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गंदगी में तब्दील सुसवा नदी का होगा समाधान, पीएमओ की मंजूरी से पीड़ितों को राहत

डोईवाला में स्थित सुसवा नदी की हालत बिगड़ती जा रही है. कहीं लोग नदी का पानी पीने से चर्म रोग से पीड़ित हैं, तो कहीं फसलें प्रभावित हो रही हैं. इस समस्या पर मोदी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है.

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Published : Sep 19, 2019, 8:20 PM IST

पीएमओ की मंजूरी से सुसुआ नदी होगी साफ.

डोईवाला: देहरादून के मोथरोवाला से होकर दो दर्जन से अधिक गावों के बीच से निकलने वाली सुसवा नदी की हालत बद से बदतर हो चुकती है. कुछ दशक पहले तक स्वच्छ पानी के लिए मशहूर सुसवा नदी अब सीवर में तब्दील हो गई है. देहरादून की सारी गंदगी और सीवर का पानी इस नदी में डाला जा रहा है. जिससे अब जीवन दायिनी कहीं जाने वाली सुसवा नदी अन्य जीव जंतु के लिए खतरनाक साबित हो रही है.

कुछ साल पहले तक स्वच्छ और अपने निर्मल जल के लिए मशहूर सुसवा नदी से पानी को ग्रामवासी पीने के रूप में प्रयोग करते थे. इस नदी में मछलियों का वास था और औषधीय सुसवा साग भी इस नदी में उगता था. यह साग आर्युवेद औषधियों से भरा होता है और इसी सुसवा साग की वजह से इस नदी का नाम सुसवा नदी पड़ गया.

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वहीं, अनेकों लाभ पहुंचाने वाली यह नदी लोगों के लिए हानिकारक साबित हो रही है. इस नदी के पानी को फसलों में प्रयोग करने से फसलें प्रभावित हो रही हैं. साथ ही ग्रामीणों के इस पानी को इस्तेमाल करने से चर्म रोग हो रहे हैं और पानी के सेवन से जंगली जानवरों की भी मौत हो रही है.

इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय में नदी की दुर्दशा, पानी के प्रयोग से हो रही बीमारियों और फसलों के नुकसान के से अवगत कराया था. इसपर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस नदी की सफाई के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है, जिससे ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है.

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अजय कुमार ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने पत्र लिखकर इस समस्या से प्रधानमंत्री को अवगत कराया था, लेकिन इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. वहीं 19 जुलाई 2019 में उन्होंने पीएमओ कार्यालय में दोबारा इस समस्या से अवगत कराया और पीएमओ कार्यालय ने नदी की गंभीर समस्या सुलझाने का फैसला लिया. इसमें इंटरसेक्शन एंड डायवर्जन एवं जल शोधन संयंत्र परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है. इस कार्रवाई से ग्रामीणों में बेहद खुशी है.

डोईवाला: देहरादून के मोथरोवाला से होकर दो दर्जन से अधिक गावों के बीच से निकलने वाली सुसवा नदी की हालत बद से बदतर हो चुकती है. कुछ दशक पहले तक स्वच्छ पानी के लिए मशहूर सुसवा नदी अब सीवर में तब्दील हो गई है. देहरादून की सारी गंदगी और सीवर का पानी इस नदी में डाला जा रहा है. जिससे अब जीवन दायिनी कहीं जाने वाली सुसवा नदी अन्य जीव जंतु के लिए खतरनाक साबित हो रही है.

कुछ साल पहले तक स्वच्छ और अपने निर्मल जल के लिए मशहूर सुसवा नदी से पानी को ग्रामवासी पीने के रूप में प्रयोग करते थे. इस नदी में मछलियों का वास था और औषधीय सुसवा साग भी इस नदी में उगता था. यह साग आर्युवेद औषधियों से भरा होता है और इसी सुसवा साग की वजह से इस नदी का नाम सुसवा नदी पड़ गया.

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वहीं, अनेकों लाभ पहुंचाने वाली यह नदी लोगों के लिए हानिकारक साबित हो रही है. इस नदी के पानी को फसलों में प्रयोग करने से फसलें प्रभावित हो रही हैं. साथ ही ग्रामीणों के इस पानी को इस्तेमाल करने से चर्म रोग हो रहे हैं और पानी के सेवन से जंगली जानवरों की भी मौत हो रही है.

इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय में नदी की दुर्दशा, पानी के प्रयोग से हो रही बीमारियों और फसलों के नुकसान के से अवगत कराया था. इसपर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस नदी की सफाई के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है, जिससे ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है.

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अजय कुमार ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने पत्र लिखकर इस समस्या से प्रधानमंत्री को अवगत कराया था, लेकिन इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. वहीं 19 जुलाई 2019 में उन्होंने पीएमओ कार्यालय में दोबारा इस समस्या से अवगत कराया और पीएमओ कार्यालय ने नदी की गंभीर समस्या सुलझाने का फैसला लिया. इसमें इंटरसेक्शन एंड डायवर्जन एवं जल शोधन संयंत्र परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है. इस कार्रवाई से ग्रामीणों में बेहद खुशी है.

Intro:डोईवाला
शिवर में तब्दील हो चुकी सूसू आ नदी के बदलेंगे दिन पीएमओ से मिली मंजूरी

देहरादून के मोथोरोवाला से होकर दो दर्जन से अधिक गावो के बीच से निकलने वाली सुसुआ नदी की हालत बद से बदतर हो गई है कुछ दशक पहले तक स्वच्छ पानी के लिए मशहूर यह सूसूआ नदी अब सीवर में तब्दील हो गई है देहरादून की सारी गंदगी और सीवर का पानी इस नदी में डाला जा रहा है जिससे अब जीवनदायिनी कहीं जाने वाली सुसुआ नदी सीवर नदी में तब्दील हो गई है और सारे जीव जंतु इस नदी के मर चुके हैं।

कुछ दशक पहले तक स्वच्छ और निर्मल पानी के लिए मशहूर सुसुआ नदी के पानी को ग्रामवासी पीने के रूप में प्रयोग करते थे और इस नदी में महाशेर मछली का भी वाश था और औषधीय सुसुआ साग इस नदी में उगता था और यह साग बेहद औषधि से भरा था और इसी सुसुआ सागकी वजह से इस नदी का नाम सुसुआ नदी पड़ा लेकिन देहरादून की सारी गंदगी और शीवर का पानी इस नदी में डाला जा रहा है जिससे नदी का पानी शीवर में तब्दील हो गया है और इस नदी के पानी के प्रयोग करने से फसलें प्रभावित हो रही हैं और इस पानी के प्रयोग करने से ग्रामीणों को चर्म रोग हो रहे हैं और इस पानी को पीने से जंगली जानवर भी बीमार पड़ रहे हैं ।
दुधली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय में नदी की पूरी दुर्दशा और इस नदी के पानी के प्रयोग से हो रही बीमारियों और फसलों के नुकसान के बारे में अवगत कराया और प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इस नदी की सफाई के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है जिससे ग्रामीण लोगों ने प्रधानमंत्री का आभार जताया है ।


Body:सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने बताया कि कुछ दशक पहले तक सुसुआ नदी के पानी को नदी के आसपास के लाखों लोग पीने के रूप में प्रयोग करते थे और यह नदी जीवनदायिनी नदी के रूप में जानी जाती थी और दुधली की मशहूर बासमती की खुशबू विदेशों तक मशहूर थी और नदी में उगने वाला सुसुआ साग को ग्रामीण औषधि के रूप में सब्जी बनाकर प्रयोग करते थे लेकिन कुछ सालों से देहरादून की सारी गंदगी और सीवर के पानी को नदी में डाल दिया गया है जिससे नदी के सारे जीव जंतु मर गए हैं और सारी फसलें इस सीवर के पानी से प्रभावित हो रही हैं वहीं जंगली जानवर भी इस जहरीले पानी पीने से बीमार हो रहे हैं और यही पानी आगे चलकर गंगा में मिल रहा है जिससे गंगा भी प्रदूषित हो रही है ।


Conclusion:सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने बताया कि 2016 में भी उनके द्वारा पत्र लिखा गया था लेकिन इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया 19 जुलाई 2019 में उनके द्वारा पीएमओ कार्यालय में दोबारा इस समस्या से अवगत कराया गया और पीएमओ कार्यालय द्वारा नदी की गंभीर समस्या को गंभीरता से लिया गया और जनशक्ति मंत्रालय द्वारा उन्हें एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें इंटरसेक्शन एंड डायवर्जन एवं जल शोधन संयंत्र परीयोजना को मंजूरी प्रदान की गई है । इस कार्रवाई से ग्रामीणों ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय का आभार जताया है ।

बाईट अजय कुमार सामाजिक कार्यकर्ता
बाईट गिरीश पंत स्थानीय ग्रामीण
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