देहरादून: उत्तराखंड में चारों धाम समेत 47 मंदिरों को मिलाकर श्राइन बोर्ड बनाने के प्रस्ताव से तीर्थ पुरोहितों में रोष है. आक्रोशित तीर्थ पुरोहितों और हक हुकूक धारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी कड़ी में सैकड़ों तीर्थ पुरोहितों ने विधानसभा कूच किया. जहां पुलिस बल ने तीर्थ पुरोहितों को बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. जिसके बाद तीर्थ पुरोहितों ने मौके पर ही सभा आयोजित की और सरकार के खिलाफ जमकर अपना आक्रोश व्यक्त किया.
यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कृतेश्वर उनियाल ने उत्तराखंड सरकार से सवाल करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जो प्रस्ताव लाई है, उसमें सरकार ने तीर्थ पुरोहितों की राय क्यों नहीं ली? उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार श्राइन बोर्ड के बहाने काला कानून थोप रही है.
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बीते 27 नवंबर को चार धाम विकास परिषद की बैठक शिवप्रसाद मंगाई की अगुवाई में हुई थी. जहां चार धाम से संबंधित प्रतिनिधियों को बुलाया गया और उसी दिन कैबिनेट में साइन बोर्ड गठन की मंजूरी दे दी गई. उन्होंने कहा कि अनादि काल से हमारे पूर्वजों ने इन मंदिरों को सजाया और संवारा है. हक हकूक धारियों के प्रयासों से वहां यात्रियों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की जाती हैं. जिसका लाभ उत्तराखंड सरकार को भी मिलता है. ऐसे में सरकार अब दान पेटी में चढ़ने वाले चढ़ावे से अपनी सरकार चलाने की कोशिश कर रही है.
यमुनोत्री धाम के सचिव खेतेश्वर उनियाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अभी तो सिर्फ सरकार को ट्रेलर ही दिखाया गया है. पिक्चर अभी दिखानी बाकी है. यह आंदोलन आगामी समय में उग्र रूप धारण करने जा रहा है. जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी.