देहरादून: टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास संबंधी मामलों को लेकर शनिवार को सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक बैठक की गयी. बैठक में निर्णय लिया गया कि टिहरी बांध परियोजना से प्रभावित 415 विस्थापित परिवारों की पुनर्वास संबंधी समस्याओं का समाधान न्यायालय की परिधि से बाहर किया जाएगा.
रिट लेंगे वापस: हालांकि टीएचडीसी अधिकारियों, सचिव सिंचाई उत्तराखंड और जिलाधिकारी टिहरी के बीच हुई बैठकों के बाद तय हुआ कि टीएचडीसी उत्तराखंड सरकार को एक अंडरटेकिंग देगा. जिसमें वह "संपार्श्विक क्षति नीति 2013" के तहत गठित तकनीकी समिति की संरचना के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा संशोधित आदेश जारी होने के बाद माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड में दायर अपनी रिट याचिका को वापस ले लेगा.
पूरी हुईं सब औपचारिकता: मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि इस संबंध में अभी औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं. शीघ्र ही उत्तराखंड सरकार द्वारा संशोधित आदेश जारी होने के बाद माननीय उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका को वापस ले लिया जाएगा. बैठक के दौरान बताया कि टिहरी बांध परियोजना प्रभावित 415 परिवारों के पुनर्वास को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से जो मुआवजा राशि तय की गई है, वह प्रभावित क्षेत्र के तत्समय बाजारी दरों, सोलेशशियम, एक्सग्रेशिया, ब्याज और विकास लागत को जोड़कर प्रति परिवार 74.4 लाख रुपये आंकी गई है.
टीएचडीसी और उत्तराखंड सरकार दोनों की सहमति से तय हुआ है कि बांध प्रभावित 415 परिवारों में से ऐसे सभी परिवारों को पुनर्वास हेतु 74.4 लाख का मुआवजा प्रति परिवार दिया जाएगा, जिनके लिए भूमि उपलब्ध नहीं है.
भवन निर्माण के लिए मिलेंगे पैसे: उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों को लोक निर्माण विभाग के मूल्यांकन मानकों के अनुसार क्षतिग्रस्त भवनों के लिए वर्तमान प्रचलित मूल्य के आधार पर नकद धनराशि भी दी जाएगी. यदि प्रभावित परिवार की भूमि की क्षति संपूर्ण भूमि के 50% से अधिक है तथा भूमि आरएल 835 मीटर पर अथवा आरएल 835 मीटर से ऊपर स्थित है, इस स्थिति में 2 एकड़ विकसित भूमि जनपद हरिद्वार एवं देहरादून आदि स्थानों पर आवंटित की जाएगी. इसके अलावा प्रभावित परिवार को 60,000 रुपए भवन निर्माण सहायता के रूप में दिये जायेंगे.
अन्य परिसंपत्तियों जैसे पशुशाला, वृक्ष, अनाज इत्यादि का भुगतान लोक निर्माण विभाग, बागवानी विभाग वन विभाग के मूल्यांकन मानकों के अनुसार किया जाएगा. सिंचाई मंत्री ने बताया कि यदि प्रभावित परिवारों को भूमि स्वीकार्य नहीं है, तो इस स्थिति में सरकार द्वारा स्वीकृत दरों के अनुसार नकद प्रतिकर भुगतान किया जाएगा.
2007 को बनाया मानक: सतपाल महाराज ने कहा कि पात्रता मानक के अनुसार केवल वही परिवार पात्र होंगे, जिनकी भूमि उनके नाम 26 अप्रैल 2007 से पहले दर्ज हुई है. प्रभावित भूमि कुल भूमि का 50% से अधिक हो. क्षतिग्रस्त भूमि आरएल 835 मीटर से नीचे की संपूर्ण भूमि को सम्मिलित करते हुए 50% से कम है तो इस दशा में पुनर्वास की आवश्यकता नहीं होगी. केवल नकद प्रतिकार का भुगतान वर्तमान में प्रचलित स्वीकृत दर के अनुसार ही किया जाएगा.
इसके साथ ही सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रभावित परिवार के नये स्थान पर बसने हेतु 10,000 रुपया प्रति परिवार पुनर्वास अनुदान का भुगतान भी किया जाएगा. प्रभावित परिवारों को अन्यत्र स्थान पर स्थानांतरित करने स्थिति में प्रत्येक परिवार को 10,000 रुपए स्थानांतरण भत्ता भी दिया जाएगा.
एक वर्ष तक होगा भुगतान: इतना ही नहीं यह भी तय किया गया है कि प्रभावित परिवारों के नए स्थान पर विस्थापित होने तक इनके जीविकोपार्जन पर प्रभाव पड़ेगा. इसलिए प्रत्येक प्रभावित परिवार को उपार्जन हेतु न्यूनतम 25 दिन की कृषि मजदूरी के बराबर 1 वर्ष तक भुगतान किया जाएगा. इस समझौते के तहत रौलाकोट गांव के पुनर्वास के बारे में भी तय हुआ है कि ग्राम रौलाकोट के विस्थापन हेतु पुनर्वास निदेशालय के पास लगभग 70 एकड़ भूमि रोशनाबाद, रायवाला, घमंडपुर, आदि गांव में उपलब्ध है, जो कि पहले टिहरी बांध प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए अधिग्रहित की गई थी. इसके अलावा लगभग 20 एकड़ भूमि विभिन्न स्थानों पर टीएचडीसी के स्वामित्व में है. क्योंकि उक्त भूमि को विकसित करने की आवश्यकता है. इसलिए टीएचडीसी 10.5 करोड़ की राशि इसके लिए वहन करेगा.
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केंद्र सरकार द्वारा टीएचडीसी को टिहरी बांध का जल स्तर 2 मीटर बढ़ाने की अनुमति के विषय में जानकारी देते हुए सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि सम्पार्श्विक क्षति नीति-2013 के अनुसार टिहरी बांध जलाशय का अधिकतम आरएल 830 मीटर है. फ्री-बोर्ड सहित अधिकतम बाढ़ स्तर आरएल 835 मीटर निर्धारित किया गया है. जलाशय में जलभराव से पूर्व आरएल 835 मीटर तक पुनर्वास कार्य लगभग पूर्ण कर लिया गया था. इसलिए टिहरी बांध का जल स्तर 2 मीटर बढ़ाने का निर्णय मानकों के अनुसार ही किया गया है.