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लॉकडाउन से थमे मैक्स-टैक्सियों के 'पहिए', खड़ा हुआ रोजी-रोटी का संकट, पीएम से लगाई गुहार

लॉकडाउन के कारण बीते एक महीने से उत्तराखंड के विभिन्न पहाड़ी इलाकों के लिए संचालित की जाने वाली मैक्सी-कैब का संचालन पूरी तरह से बंद है. जिसके कारण इन सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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लॉकडाउन से थमे मैक्स-टैक्सियों के 'पहिए'
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Published : Apr 24, 2020, 7:28 PM IST

Updated : Apr 24, 2020, 9:02 PM IST

देहरादून: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच ईटीवी भारत लगातार जरुरतमंद लोगों की आवाज बन रहा है. ईटीवी भारत मुश्किल के इस दौर में जन सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता करते हुए जमीन से जुड़ी खबरें दिखाकर सरकार और नीति नियंताओं तक पहुंचा रहा है. जिससे आम लोगों की समस्याओं के निपटारे के साथ ही उनकी पहुंच बढ़ रही है. बीते दिनों हमने राजधानी की लाइफलाइन कहे जाने वाले ऑटो-रिक्शा चालकों की खबर प्रसारित की थी. जिसके बाद एक बार फिर ईटीवी भारत ने गरीब और जरुरतमंदों की आवाज बनते हुए लॉकडाउन के दौर में ऑर्थिक तंगी से गुजर रहे उत्तराखंड ट्रैकर यूनियन से जुड़े मैक्सी-कैब संचालकों और चालकों की पीड़ा को समझा.

लॉकडाउन से थमे मैक्स-टैक्सियों के 'पहिए'

बता दें कि, लॉकडाउन के कारण बीते एक महीने से उत्तराखंड के विभिन्न पहाड़ी इलाकों के लिए संचालित की जाने वाली मैक्सी-कैब का संचालन पूरी तरह से बंद है. जिसके कारण इन सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हर बीते दिन के साथ इनकी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. इनकी सोच कोरोना और लॉकडाउन के खत्म होने की तारीखों पर ही अटकी हुई है.

पढ़ें- मंत्री रेखा आर्य के पति ने बंटवाया 'एक्सपायरी आटा', कांग्रेस ने साधा निशाना

काम धंधे के बंद हो जाने से इनकी जेबें खाली हो चुकी हैं. हालात ये हो गये हैं कि अब इन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मजबूरन अब इन सभी टैक्सी और मैक्सी-कैब चालक और संचालकों ने मीडिया के माध्यम से पीएम मोदी से इनकी सुध लेने की अपील की है.

पढ़ें- उत्तराखंड में फिर शुरू होंगे रैपिड टेस्ट, 5 हजार नई रैपिड किट पहुंची

मैक्सी-कैब चालक और संचालकों के हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रिस्पना पुल स्थित गढ़वाल टैक्सी स्टैंड पहुंची. आम दिनों में लोगों से खचा-खच भरे रहने वाले इस स्टैंड पर इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. इक्का-दुक्का टैक्सी चालकों के अलावा यहां कोई नहीं दिखाई दिया. जिन्होंने हमसे बात करते हुए अपना दर्द बयां किया.

पढ़ें- कोरोना ट्रैकर: उत्तराखंड में मरीजों की संख्या 47, देश में अब तक 718 मौतें

टैक्सी संचालकों और चालकों ने कहा कि लॉकडाउन के बीच अब उनके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल होता जा रहा है. इनका कहना है कि अब तक पुरानी सेविंग्स से उनका घर खर्च चल रहा था, जो कि अब खत्म हो चुका है. ऐसे में अगर अब भी जल्द से जल्द सरकार उनकी सुध नहीं लेती है तो उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे.

पढ़ें- देहरादून: बेसहारों के बने अन्नदाता, इस चौकी की चर्चा है हर तरफ...

वहीं, दूसरी तरफ कुछ टैक्सी-संचालकों ने हमें बताया कि पिछले एक महीने से उनकी टैक्सियों के पहिए पूरी तरह से जाम हैं. ऐसे में यदि कुछ समय बाद लॉकडाउन खुल भी जाता है तो सबसे पहले उन्हें अपने वाहनों की फिटनेस करानी पड़ेगी. जिसमें काफी खर्च आएगा. ऐसे में यदि सरकार उन तक आर्थिक मदद नहीं पहुंचा सकती तो सरकार को उनकी सुध लेते हुए टैक्स में एक साल की छूट देनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने वाहन बीमा में भी रियायत देने की बात कही.

पढ़ें- श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में हो सकेगा कोरोना टेस्ट, अनुमति का इंतजार

गौरतलब है कि, पर्यटक प्रदेश होने के चलते गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में कुल 2900 मैक्सी-कैब का संचालन होता है. वर्तमान में लॉकडाउन के चलते इन सभी ट्रेकर्स के पहिए पूरी तरह से जाम हैं. जिससे टैक्सी व्यवसाय को हर दिन 4 से 5 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.

देहरादून: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बीच ईटीवी भारत लगातार जरुरतमंद लोगों की आवाज बन रहा है. ईटीवी भारत मुश्किल के इस दौर में जन सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता करते हुए जमीन से जुड़ी खबरें दिखाकर सरकार और नीति नियंताओं तक पहुंचा रहा है. जिससे आम लोगों की समस्याओं के निपटारे के साथ ही उनकी पहुंच बढ़ रही है. बीते दिनों हमने राजधानी की लाइफलाइन कहे जाने वाले ऑटो-रिक्शा चालकों की खबर प्रसारित की थी. जिसके बाद एक बार फिर ईटीवी भारत ने गरीब और जरुरतमंदों की आवाज बनते हुए लॉकडाउन के दौर में ऑर्थिक तंगी से गुजर रहे उत्तराखंड ट्रैकर यूनियन से जुड़े मैक्सी-कैब संचालकों और चालकों की पीड़ा को समझा.

लॉकडाउन से थमे मैक्स-टैक्सियों के 'पहिए'

बता दें कि, लॉकडाउन के कारण बीते एक महीने से उत्तराखंड के विभिन्न पहाड़ी इलाकों के लिए संचालित की जाने वाली मैक्सी-कैब का संचालन पूरी तरह से बंद है. जिसके कारण इन सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हर बीते दिन के साथ इनकी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं. इनकी सोच कोरोना और लॉकडाउन के खत्म होने की तारीखों पर ही अटकी हुई है.

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काम धंधे के बंद हो जाने से इनकी जेबें खाली हो चुकी हैं. हालात ये हो गये हैं कि अब इन्हें दो वक्त की रोटी के लिए भी खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. मजबूरन अब इन सभी टैक्सी और मैक्सी-कैब चालक और संचालकों ने मीडिया के माध्यम से पीएम मोदी से इनकी सुध लेने की अपील की है.

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मैक्सी-कैब चालक और संचालकों के हालात का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रिस्पना पुल स्थित गढ़वाल टैक्सी स्टैंड पहुंची. आम दिनों में लोगों से खचा-खच भरे रहने वाले इस स्टैंड पर इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है. इक्का-दुक्का टैक्सी चालकों के अलावा यहां कोई नहीं दिखाई दिया. जिन्होंने हमसे बात करते हुए अपना दर्द बयां किया.

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टैक्सी संचालकों और चालकों ने कहा कि लॉकडाउन के बीच अब उनके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल होता जा रहा है. इनका कहना है कि अब तक पुरानी सेविंग्स से उनका घर खर्च चल रहा था, जो कि अब खत्म हो चुका है. ऐसे में अगर अब भी जल्द से जल्द सरकार उनकी सुध नहीं लेती है तो उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएंगे.

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वहीं, दूसरी तरफ कुछ टैक्सी-संचालकों ने हमें बताया कि पिछले एक महीने से उनकी टैक्सियों के पहिए पूरी तरह से जाम हैं. ऐसे में यदि कुछ समय बाद लॉकडाउन खुल भी जाता है तो सबसे पहले उन्हें अपने वाहनों की फिटनेस करानी पड़ेगी. जिसमें काफी खर्च आएगा. ऐसे में यदि सरकार उन तक आर्थिक मदद नहीं पहुंचा सकती तो सरकार को उनकी सुध लेते हुए टैक्स में एक साल की छूट देनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने वाहन बीमा में भी रियायत देने की बात कही.

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गौरतलब है कि, पर्यटक प्रदेश होने के चलते गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में कुल 2900 मैक्सी-कैब का संचालन होता है. वर्तमान में लॉकडाउन के चलते इन सभी ट्रेकर्स के पहिए पूरी तरह से जाम हैं. जिससे टैक्सी व्यवसाय को हर दिन 4 से 5 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है.

Last Updated : Apr 24, 2020, 9:02 PM IST
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