देहरादून: बीते दिनों टिक-टॉक स्टार फैजल सिद्दीकी के विवादित वीडियो के बाद हर जगह टिक-टॉक पर बहस शुरू हो गई है. सोशल मीडिया से समाज के हर कोने तक इसके फायदे और नुकसान की चर्चा हो रही है. बात अगर इसकी दीवानगी की करें तो गांव, गलियों से लेकर शहरों तक इस एप के लिए लोग 'पागल' हैं. बहुत ही कम समय में चाइना के इस एप ने भारत समेत दुनिया के बाजार के एक बड़े हिस्से पर अपना एकाधिकार जमा लिया है. हालांकि, इस पर परोसी जाने वाली समाग्री को लेकर ही ये एप अब विवादों में बना हुआ है. तमाम गाइडलाइन्स होते हुए भी टिक-टॉक पर फूहड़ औक अश्लील वीडियो कंटेट डाला जा रहा है जो समाज में एक नकारात्मक विचारधारा को जन्म दे रहा है.
टिक-टॉक भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में युवा वर्ग की पसंद है. एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत में युवाओं को बर्बाद करके टिक-टॉक करोड़ों रुपए कमा रहा है. ये एप न केवल भारत बल्कि अन्य देशों में कई तरह की अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है, जिससे समाज में लगातार लोगों में आपराधिक मानसिक प्रवृति जन्म ले रही है.
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टिक-टॉक को लेकर किये गये एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि यह एप किस तरह नाबालिग बच्चों से लेकर युवा वर्ग के तमाम लोगों में एक फरेबी दुनिया का मायाजाल बुन रहा है. उत्तराखंड का युवा वर्ग भी बहुतायत मात्रा में टिक-टॉक का इस्तेमाल कर रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उत्तराखंड के जाने-माने साइबर एक्सपर्ट और डाटा रिसर्च अंकुर चंद्रकांत ने जो बताया उससे ये साफ होता है कि देवभूमि का युवा भी टिक-टॉक की इस आभासी दुनिया में फंसा हुआ है.
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टिक-टॉक एप सर्वे के बारे में बात करते हुए अंकुर ने बताया कि आज इस एप में ऐसे कई वीडियो अपलोड कर सोशल मीडिया पर फैलाये जा रहे हैं, जिससे समाज में नकारात्मकता, हिंसा, बलात्कार, यौन शोषण जैसी घटनाओं को बढ़ावा मिल रहा है. महज कुछ लाइक्स और शेयर के चक्कर में देश का युवा अपनी राह से भटक रहा है. वह अपने संस्कारों और आदर्शों को भूलकर इस 'आभासी' दुनिया में धमाल मचा रहा है, जो कि झणभंगुर है.
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अंकुर के मुताबिक, चीन के जिस भी व्यक्ति ने ये एप बनाया उसने भी कहा था कि टिक-टॉक निकम्मे और नाकारा लोगों के लिए सबसे सही प्लेटफॉर्म है. ऐसे में उसकी यह भविष्यवाणी न केवल भारत ने सच हो रही है बल्कि इससे यहां के युवा वर्ग का समय और भविष्य दोनों गर्त में जा रहा है. छोटी उम्र के बच्चों से लेकर युवा वर्ग में टिक-टॉक के जरिए नकली पहचान के माध्यम से पैसा कमाने की होड़ लगी है, जो उन्हें कहीं भी नहीं ले जाता.
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इतना ही नहीं, आज टिक-टॉक पर देश का युवा वर्ग ही नहीं बल्कि समाज के हर तबके से छोटे से बड़े लोग इस पर एक्टिव है. गांव की गलियों से लेकर मायानगरी की चकाचौंध में भी टिक-टॉक की धमक है. कई छोटे बड़े स्टार टिक-टॉक के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही संदेश भी देते हैं. वहीं इस एप पर एक वर्ग ऐसा भी एक्टिव है जिसकी हरकतों और फूहड़ कंटेट से आज टिक-टॉक का विरोध तेज हो गया है. ये वर्ग अपने अकाउंट्स से नियमों और गाइडलाइन्स को धता बताते हुए ऐसे वीडियो अपलोड करते हैं जिससे नकारात्मक और अपराधिक संदेश समाज में जाते हैं.
टिक-टॉक के सर्वे में क्या आया सामने
उत्तराखंड साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत ने टिक-टॉक को लेकर सर्वे किया. भारत की यह सर्वे रिपोर्ट 22 मई 2020 सुबह 7:00 बजे तक की है:-
- टिक टॉक क्रिएटर्स में like और followers की होड़ है.
- न्यू टास्क, ट्रेडिंग influencers : 34.3%
- हॉट डांस मूव: 16.7%
- ट्रांसफॉरमेशन वीडियो: 11.56%
- सेलिब्रिटी अपडेट वीडियो: 9.48%
- कॉमेडी, लिप सिंक :7.82%
टिक-टॉक वीडियोज की होती है कई देशों में आलोचना
टिक-टॉक टिक फरेबी शोहरत का मायाजाल भी है. सर्वे में पाया गया टिक-टॉक पर कई प्रकार के ऐसे वीडियो बनाकर लाइक और शेयर करने के बाद यूजर को सलाखों के पीछे भी गये हैं. बॉडी शेमिंग, रिलीजियस और कम्यूनल वॉयलेंस, सुसाइड, इममोरल एक्ट, पोर्न वीडियो जैसे कंटेट के कारण कई देशों में इस आलोचना भी होती आई है.
भारत में टिक टॉक बनाने वाले लोगों पर डाटा शोध व आंकड़ों का आंकलन:-
- लड़कियां: 42.6%
- लड़के: 54.7%
- अन्य: 2.3%
भारत में किस आयु वर्ग के बना रहे टिक-टॉक
- 6-12 वर्ष : 11. 52%
- 13 -19 वर्ष : 47. 83%
- 20 -29 वर्ष : 30. 69%
- 30 वर्ष से ऊपर 9.96%
उत्तराखंड में टिक-टॉक बनाने वाले लोगों का आंकलन
- लड़कियां :53. 28%
- लकड़े : 46.21%
उत्तराखंड में इस आयु वर्ग के बना रहे टिक-टॉक
- 6 -12 वर्ष: 4.62%
- 13 -19 वर्ष : 67. 83%
- 20 29 वर्ष : 20.18%
- 30 वर्ष से ऊपर : 7.36%
भारतीय युवाओं को टिक-टॉक के चक्रव्यू में फंसाकर चीन करोड़ों में कमाई कर रहा है. सर्वे के अनुसार टिक-टॉक वीडियो एप से चाइना हर तिमाही 23-25 करोड़ की कमाई कर है. उत्तराखंड साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत द्वारा किये गये इस सर्वे में तमाम तरह की जानकारियां सामने आई हैं.