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इधर डीजल-पेट्रोल की महंगाई पर मचा है हंगामा, उधर सरकार ने 35 फीसदी बढ़ा दिए शराब के दाम

पेट्रोल और डीजल के दामों पर लोग सड़क पर उतरकर सरकार का पुतला फूंक रहे हैं. उत्तराखंड में 1 अप्रैल से 35 फीसदी तक शराब भी महंगी हुई है लेकिन अभी तक इस बारे में किसी ने भी अपनी जुबान नहीं खोली है. ना ही किसी ने विरोध-प्रदर्शन ही किया है. कुल मिलाकर सरकार पेट्रोल और डीजल पर वैट और शराब पर 35 फीसदी का टैक्स लगाकर अपना खजाना भरने में लगी है.

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Published : Apr 8, 2022, 2:23 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 10:59 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में पेट्रोल और डीजल के दामों से ज्यादा शराब के दामों में वृद्धि हुई है. लेकिन इसमें अभी तक कोई राजनीतिक विरोध सामने नहीं आया है. जबकि पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर हायतौबा मची हुई है. ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ना है. जबकि उत्तराखंड में शराब के दामों में बीते 1 अप्रैल से 35 फीसदी तक की भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. कुल मिलाकर राज्य सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना खजाना भरने में लगी हुई है.

पेट्रोल और शराब की कीमतों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल के चलते पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ने से महंगाई पर भी असर पड़ा है. क्योंकि ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी होने की वजह से माल-भाड़े में इजाफा हुआ है. जिसकी वजह से खाद्य सामग्रियों से लेकर अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं. हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो तेल के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिए अपना वैट कम कर जनता को अस्थाई तौर पर फौरी राहत दे सकती हैं लेकिन ऐसा सरकारें नहीं कर रही हैं.

सरकार ने 35 फीसदी बढ़ा दिए शराब के दाम

वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि शराब की कीमतों में इतनी अधिक बढ़ोत्तरी करने से बाहरी राज्यों से शराब की तस्करी बढ़ेगी. क्योंकि उत्तराखंड में हिमाचल, पंजाब व हरियाणा से आने वाली लगभग 500 करोड़ से अधिक की शराब प्रतिवर्ष तस्करी के रूप में बिक्री होती है. उन्होंने कहा कि नए वित्तीय वर्ष में शराब पर 35 फीसदी टैक्स का इजाफा करने को राजस्व कमाई का जरिया बढ़ाने का काम किया जा रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि भारी भरकम टैक्स लगाने से शराब तस्करी को निश्चित रूप में बढ़ावा मिलेगा. उदाहरण के तौर पर शराब का जो ब्रांड ₹700 का मिलता था वो अब ₹1050 का हो गया है.

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विभिन्न राज्यों में शराब पर टैक्स.
पढ़ें- नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बॉडीगार्ड रहे देव सिंह दानू के गांव में पहली बार बजी मोबाइल की घंटी

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप राणा का मानना है कि अब चुनाव में सत्ताधारी पार्टियों के लिए महंगाई जैसे मुद्दे पीछे छूट गए हैं. वर्तमान में देश में राष्ट्रीयता और सुरक्षा का मुद्दा ही हर चुनाव में आगे है. यही कारण है कि भाजपा ऐसे ज्वलंत मुद्दे को लेकर एक के बाद एक चुनाव में परचम लहराती जा रही है. जहां तक तेल की बढ़ती कीमतों का सवाल है. हर बार की तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतों में उछाल इसका कारण है. हालांकि, राज्य और केंद्र सरकार इसमें अपने टैक्स से छूट दे सकती है. लेकिन इन सब चीजों में मात्र राजनीति हो रही है, जिसमें जनता पिस रही है.

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विभिन्न राज्यों में शराब पर टैक्स.

देहरादून: उत्तराखंड में पेट्रोल और डीजल के दामों से ज्यादा शराब के दामों में वृद्धि हुई है. लेकिन इसमें अभी तक कोई राजनीतिक विरोध सामने नहीं आया है. जबकि पेट्रोल-डीजल के दामों को लेकर हायतौबा मची हुई है. ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ना है. जबकि उत्तराखंड में शराब के दामों में बीते 1 अप्रैल से 35 फीसदी तक की भारी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. कुल मिलाकर राज्य सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना खजाना भरने में लगी हुई है.

पेट्रोल और शराब की कीमतों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उथल-पुथल के चलते पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़ने से महंगाई पर भी असर पड़ा है. क्योंकि ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी होने की वजह से माल-भाड़े में इजाफा हुआ है. जिसकी वजह से खाद्य सामग्रियों से लेकर अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं. हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो तेल के बढ़ते दामों पर लगाम लगाने के लिए अपना वैट कम कर जनता को अस्थाई तौर पर फौरी राहत दे सकती हैं लेकिन ऐसा सरकारें नहीं कर रही हैं.

सरकार ने 35 फीसदी बढ़ा दिए शराब के दाम

वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा का कहना है कि शराब की कीमतों में इतनी अधिक बढ़ोत्तरी करने से बाहरी राज्यों से शराब की तस्करी बढ़ेगी. क्योंकि उत्तराखंड में हिमाचल, पंजाब व हरियाणा से आने वाली लगभग 500 करोड़ से अधिक की शराब प्रतिवर्ष तस्करी के रूप में बिक्री होती है. उन्होंने कहा कि नए वित्तीय वर्ष में शराब पर 35 फीसदी टैक्स का इजाफा करने को राजस्व कमाई का जरिया बढ़ाने का काम किया जा रहा है. जबकि सच्चाई यह है कि भारी भरकम टैक्स लगाने से शराब तस्करी को निश्चित रूप में बढ़ावा मिलेगा. उदाहरण के तौर पर शराब का जो ब्रांड ₹700 का मिलता था वो अब ₹1050 का हो गया है.

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विभिन्न राज्यों में शराब पर टैक्स.
पढ़ें- नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बॉडीगार्ड रहे देव सिंह दानू के गांव में पहली बार बजी मोबाइल की घंटी

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप राणा का मानना है कि अब चुनाव में सत्ताधारी पार्टियों के लिए महंगाई जैसे मुद्दे पीछे छूट गए हैं. वर्तमान में देश में राष्ट्रीयता और सुरक्षा का मुद्दा ही हर चुनाव में आगे है. यही कारण है कि भाजपा ऐसे ज्वलंत मुद्दे को लेकर एक के बाद एक चुनाव में परचम लहराती जा रही है. जहां तक तेल की बढ़ती कीमतों का सवाल है. हर बार की तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतों में उछाल इसका कारण है. हालांकि, राज्य और केंद्र सरकार इसमें अपने टैक्स से छूट दे सकती है. लेकिन इन सब चीजों में मात्र राजनीति हो रही है, जिसमें जनता पिस रही है.

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विभिन्न राज्यों में शराब पर टैक्स.
Last Updated : Apr 9, 2022, 10:59 AM IST
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