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देवस्थानम बोर्ड विधेयक पर कांग्रेस का वादा- सत्ता में वापस आते ही खत्म करेंगे ये कानून

देवस्थानम बोर्ड विधेयक पर राजनीति जारी है. इस बीच कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा है 2022 में जब कांग्रेस सत्ता में वापसी करेगी तो इस कानून को खत्म कर देगी.

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Published : Jan 16, 2020, 8:37 AM IST

देहरादून: चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बावजूद राजभवन से देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी मिल गई है. इस विधेयक के अनुसार बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और अन्य मंदिर बोर्ड के नियंत्रण में रहेंगे. हालांकि, तीर्थ पुरोहित सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी का मानना है कि बोर्ड गठन के बाद तीर्थ पुरोहितों के हक हकूक को नुकसान नहीं पहुंचेगा. इस पर कांग्रेस का कहना है कि अगर उनकी पार्टी 2022 में वापसी करेगी तब इस कानून को समाप्त कर देगी.

देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने.

प्रदेश में देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 का तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध करते नजर आ रहे हैं, ऐसे में मसूरी बीजेपी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि तीर्थ पुरोहितों को अगर लग रहा है कि देवस्थानम बोर्ड से उनके हितों का नुकसान होगा, तो ऐसे में उनका विरोध करना स्वाभाविक बात है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने खुद स्पष्ट किया है कि बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों को कोई नुकसान नहीं होगा.

गणेश जोशी ने कहा कि देश में जहां-जहां श्राइन बोर्ड है वहां व्यवस्थाएं बेहद अच्छी हैं, तिरुपति और वैष्णो देवी इसका जीता जागता उदाहरण है. देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को लाभ मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया होगा. अभी तो देवस्थानम बोर्ड की स्वीकृति राज्यपाल से मिली है, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. अगर तीर्थ पुरोहितों को लगता है कि बोर्ड के होने से उनके हक हकूकों को नुकसान पहुंचेगा तो वे अपनी बात सामने रख सकते हैं, जिसका समाधान किया जाएगा.

वहीं, कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी गणेश जोशी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों की पौराणिक व्यवस्था जो आदिगुरु शंकराचार्य के जमाने से चल रही है, उसका ज्ञान शायद गणेश जोशी को नहीं है. इस तरह के फैसले से चारों धामों के तीर्थ पुरोहित नाराज चल रहे हैं. बोर्ड के प्रस्ताव पर सरकार ने किसी को भी विश्वास में नहीं लिया. देवस्थानम बोर्ड में जितने भी मंदिर आए हैं, उन मंदिरों को सरकार ने मनमाने ढंग से शामिल किया है. इसका खामियाजा भाजपा को 2022 में भुगतना होगा.

पढ़ें- मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं कि समीक्षा बैठक, अधूरे कामों को जल्द पूरे करने के निर्देश

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस कानून को समाप्त करके यथास्थिति बहाल करेगी. साथ ही प्रदेश के अंदर जो धार्मिक स्थल और मठ मंदिर हैं. अगर उन्हें रेगुलेट करने की जरूरत पड़ेगी तो यहां के पुरोहितों को विश्वास में लिए बिना कोई भी कदम नहीं उठाया जाएगा.

देहरादून: चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बावजूद राजभवन से देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी मिल गई है. इस विधेयक के अनुसार बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और अन्य मंदिर बोर्ड के नियंत्रण में रहेंगे. हालांकि, तीर्थ पुरोहित सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी का मानना है कि बोर्ड गठन के बाद तीर्थ पुरोहितों के हक हकूक को नुकसान नहीं पहुंचेगा. इस पर कांग्रेस का कहना है कि अगर उनकी पार्टी 2022 में वापसी करेगी तब इस कानून को समाप्त कर देगी.

देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 पर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने.

प्रदेश में देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 का तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध करते नजर आ रहे हैं, ऐसे में मसूरी बीजेपी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि तीर्थ पुरोहितों को अगर लग रहा है कि देवस्थानम बोर्ड से उनके हितों का नुकसान होगा, तो ऐसे में उनका विरोध करना स्वाभाविक बात है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने खुद स्पष्ट किया है कि बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों को कोई नुकसान नहीं होगा.

गणेश जोशी ने कहा कि देश में जहां-जहां श्राइन बोर्ड है वहां व्यवस्थाएं बेहद अच्छी हैं, तिरुपति और वैष्णो देवी इसका जीता जागता उदाहरण है. देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को लाभ मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया होगा. अभी तो देवस्थानम बोर्ड की स्वीकृति राज्यपाल से मिली है, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. अगर तीर्थ पुरोहितों को लगता है कि बोर्ड के होने से उनके हक हकूकों को नुकसान पहुंचेगा तो वे अपनी बात सामने रख सकते हैं, जिसका समाधान किया जाएगा.

वहीं, कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी गणेश जोशी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों की पौराणिक व्यवस्था जो आदिगुरु शंकराचार्य के जमाने से चल रही है, उसका ज्ञान शायद गणेश जोशी को नहीं है. इस तरह के फैसले से चारों धामों के तीर्थ पुरोहित नाराज चल रहे हैं. बोर्ड के प्रस्ताव पर सरकार ने किसी को भी विश्वास में नहीं लिया. देवस्थानम बोर्ड में जितने भी मंदिर आए हैं, उन मंदिरों को सरकार ने मनमाने ढंग से शामिल किया है. इसका खामियाजा भाजपा को 2022 में भुगतना होगा.

पढ़ें- मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं कि समीक्षा बैठक, अधूरे कामों को जल्द पूरे करने के निर्देश

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आती है तो इस कानून को समाप्त करके यथास्थिति बहाल करेगी. साथ ही प्रदेश के अंदर जो धार्मिक स्थल और मठ मंदिर हैं. अगर उन्हें रेगुलेट करने की जरूरत पड़ेगी तो यहां के पुरोहितों को विश्वास में लिए बिना कोई भी कदम नहीं उठाया जाएगा.

Intro: चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध के बावजूद राजभवन से देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी मिल गई है, इस विधेयक के अनुसार बद्रीनाथ ,केदारनाथ ,गंगोत्री यमुनोत्री और अन्य मंदिर बोर्ड के नियंत्रण में रहेंगे। हालांकि तीर्थ पुरोहित सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं।
summary- राजभवन से देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी मिलने के बाद जहां बीजेपी इस फैसले को स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं के हितों से जोड़ रही है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यदि कांग्रेस 2022 में वापसी करती है तो इस कानून को समाप्त कर देगी।


Body:प्रदेश में देवस्थानम बोर्ड विधेयक 2019 का तीर्थ पुरोहित लगातार विरोध करते आ रहे हैं, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के मसूरी विधायक गणेश जोशी का कहना है कि तीर्थ पुरोहितों को यदि लग रहा है कि देवस्थानम बोर्ड से उनके हितों का नुकसान होगा, तो ऐसे में उनका विरोध करना स्वाभाविक बात है। लेकिन खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने स्पष्ट किया है कि बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के हक हकूकों को कोई नुकसान नहीं होगा। गणेश जोशी ने कहा कि भारतवर्ष में जहां जहां श्राइन बोर्ड है वहां व्यवस्थाएं बेहद अच्छी हैं, तिरुपति और वैष्णो देवी इसका जीता जागता उदाहरण है। देवस्थानम बोर्ड के गठन के बाद यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को लाभ मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया होगा। अभी तो देवस्थानम बोर्ड की स्वीकृति राज्यपाल से मिली है लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है। अगर तीर्थ पुरोहितों को लगता है कि बोर्ड के होने से उनके हक हकूकों को नुकसान पहुंचेगा तो वे अपनी बात सामने रख सकते हैं ,जिसका समाधान किया जाएगा।
बाइट गणेश जोशी, विधायक ,बीजेपी

वहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी बीजेपी विधायक गणेश जोशी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उत्तराखंड के चारों धामों की पौराणिक व्यवस्था जो आदि गुरु शंकराचार्य के जमाने से चल रही है, उसका ज्ञान शायद गणेश जोशी को नहीं है। इस तरह के फैसले से चारों धामों की तीर्थ पुरोहित नाराज चल रहे । बोर्ड के प्रस्ताव पर सरकार ने किसी को भी विश्वास में नहीं लिया। देवस्थानम बोर्ड में जितने भी मंदिर आए हैं, उन मंदिरों को सरकार ने मनमाने ढंग से शामिल किया है। इसका खामियाजा भाजपा को 2022 में भुगतना होगा। यदि प्रदेश में कांग्रेस सत्ता मे आती है तो इस कानून को समाप्त करके यथास्थिति बहाल करेगी और प्रदेश के अंदर जो धार्मिक स्थल और मठ मंदिर हैं अगर उन्हें रेगुलेट करने की जरूरत पड़ेगी तो यहां के पुरोहितों को विश्वास में लिए बिना कोई भी कदम नहीं उठाया जाएगा
बाइट- सूर्यकांत धस्माना, पूर्व कांग्रेस उपाध्यक्ष


Conclusion: दरअसल दरअसल चारों धामों के तीर्थ पुरोहित देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं ऐसे में बीजेपी का कहना है कि बोर्ड बनने के बाद तीर्थ यात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया होगा, और हक हकूक धारियों के हकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, तो वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि सरकार ने चारों धामों के हकहकूक धारियों के हकों को छीनने का काम किया है । वहां के तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बगैर देवस्थानम बोर्ड बनाने जा रही है, अगर कांग्रेस 2022 मे सत्ता में वापसी करती है तो इस विधेयक को समाप्त करके यथास्थिति बहाल करेगी।
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