देहरादून: अनलॉक-1 में केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के बाद देश के सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की तैयारियां चल रही है. इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी करीब 75 दिन के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर से सभी देवस्थान, आम श्रद्धालुओं के लिए 8 जून की सुबह खोल दिये जाएंगे. जिसके बाद भक्त यहां दर्शन कर पाएंगे. 8 जून से देहरादून का प्रसिद्ध टपकेश्वर महादेव मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा. ऐसे में मंदिर में किस तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं, तैयारियों का जायजा लेने ईटीवी भारत टपकेश्वर महादेव मंदिर पहुंचा.
टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत ने बताया कि सभी देवस्थानों में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करने की भी अलग से व्यवस्था की जाएगी. तमाम देवस्थलों में जल चढ़ाने की व्यवस्था, तिलक लगाने की व्यवस्था को नियमों के तहत किया जाएगा. ताकि नियमों के अनुसार ही श्रद्धालु सभी मंदिरों में अपने आराध्य देव का सुरक्षित रहते हुए दर्शन कर सकें. इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सुरक्षा के लिए मंदिरों को सैनिटाइज किया जा रहा है. वहीं मूर्तियों को छूने की अनुमति नहीं होगी. साथ ही बैरिकेडिंग की भी व्यवस्था की गई है. ऐसे में श्रद्धालु दूर से ही अपने आराध्य के दर्शन कर पाएंगे.
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टपकेश्वर मंदिर की व्यवस्थाएं मुकम्मल
8 जून को टपकेश्वर महादेव मंदिर के कपाट भी खोले जा रहे हैं. लिहाजा यहां सबसे पहले बाबा भोले का महाअभिषेक किया जाएगा. जिसमें प्रदेश और देशवासियों की खुशहाली और उत्तम स्वास्थ्य के लिए पहली महाअभिषेक पूजा की जाएगी. इसके बाद फिर से बाबा का ये धाम भक्तों के जयकारों से गुलजार हो जाएगा. पहले महाअभिषेक के बाद श्रद्धालु यहां विधिवत नियमों के साथ बाबा के दर्शन कर पाएंगे. जिसकी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गई हैं.
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ETV BHARAT से बातचीत करते हुए टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत भरत गिरी महाराज ने बताया कि मंदिर परिसर को सैनिटाइज कराया जा चुका है. इसके अलावा अन्य सभी व्यवस्थाएं भी पूरी कर ली गई हैं. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए 8 जून से श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे. मंहत ने कहा कुछ चीजों में श्रद्धालुओं को व्यवस्थाओं के अनुरूप ही चलना होगा, इससे ही सबका कल्याण होगा.
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शिवरात्रि के दिन टपकेश्वर में लगता है श्रद्धालुओं का तांता
गौरतलब है कि टपकेश्वर महादेव मंदिर का अपना ही एक पौराणिक इतिहास रहा है. शिवरात्रि के दिन इस पावन धाम में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यही नहीं देहरादून के गढ़ी कैंट आर्मी एरिया में होने के चलते इस मंदिर में बड़ी संख्या में सैनिक भी पहुंचते हैं, जो बाबा के प्रति अगाध आस्था रखते हैं.
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टपकेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक मान्यताएं
देहरादून स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर की कई पौराणिक मान्यताएं हैं. मान्यता है कि सतयुग में गुरू द्रोणाचार्य ने भोले बाबा की आराधना, तमसा नदी के किनारे टपकेश्वर महादेव मंदिर वाले स्थान पर गुफा में की थी. कहा जाता है कि भोले बाबा भू-मार्ग से यहां पहुंचकर गुरू द्रोणाचार्य को धनुर विद्या का ज्ञान दिया करते थे. इसके बाद दूसरे युग यानि त्रेता युग में टपकेश्वर के स्थान पर गुरू द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने तप किया. जरूरत पड़ने पर जब उन्होंने भोले बाबा की आराधना की तो अश्वस्थामा को दूध की धारा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ. जिसके बाद यह स्थान दूधेश्वर मंदिर के नाम से विख्यात हुआ.
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इसके बाद तीसरे युग यानि द्वापर युग में समय बदला तो फिर टपकेश्वर महादेव के इस पावन धाम में पहाड़ से टपकने वाले दूध का स्वरूप बदल गया. अब मौजूदा समय में पहाड़ से शिव लिंग पर पानी की बूंदे टपकती हैं. जिसके कारण इस मंदिर को अब टपकेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.