त पल्मोनी वॉल्व काटना पड़ता है, जिससे ऑपरेशन की जटिलता बढ़ जाती है. साथ ही कुछ दशकों बाद मरीज को वॉल्व बदलने की आवश्यकता पड़ती है.

क्या है टेट्रालोजी ऑफ फेलोट (टीओएफ)

  1. हृदय की जन्मजात बीमारी, जिसमें दिल में छेद होने के साथ-साथ फेफड़े में खून ले जाने वाला रास्ता सिकुड़ा होता है.
  2. गंदा खून दिल के छेद से होते हुए साफ खून में मिल जाता है, जिससे मरीज का शरीर नीला पड़ जाता है.
  3. इस जन्मजात बीमारी के कारण सांस फूलना, बलगम में खून आना, दिमाग में मवाद भरना, दौरा पड़ना, लकवा आदि भी हो सकता है.

ऋषिकेशः अ​खिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के कॉर्डियक थोरसिक सर्जरी विभाग ने हाल ही में दो बच्चों की जन्मजात टेट्रालोजी ऑफ फेलोट (टीओएफ) बीमारी की सफलतापूर्वक सर्जरी को अंजाम दिया है. बताया गया कि दोनों बच्चे तीन साल से इस बीमारी से ग्रसित थे. इस सफलता के लिए एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने चिकित्सकीय टीम की सराहना की है.

संस्थान में पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जरी प्रोग्राम सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है. यह मेडिकल विभाग की सबसे जटिल ब्रांच है. जिसमें किसी भी केस को करते समय आधुनिक मशीनों के साथ-साथ संपूर्ण टीम का सहयोग जरूरी होता है. इससे जुड़े ऑपरेशन काफी जटिल एवं नाजुक होते हैं. ऑपरेशन के दौरान पेशेंट की जान जाने का खतरा बना रहता है. बावजूद इसके दिल की अनेक जन्मजात बीमारियां हैं, जो कि जानलेवा हैं.

एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि सर्जरी के बिना इनका इलाज असंभव होता, मगर सर्जरी के पश्चात अच्छा जीवन संभव हो जाता है. सीटीवीएस विभाग के कॉर्डियक थोरेसिक सर्जन डा. अनीश गुप्ता के अनुसार एम्स में पिछले डेढ़ वर्ष में लगभग 100 से अधिक मरीज अपनी जन्मजात हृदय की बीमारियों से निजात पा चुके हैं. जिसमें शिशु, किशोर व युवा भी शामिल हैं.

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उन्होंने बताया कि टेट्रालोजी ऑफ फेलोट एक गंभीर बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे हृदय संबंधी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. हाल ही में संस्थान में 3 साल के दो बच्चों का सफल टीओएफ रिपेयर किया गया है, जिसमें एक चकराता की बच्ची व रुड़की का एक बच्चा शामिल है.

डॉ. अनीश के मुताबिक कई बार इस ऑपरेशन में फेफड़े की नली का रास्ता खोलते वक्त पल्मोनी वॉल्व काटना पड़ता है, जिससे ऑपरेशन की जटिलता बढ़ जाती है. साथ ही कुछ दशकों बाद मरीज को वॉल्व बदलने की आवश्यकता पड़ती है.

क्या है टेट्रालोजी ऑफ फेलोट (टीओएफ)

  1. हृदय की जन्मजात बीमारी, जिसमें दिल में छेद होने के साथ-साथ फेफड़े में खून ले जाने वाला रास्ता सिकुड़ा होता है.
  2. गंदा खून दिल के छेद से होते हुए साफ खून में मिल जाता है, जिससे मरीज का शरीर नीला पड़ जाता है.
  3. इस जन्मजात बीमारी के कारण सांस फूलना, बलगम में खून आना, दिमाग में मवाद भरना, दौरा पड़ना, लकवा आदि भी हो सकता है.
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