देहरादून: उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश में भी दिन-ब-दिन किशोर गर्भावस्था (Teenage Pregnancy) के कई मामले सामने आ रहे हैं. इसके कई दुष्परिणाम छोटी उम्र में गर्भधारण करने वाली लड़कियों को भविष्य में झेलने पड़ सकते हैं. आइए आपको बताते हैं एक्पर्टस का क्या कहना है इस मामले में-
किशोर गर्भावस्था के यूं तो कई कारण हैं, जैसे बाल विवाह, असुरक्षित यौन संबंध या फिर कुछ मामलों में बलात्कार जैसा घिनौना अपराध. इन दिनों किशोर गर्भावस्था के जो सबसे अधिक मामले अस्पतालों में सामने आ रहे हैं वो असुरक्षित यौन संबंध से जुड़े हैं.
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राजधानी देहरादून की जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमिता प्रभाकर बताती हैं कि आये दिन उनके पास कई नाबालिग लड़कियां गर्भधारण की समस्या लेकर आती हैं. उनके पास एक 13 साल की लड़की भी गर्भधारण होने के चलते इलाज के लिए पहुंची थी.
डॉ. सुमिता प्रभाकर के मुताबिक किशोर गर्भधारण के मामले बीते कुछ सालों में काफी बढ़े हैं. इसका एक बड़ा कारण है कि हमारे समाज के लोगों में सेक्स एजुकेशन की काफी कमी है. अज्ञानता के चलते कई युवक और युवितयां बालिग होने से पहले ही असुरक्षित यौन संबंध बनाना शुरू कर देते हैं. इसके परिणाम स्वरूप किशोर गर्भावस्था के मामले बढ़ रहे हैं.
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प्राणघातक साबित हो सकती है किशोर गर्भावस्था
डॉ. सुमिता प्रभाकर बताती हैं कि किशोर गर्भावस्था एक युवती के लिए बहुत खतरनाक है. यह युवती को मानसिक और शारीरिक दोनों ही तौर पर कमजोर बनाता है. कभी-कभी ये प्राणघातक भी साबित हो जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हमारे युवा यौन संबंध बनाने से पहले यौन संबंधों से जुड़ी जानकारियों का पूरा ज्ञान रखें और तभी यौन संबंध बनाएं. यही नहीं असुरक्षित संभोग के विषय में स्कूलों और घरों में भी खुलकर चर्चा होनी चाहिए.
क्या कहते हैं मनोवैज्ञानिक
किशोर गर्भावस्था को लेकर मनोवैज्ञानिक डॉ. श्रवि अमर आत्री बताती हैं कि आजकल बच्चों में इंटरनेट , मोबाइल फोन और टीवी का काफी गहरा प्रभाव है. यही कारण है कि छोटी उम्र में ही बच्चे बिना ज्ञान के योन संबंध बनाना शुरू कर देते हैं. ऐसे में आज के जमाने में ये बहुत जरूरी हो जाता है कि हर स्कूल में बच्चों और बच्चियों को सेक्स एजुकेशन दी जाये. इसके अलावा घरों में भी माता-पिता को निसंकोच अपने बच्चों से सेक्स के संबंधी बातें और इसके दुष्परिणाम के बारे में बात करनी चाहिए.
मानसिक रूप से होता है नुकसान
समाजसेवी साधना शर्मा बताती हैं कि किशोर गर्भावस्था को किसी भी युग में सही नहीं माना गया है. यदि कोई लड़की छोटी उम्र में ही लापरवाही के चलते गर्भधारण कर लेती है तो इससे उभर पाना उसके काफी मुश्किल होता है. ये पूरी स्थिति किशोरी को मानसिक रूप से काफी नुकसान पहुंचता है. साथ ही कई किशोरियों को तो इस वजह से शारीरिक चुनौतियों से भी गुजरना पड़ता है.