देहरादून: उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण को मौजूदा जरूरतों के लिहाज से तैयार करने की कोशिशें की जा रही हैं. इस कड़ी में पुलिस महकमा गठित समिति के सुझावों के अनुरूप प्रशिक्षण में नए विषयों को जोड़ने की तैयारी कर रहा है. दूसरी तरफ विभिन्न कर्मी जो प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए, उन्हें भी प्रशिक्षण दिलाने के लिए नए प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार करने के प्रयास कर रहा है. इसके लिए पुलिस महानिदेशक ने खासतौर पर संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश भी दे दिए हैं.
पुलिस प्रशिक्षण के लिए ट्रेनिंग नीड एनालिसिस की प्रस्तुति: उत्तराखंड में मिशन कर्मयोगी के तहत मौजूदा जरूरत के लिए पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए गठित टीम ने ट्रेनिंग नीड एनालिसिस विषय पर एक प्रस्तुतीकरण दिया. इसके जरिए राज्य पुलिस की कार्य कुशलता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण में जरूरी बातों को जोड़ने से जुड़ी जानकारी दी गई. दरअसल अपर पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग से जुड़े तीन सदस्यों की एक टीम गठित की गई थी जिसे विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है. खास बात यह है कि प्रशिक्षण पाने के बाद पुलिस प्रशिक्षण केंद्र नरेंद्र नगर में इस टीम ने दौरा करते हुए यहां प्रशिक्षण के लिए जरूरी बिंदुओं पर गहन अध्ययन किया. साथ ही इसको लेकर 10 प्रस्तुतियां भी दी.
इन विषयों में प्रशिक्षण की जरूरत: जरूरी प्रशिक्षण के रूप में साइबर क्राइम, फॉरेंसिक साइंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी, क्रिप्टो करेंसी जैसे विषय के साथ ही आपदा प्रबंधन, सॉफ्ट स्किल, व्यक्तित्व विकास, वीवीआईपी सुरक्षा, महिला अपराध, सांप्रदायिक सामाजिक उपद्रवों से निपटने, टूरिस्ट पुलिस जैसे विषयों को लेकर प्रशिक्षण की आवश्यकता बताई गई.
प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने का निर्देश: हालांकि यह भी देखा गया कि कई विषयों पर पहले से ही पुलिस विभाग प्रशिक्षण दे रहा है. लेकिन जिन विषयों को लेकर अब तक पुलिस विभाग में प्रशिक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है, उसे भी प्रशिक्षण के विषय में जोड़े जाने का निर्णय लिया गया है. इन सभी विषयों पर अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार करने के दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.
तुलनात्मक चार्ट बनेगा: पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए कि जिन कर्मचारियों द्वारा विभिन्न कारणों से प्रशिक्षण नहीं लिया जा सका है, उनके लिए भी अलग से प्रशिक्षण कैलेंडर तैयार किया जाए ताकि ऐसे कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा सके. इसके अलावा पुलिस महानिदेशक की तरफ से उप निरीक्षक पद प्राप्त करने वाले कर्मियों के लिए स्नातक डिग्री प्राप्त करने की भी व्यवस्था बनाए जाने की बात कही गई. इसमें यदि नियमावली में परिवर्तन की जरूरत महसूस की जा रही है तो इसके लिए बाकी तीन राज्यों के मानकों का अध्ययन करने और इसके अनुरूप तुलनात्मक चार्ट तैयार करने के निर्देश भी दिए गए.
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