डोईवाला: देहरादून के मोथरोवाला से होकर दो दर्जन से अधिक गावों के बीच से निकलने वाली सुसवा नदी की हालत बद से बदतर हो चुकती है. कुछ दशक पहले तक स्वच्छ पानी के लिए मशहूर सुसवा नदी अब सीवर में तब्दील हो गई है. देहरादून की सारी गंदगी और सीवर का पानी इस नदी में डाला जा रहा है. जिससे अब जीवन दायिनी कहीं जाने वाली सुसवा नदी अन्य जीव जंतु के लिए खतरनाक साबित हो रही है.
कुछ साल पहले तक स्वच्छ और अपने निर्मल जल के लिए मशहूर सुसवा नदी से पानी को ग्रामवासी पीने के रूप में प्रयोग करते थे. इस नदी में मछलियों का वास था और औषधीय सुसवा साग भी इस नदी में उगता था. यह साग आर्युवेद औषधियों से भरा होता है और इसी सुसवा साग की वजह से इस नदी का नाम सुसवा नदी पड़ गया.
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वहीं, अनेकों लाभ पहुंचाने वाली यह नदी लोगों के लिए हानिकारक साबित हो रही है. इस नदी के पानी को फसलों में प्रयोग करने से फसलें प्रभावित हो रही हैं. साथ ही ग्रामीणों के इस पानी को इस्तेमाल करने से चर्म रोग हो रहे हैं और पानी के सेवन से जंगली जानवरों की भी मौत हो रही है.
इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने प्रधानमंत्री कार्यालय में नदी की दुर्दशा, पानी के प्रयोग से हो रही बीमारियों और फसलों के नुकसान के से अवगत कराया था. इसपर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस नदी की सफाई के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है, जिससे ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है.
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अजय कुमार ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने पत्र लिखकर इस समस्या से प्रधानमंत्री को अवगत कराया था, लेकिन इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. वहीं 19 जुलाई 2019 में उन्होंने पीएमओ कार्यालय में दोबारा इस समस्या से अवगत कराया और पीएमओ कार्यालय ने नदी की गंभीर समस्या सुलझाने का फैसला लिया. इसमें इंटरसेक्शन एंड डायवर्जन एवं जल शोधन संयंत्र परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है. इस कार्रवाई से ग्रामीणों में बेहद खुशी है.